जब एक windows के contents बहुत ही ज्यादा होते हैं मतलब की उन्हें एक window में display कर पाना कठिन हो जाता है ऐसे में एक scroll bar नज़र आता है. उदाहरण के लिए, अगर एक Web page काफी ज्यादा लम्बी होती है एक window में fit होने के लिए, तब एक scroll bar दिखाई पड़ता है window के दाहिने तरफ, जो की आपको allow करता है page में scroll up और down करने के लिए.
वहीँ अगर पेज ज्यादा wide हो जाता है window के लिए, तब ऐसे में एक और scroll bar नज़र आता है windows के bottom में, जो की आपको allow करता है left और right scroll करने के लिए. वहीँ यदि window की contents fit हो जाती है current window size के अनुसार, तब ऐसे में scroll bars दिखाई नहीं पड़ती है.
इस scroll bar में एक slider मेह्जुद होता है जिसे की user click कर drag कर सकते हैं scroll करने के लिए वो भी window में. जैसे की आप लोगों ने देखा होगा की, slider की size बदलती रहती है अलग अलग windows के लिए. ऐसा इसलिय क्यूंकि slider की size represent करती है की कितनी percentage की window content को currently display किया जाता है वो भी window के भीतर.
उदाहरण के लिए, एक slider जो की लेता है 75% वो भी scroll bar की का मतलब होता है की 75% की content fit होती है current window size में. एक slider जो की fill करता है केवल 10% की scroll bar का मतलब होता है की केवल 10% की window’s contents को ही display किया जाता है current window size के भीतर. ऐसे में, अगर दो windows होते हैं समान size के, तब जिसमें छोटा smaller slider हो उसमें ज्यादा content होते हैं दुसरे के तुलना में जिसमें की larger slider मेह्जुद होता है.
ज्यादातर scroll bars में आपको up और down या left और right arrows देखने को मिल जायेंगे जो की user को allow करता है की वो scroll कर छोटी बड़ी increments कर पायें केवल arrows को click कर. चूँकि slider की clicking और dragging करना काफ़ी fast होती है ऐसे में arrow keys का ज्यादातर इस्तमाल नहीं किया जाता है.