DAC का Full Form होता है “Digital-to-Analog Converter” और इसे अक्सर पुकारा जाता है “dac.” चूँकि computers केवल digital information को ही समझ सकते हैं, इसलिए जो output उत्पन्न होता ई computers से वो typically digital format में होता है.
लेकिन कुछ output devices केवल analog input ही accept करते हैं, जिसका मतलब है की एक digital-to-analog converter, या DAC को जरुर से इस्तमाल करना होता है.
सबसे common इस्तमाल होता है एक DAC का की इसके इस्तमाल से digital audio को analog signal में convert किया जा सकता है. ये conversion होता है sound card में, जिसमें की एक built-in DAC उपलब्ध होता है.
Digital signal, जो की असल में एक stream होती है ones और zeros की, उसे transform किया जाता है एक analog signal में जो की बाद में एक electrical charge का आकार लें. इस electrical charge को recognize कर लिया जाता है ज्यादातर speaker inputs के द्वारा और ये बाद में output को भेजा जाता है speaker system को.
DACs का इस्तमाल video signals को convert करने के लिए भी होता है. यदि हम पुराने समय की बात करें तब पाएंगे की, ज्यादातर video displays, जैसे की TVs और computer monitors इस्तमाल करते हैं analog inputs को.
अभी कुछ ही वर्षो के पहले digital displays वो भी DVI और HDMI connections के साथ ज्यादा इस्तमाल में लाया जा रहा है.
इसलिए एक computer को output करने के लिए एक analog display में, digital video signal को convert करना होता है एक analog signal में.
यही कारण है की सभी video cards जिसमें की एक analog output (जैसे की एक VGA connection हो) हो उनमें एक DAC भी जरुर से होना चाहिए.
कभी भी अगर एक signal को convert किया जाये एक format से दुसरे में, तब उसमें quality की काफी हानी होती है. इसलिए ये महत्वपूर्ण है की आपके पास एक high-quality DAC मेह्जुद हो फिर चाहे आप audio या video signals ही न क्यूँ convert कर रहे हों.
वहीँ समान चीज़ होती है तब आप ठीक उलटा conversion कर रहे होते हैं जिसमें की एक analog-to-digital converter, या ADC की जरुरत होती है.