Electronic Gadgets का प्रभाव

आज हम बात करने वाले है Electronic Gadgets का प्रभाव के बारे में. जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी बढती गई वैसे-वैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट की संख्या में बढ़ोतरी होती गई. यह बात बिलकुल सही है की इलेक्ट्रॉनिक गैजेट की बदौलत ही नई क्रान्ति का उदय हुआ है और हम कई सारी-सारी नई-नई चीजों से परिचित हुए है. आज के समय में रोज नए-नए गैजेट आ रहे है।

इनकी वजह से हमारी लाइफस्टाइल भी काफी प्रभावित हुयी है. अब स्मार्टफोन को ही देख लीजिये, भले ही परिवार में बैठे हो या किसी ख़ास फंक्शन में यह हाथ से छूटता ही नहीं है. स्मार्टफोन ने ना सिर्फ बड़ो को बल्कि बच्चों को भी अपनी लत का शिकार बनाया है. आजकल तो बच्चे स्कूल में भी मोबाइल ले जाने लगे है।

हम सभी इस बात से वाकिफ है की इलेक्ट्रॉनिक गैजेटस को लोगों का समय बचाने और कार्य को अधिक कुशल बनाने के लिए डिजाईन किया गया है. लेकिन इसकी अधिकता हमारे शरीर पर नेगेटिव प्रभाव डालती है. आज मोबाइल, लैपटॉप, टीवी पर हम घंटों नजरे गड़ाए बैठे रहते है. हम यह बिलकुल नहीं सोचते की यह चीजें हमारी सेहत पर कितना बुरा प्रभाव डालती है. इसके साथ इसके कुछ अच्छे प्रभाव भी होते हैं।

हम भले ही इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के बिना रह नहीं सकते क्योंकि आज यह हमारी जरूरत का हिसा बन चूका है लेकिन इससे थोड़ी दुरी तो बना ही सकते है. आईये जानते है की कैसे इनकी वजह से हमारी लाइफस्टाइल पर प्रभाव पड़ता है और हमारी सेहत पर इसका नेगेटिव असर पड़ता है?

ये क्या Positive प्रभाव पड़ता है ? इस पोस्ट में हम अच्छे से जानेंगे की इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का क्या-क्या प्रभाव पड़ता है? तो फिर बिना देरी किये चलिए शुरू करते हैं।

Electronic Gadgets क्या होते हैं?

गैजेट या Electronic Gadgets एक छोटा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण या मशीन है जिसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए विकसित किया गया है। उदाहरण के लिए: लैपटॉप, स्मार्टफोन, किंडल, आई-पैड, स्मार्टवॉच, कीबोर्ड, माउस, आदि। सरल शब्दों में, किसी भी इलेक्ट्रॉनिक या गैर इलेक्ट्रिक आइटम जो मानव प्रयास को कम करता है, गैजेट्स के रूप में जाना जाता है।

Electronic Gadgets का Postive प्रभाव

electronic gadgets ka prabhav

चलिए Electoric gadgets के Positive प्रभाव के विषय में कुछ जानते हैं।

1. Gadgets, के कई positive impact भी होते हैं, especially, छोटे बच्चों के ऊपर. इन gadgets के इस्तमाल से ये उनके senses और imagination को stimulate करती है. Additionally, इससे listening ability भी बढती है, sounds की learning और speaking ability पर भी positive असर पड़ता है।

2. इन electronic devices में games खेलने से, ये cognitive learning को encourage करती हैं और analytical skills को develop होने में मदद करती हैं।

3. इसके साथ इससे innovative thinking, strategic thinking, investigative skills, और creativity भी बढती है।

4. ये लोगों को एक बढ़िया educational और learning medium प्रदान करती है।

5. इन electronic gadgets से students की studying habits में भी काफी impact पड़ती है. Technology के इस्तमाल से difficuly subjects को भी fun और exciting तरीके से पढाया जा सकता है।

6. ये Students के लिए काफी मददगार होती है उनके research projects में जहाँ उन्हें बहुत से information को खोजकर एक जगह में इक्कठा काना होता है. साथ में ये electronic gatgets बहुत ही mobile होते हैं जिससे इन्हें कहीं पर भी आसानी से ले जाया जा सकता है।

7. इनके इस्तमाल से आप कहीं और कभी भी कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Electronic Gadgets का Negative प्रभाव

चलिए अब जानते हैं की कैसे Electronic Gadgets के negative प्रभाव के विषय में जानते हैं।

1. समय की बर्बादी

इन गैजेट्स का सबसे ज्यादा असर बच्चों और किशोरों पर होता है. जिस उम्र में इन्हें पढना-लिखना और करियर पर ध्यान देना होता है उस उम्र में वे इन गैजेट्स से चिपके रहते है. उनका पूरा दिन Facebook, Whatsapp, Instagram आदि पर चला जाता है. वे कभी भी इन सोशल नेटवर्किंग साइट्स का उपयोग अच्छा सीखने के लिए नहीं करेंगे बल्कि चैटिंग में अपना सारा टाइम बर्बाद कर देंगे।

अनजान लोगों से बातें करना, नए-नए फ्रेंड बनाना यह उनकी डेली लाइफ का हिस्सा बन चूका होता है. आज की बिजी लाइफ में हर माँ-बाप अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते और ऐसे में उनका बहक जाना आम बात है. बच्चों और किशोरों के लिए यह सिर्फ समय की बर्बादी है अगर वे इन गैजेट्स को सही से यूज़ ना करें तो।

2. आँखों पर बुरा असर

लम्बे समय तक स्क्रीन पर देखने से लोगों की आँखे भी कमजोर होती जा रही है. वे मोबाइल, लैपटॉप, टीवी की स्क्रीन में ऐसे घुस कर बैठ जाते है की उन्हें पता ही नहीं चलता की कब उन्हें बीच में ब्रेक लेना है. इसी वजह से उनकी आँखे लाल होने लगती हैं, आँखों में से पानी आने लगता है, आँखे ड्राई होने लगती है. इसलिए इन चीजों से थोड़े-थोड़े समय से दुरी बनाते रहें।

3. समाज से कट जाना

इन गैजेट्स की बदौलत युवा वर्ग वर्चुअल दुनिया में जीना सीख जाते है और अपनी अलग ही दुनिया बना लेते है और रियल दुनिया यानी समाज से कट जाते है. वे वर्चुअल दुनिया में अपनी मनमानी करते है क्योंकि उन्हें वहां कोई रोकने वाला नहीं होता है. इस तरह से आज का युवा वर्ग समाज का हिस्सा बनने की जगह वर्चुअल दुनिया में अपना समय बर्बाद कर रहा है।

4. स्वभाव में चिडचिडापन आ जाना

दिन का के समय इन इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स पर बिताने के कारण इनके स्वभाव में चिडचिड़ापन आने लगता है. ऐसे में इनसे सिर्फ एक मिनट के लिए मोबाइल लेके देख लो यह इस तरह चिल्लाने लगते है जैसे इनसे इनकी जिंदगी मांग ली हो. अगर मोबाइल का चार्ज खत्म होने लगे तो यह लोग चार्जिंग की तरफ ऐसे दौड़ते है जैसे इनकी साँसे जाने वाली हो. इनके स्वभाव में अंतर आने लगता है और यह लोग थोड़ी सी बात पर चिड जाते है और चिल्लाने लगते है।

5. स्मरण शक्ति का कमजोर होना

लम्बे समय तक मोबाइल, लैपटॉप, टीवी आदि का यूज़ करने से लोगों की स्मरण शक्ति कमजोर हो रही है. उन्हें आधा घंटे पहले की बात तक याद नहीं रहती. पढ़ाई से बच्चों और किशोरों का मन उठने लगता है क्योंकि उन्हें कुछ भी पढ़ा हुआ याद नहीं रहता है।

6. आपराधिक गतिविधियों में शामिल होना

आपने अखबारों और न्यूज़ में अक्सर देखा होगा की कैसे शातिर लोग बच्चों और युवाओं का ब्रेन वाश करते है. कुछ लोग तो युवाओं का ब्रेन वाश करके उन्हें आतंकवादी तक बना देते है. ब्लू व्हेल और मेमेज जैसे गेम्स ने तो ना जाने कितने लोगों की जाने ले ली।

बच्चों और किशोरों को सोशल मीडिया पर जो भी बताया जाता है वे उसे सच मान लेते है और उसी के अनुरूप काम भी करने लग जाते है और इसके परिणाम स्वरूप वे आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो जाते है और अपनी जिंदगी को पूरी तरह बर्बाद कर देते है।

7. दिमाग पर बुरा असर

इन गैजेट्स से चिपके रहने के कारण लोगों की सोचने की क्षमता पर असर पड़ रहा है. अगर किसी वर्चुअल फ्रेंड से लड़ाई हो जाएगी या किसी वर्चुअल फ्रेंड ने हमें कुछ बोल दिया तो भले ही अनजान हो हम उसे दिल पर ले लेंगे की उसने ऐसे कैसे बोल दिया।

इन सब चीजों को हम अपने दिमाग में बसा लेते है और फिर पुरे टाइम उसी के बारे में सोचते रहते है. नए-नए फ्रेंड बनने के चक्कर में हम यह भी नहीं सोचते की कौन अच्छा है और कौन बुरा. बीएस अपनी अलग ही दुनिया में खोये रहते है, जैसे सब कुछ सिर्फ यहीं है।

थोड़ा सा बदलाव करके देखिये जिंदगी बदल जायेगी

  • सुबह का कुछ समय पोधों को पानी देने में , व्यायाम और योग करने में और ताज़ी धुप लेने में बिताएं.
  • अगर आपका ज्यादा काम लैपटॉप या मोबाइल पर रहता है तो बीच-बीच में ब्रेक लेते रहे.
  • हर 20 मिनट बाद ब्रेक ले और दोनों हाथो को आपस में अच्छे से रगड़कर आँखों पर लगायें और पलकों को अच्छे से झपकाएं.
  • एंटी ग्लेयर स्क्रीन पर काम करने से भी आँखों पर दबाव कम पड़ता है.
  • अगर आप चश्मा पहनते है तो आपको एंटी रिफ्लेक्समेंट वाले कांच का यूज़ करना चाहिए.
  • खाली समय में अपने शौक को पूरा करें या अपने परिवार के साथ समय बिताएं.

आज आपने क्या सीखा

मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख Electronic Gadgets का प्रभाव जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को effect of electronic gadgets in Hindi के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है।

इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे. यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं।

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Sumit Singh

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मुझे पढ़ना और लिखना बहुत पसंद है। मुझे सूचनात्मक विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मुझे कहानी लेखन, कविता और कुछ कविताओं को लिखने में गहरी रुचि है।

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Comments (3)

    • Dinesh ji, iske liye aapko ek smart user banna hoga aur technology ka istamal limited tarike se karna hoga.

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