Kailash Satyarthi Biography & Success Story in Hindi. दुनिया में ऐसे बहुत कम मनुष्य देखने को मिलते हैं जिन्हें अपनी छोड़ कर दूसरों की परवाह होती है और उनहे परवाह इस कदर होती है की वो मनुष्य दुसरे मनुष्यों के लिए अपनी जान देने के लिए भी तैयार रहता है.
जैसे हमारे राष्ट्रीय पिता महात्मा गाँधी जी ने हमारे देश को आजादी दिलाने के लिए अपना सारा जीवन लगा दिया. Kailash Satyarthi ये वो नाम है जिसने हमारे देश के हजारो गरीब बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए बहुत से संघर्षों का सामना किया है और उनके बचपन को सवांरा है. उनके इस कार्य के लिए उन्हें Noble Peace Prize से 2014 में सम्मानित भी किया गया है।
Mother Teresa के बाद Kailash Satyarthi भारत के वो शख्स हैं जिन्हें “नोबेल शांति पुरस्कार” से नवाज़ा गया है. इनका नाम बहुत कम लोगों ने सुना होगा, इसलिए आज मै इस लेख में Kailash Satyarthi की biography और life story के बारे में बताने वाली हूँ जिनसे हम सबको दुसरो के लिए भला करने की प्रेरणा मिलेगी और उनके “बचपन बचाओ आन्दोलन” को आगे बढ़ाने में हम सब उनका साथ देने की कोशिश करेंगे।
Kailash Satyarthi का जीवन परिचय
Kailash Satyarthi जी का जन्म 11 जनवरी 1953 को मध्य प्रदेश के विदिशा गाँव में हुआ था. वो बचपन से ही बड़े दयालु किस्म के इंसान हैं. बचपन में ही उन्होंने देखा की कैसे दुसरे गरीब बच्चे उनकी तरह पढाई करने के लिए स्कूल नहीं जा पाते थे और बड़े ही कठोर अवस्था में पैसे कमाने के लिए काम किया करते थे.
इस असमानताओं को देखकर इनके वजह से वो बहुत परेशां रहने लगे थे और एक दिन उन्होंने ये तय किया की अब वो उन सभी गरीब बच्चों के लिए कुछ ना कुछ अच्छा और बड़ा करेंगे जिससे की वो बच्चे भी हम सब की तरह ही साधारण जीवन जी सकेंगे.।

उन्होंने अपने स्कूल और कक्षा के विद्यार्थियों से सहायता मांगी और उनसे कहा की उन गरीब बच्चों को कुछ किताबें और पैसे दान करें ताकि उन बच्चों को भी हमारी तरह पढने का अवसर मिले.
Kailash जी के बस में जितना हो सकता था उन्होंने गरीब बच्चों की मदद करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें पता था की इतने से वो उन बच्चों की पूरी तरह से मदद नहीं कर पाएंगे. धीरे धीरे उनका जीवन आगे बढ़ने लगा और उन्होंने कॉलेज से Electrical Engineering की पढाई पूरी की और high-voltage engineering में भी post graduate की degree हासील की।
नाम | कैलाश शर्मा (सत्यार्थी) |
जन्म | 11 जनवरी 1954 |
जन्म-स्थान | (विदिशा, मध्य प्रदेश) |
पत्नी | सुमेधा सत्यार्थी |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धार्मिक मान्यता | हिन्दू |
शिक्षा | B.E,M.E (Barkatullah University, Honorary PhD) |
व्यवसाय | बाल अधिकार कार्यकर्ता | प्रारंभिक बाल शिक्षा कार्यकर्ता |
पुरस्कार | दी अचेनर अंतरराष्ट्रीय शांति पुरस्कार,जर्मनी (1994) इतावली सीनेट का पदक(2007) लोकतंत्र के रक्षक पुरस्कार (2009) नोवेल शान्ति पुरस्कार (2014) |
Kailash Satyarthi का Career
Kailash जी ने Engineering की पढाई पूरी करने के बाद भोपाल के एक कॉलेज में lecturer के रूप में शामिल हुए. उनके सामने उनका उज्जवल भविष्य उनका इंतज़ार कर रहा था परन्तु Kailash जी के दिल में तो कुछ और ही बात चल रही थी. वो गरीब दुखी लोगों की सहायत करना चाहते थे खाश कर के गरीब बच्चों की इसलिए उन्होंने अपना नौकरी छोड़ दिया.
नौकरी छोड़ देने के बाद Kailash जी ने एक पत्रिका की शुरुआत की जिसका नाम था “संघर्ष जारी रहेगा”. इस पत्रिका के जरिये वो सभी लागों को गरीब बच्चों के साथ हो रहे अन्याय के बारे में बताना चाहते थे जो इस बात से अंजन थे, सबको इस सच्चाई से अवगत कराना चाहते थे।
फिर एक दिन एक व्यक्ति से उन्हें पता चला की किसी एक factory में कुछ गरीब बच्चों से जबरदस्ती मजदूरी करायी जा रही है. ये सुन कर Kailash जी बहुत क्रोधित हुए और उसी समय उन्होंने फैसला किया की अगर गरीब बच्चों के लिए कुछ करन है तो यही सही समय है, फिर उन्होंने अपने जैसा सोच रखने वाले साथियों से मदद ली और उन सभी factories में छापा मारना शुरू किया और हजारों गरीब बच्चे और उनके माँ बाप को इस कठोर मजदूरी से आजादी दिलाया.
इन सबके दौरान उन्हें बहुत जगहों पर मार भी पड़ी फिर भी वो बिना डरे ही गरीब बच्चो के अच्छे जीवन के लिए लड़ते रहे और आगे बढ़ते रहे।
Bachpan Bachao Aandolan की शुरुआत कैसे हुई?
इस घटना से प्रेरित होकर ही Kailash जी ने “बचपन बचाओ आन्दोलन” की शुरुआत की जिसका मुख्या उद्देश्य है की इस दुनिया से गरीब बच्चों के साथ हो रहे शोषण और अत्याचारों को जड़ से उखाड़ फेकना है और उन्हें सुख से भरी जिंदगी देना है जिसपर उनका पूरा अधिकार है.
बचपन बचाओ आन्दोलन के कार्य में कई बार Kailash जी और उनके साथियों पर जान लेवा हमले भी हुए हैं लेकिन फिर भी अपने कार्य को पूरा करने के लिए बिना अपनी जान की परवाह किये kailash जी आगे बढ़ते चले गए. इस आन्दोलन के जरिये उन्होंने 1980 से लेकर अब तक 80,000 बच्चों को मजदूरी के नर्क से बाहर निकाल कर अच्छी जिंदगी दी है।
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इन गरीब बच्चों को उस नर्क से बाहर निकालने बाद उनका कार्य ख़तम नहीं होता ये सोच कर kailash जी ने “बाल मित्र ग्राम” की शुरुआत 2011 में की जो हर गाँव से बाल श्रम( child labour) को मिटाकर उन बच्चों की सभी सुख सुभिधाओं पर ध्यान देता है और उन्हें अच्छी शिक्षा प्रदान करता है. और आज के वक़्त में 350 गाँव ने इस योजना को अपनाया है।
बाल मजदूरी के खिलाफ चलने वाले अपने अभियान को Kailash Satyarthi ने देश के साथ साथ विदेशों में भी फैलाया है. उन्होंने 108 देशों के 14 हजार संगठनों के साथ मिलकर “ बाल मजदूरी विरोधी विश्व यात्रा” आयोजित की, जिसमे लाखों लोगों ने शामिल होकर बाल मजदूरी को ख़तम करने का प्रण लिया.
उनके इन्ही कार्यों के वजह से बहुत से राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय पुरष्कार भी मिल चुके हैं और साल 2014 में उन्हें Nobel Peace Prize से सम्मानित किया गया है, जिसके वजह से पूरी दुनिया में हमारे भारत देश का नाम रोशन हुआ है।
कैलाश सत्यार्थी की सोच
सत्यार्थी ने बच्चों से काम लेने को मानव अधिकारों से जोड़ा और इसके खिलाफ आवाज उठाई है. वे इसे बच्चों के साथ होने वाले वैश्विक शोषण का सबसे प्रचलित रूप मानते हैं. वे यह भी कहते हैं कि इसकी वजह से ही दुनिया में गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी और जनसंख्या वृद्धि जैसे मुद्दे आज मानवता के सामने खड़े हुए हैं।
कैलाश सत्यार्थी ने कई अध्ययनों के माध्यम से अपनी बात दुनिया के सामने रखी है. उन्होंने बाल श्रम के खिलाफ अपने आंदोलन के अपने प्रयासों को एजूकेशन फाॅर आॅल दर्शन से जोड़ने का प्रयास भी किया है।
कैलाश सत्यार्थी के उपलब्धियां
कैलाश सत्यार्थी के जीवन में उन्हें ये तमाम सम्मान और पुरस्कार मिले हैं :-
क्या Kailash Satyarthi एक brahmin हैं?
जी हाँ Kailash Satyarthi का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका असली नाम कैलाश शर्मा है।
कैलाश जी के नाम पर सत्यर्थी कैसे पड़ा?
कैलाश जी एक बहुत बड़े अनुगामी हैं दयानंद सरस्वती जी के। इसलिए “Satyarthi” शब्द असल में आया हुआ है Satyarth Prakash किताब से (सत्य की रोशनी) से, इस स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने सन (1875) में लिखी थी। जिन्होंने की Arya Samaj की स्थापना की थी।
क्या Kailash Satyarthi पेशे से एक डॉक्टर हैं ?
जी नहीं उन्होंने एंजिनीरिंग की पढ़ायी करी हुई है। लेकिन हाँ उन्होंने Law में Phd करी हुई है
आज आपने क्या सीखा
ये थी Kailash Satyarthi की Biography और success story. उन्होंने भी अपना जीवन दूसरों को न्याय दिलाने में लगा दिया है वो भी आज के युग में जहाँ लोग दूसरों की छोडो अपने ही लोगों की परवाह नहीं करते, हम सबको उनसे ये सिख लेना चाहिये की दूसरों की सहायता करने में जो सुख और पुण्य मिलेगा वो किसी और चीज में नहीं.
आशा करती हूँ आपको इस लेख Kailash Satyarthi की जीवनी से प्रेरणा मिली हो, अपने विचार हमारे साथ जरुर share करें।
Mujhe achha lga kailas ji ke
Bare jaana aur hame prenana
Bhi mili
Thank you
आपके लिखने का तरीका मुझे बहुत पसंद आया …आपके सरे पोस्ट बढ़िया हैं ?
धन्यबाद अशोक
hello mem
mera name rudal kumar sahni h m bca kiya hu
mujhe bhi information share krna achchha lgta h
aap ka blog mujhe bhut achchha lga.
m ek cybercafe chalata hu jo abhi hali li me open kiya hu.
apna khud ka blog kis trh suru kr skte h..
plz reply me
Iske upar hamare website me article hain aap unhe padh kar jaan sakte hain. Agar koi sawal ho to aap puch sakte hain.
very good
Thank you..
Bahut aachi jankari se bharpoor post hai…thanks for sharing
Welcome 🙂
accha tha school activity me kaam aaya
Thank you.
Most welcome 🙂
बहुत छोटा था और ज्यादा जानकारी देते तो अच्छा लगता
Mere pass itna hi jankari tha to Maine de diya.