UEFI का Full-Form होता है “Unified Extensible Firmware Interface.” UEFI असल में एक interface होता है जो की load होता है boot sequence के पहले में और ये प्रदान करता है custom configuration options एक PC को. इसे एक successor के तोर पर समझा जाता है BIOS का और वहीँ ये offer करता है काफ़ी सारे advantages, जिनमें शामिल हैं mouse support, एक graphical user interface, और support वो भी 32-bit और 64-bit systems को.
UEFI एक standardized version होता है original Extensible Firmware Interface (EFI) specification का जिसे की develop किया गया है Intel के द्वारा. वहीँ इसे manage किया जाता है Unified Extensible Firmware Interface Forum के द्वारा, जो की बना हुआ है की 250 member companies से भी ज्यादा मिलकर. इन standardized UEFI specifications को designed किया गया है ये ensure करने के लिए की components वो भी अलग अलग hardware manufacturers से, उन्हें recognize और control किया जा सकें via UEFI के.
Accessing the UEFI
UEFI को design किया गया है advanced users के लिए, इसलिए by default इसे display नहीं किया जाता है startup process के दौरान. UEFI को load करने का सबसे standard तरीका है ज्यादातर Windows PCs में, जिसमें आपको press करना होता है F2 key को जब computer start हो रहा होता है. Typically, आपको key को press करना होता है जब manufacturer की logo (जैसे की “Dell” या “HP”) appear होती है.
वहीँ Windows 8 और 10 में, आप Troubleshoot option का इस्तमाल कर सकती है enable करने के लिए “UEFI Firmware Settings” वो भी next restart से पूर्व. Configuration options जो की उपलब्ध करवाए जाते हैं UEFI में वो vary करते हैं एक दुसरे से, वहीँ ये निर्भर करती हैं manufacturer और computer model के ऊपर.
Typically, आप perform कर सकते हैं administrator tasks जैसे की formatting और partitioning storage devices की. वहीँ आप अपने boot disk को भी बदल सकते हैं और साथ में कुछ specific peripherals को activate या deactivate भी कर सकते हैं. वहीँ कुछ systems आपको allow करते हैं overclock करने के लिए आपके CPU को ये run करने के लिए आपके PC को एक low-power “eco-friendly” mode में.
Warningचूँकि UEFI आपको प्रदान करती है administrative control वो भी low-level settings के ऊपर, ये मुमकिन है की आप कुछ ऐसे बदलाव भी कर सकते हैं जिससे की आप अपने computer को harm भी पहुंचा सकते हैं. इसलिए, आपको discretion का इस्तमाल करना चाहिए जब आप किसी भी प्रकार का बदलाव कर रहे हैं UEFI के भीतर में. ऐसे में अगर आपका computer ठीक रूप से function न करें starting up होने के बाद ( जैसे की अगर fans run हो ज्यादा fast), तब आप फिर से restart कर सकते हैं और इस्तमाल कर सकते हैं UEFI को अपने किये गए बदलाव को revert करने के लिए.
[su_note note_color=”#fffcde” text_color=”#000000″]Intel-based Macs इस्तमाल करते हैं EFI जिससे की manage किया जा सके hardware configuration, लेकिन वहीँ UEFI उपलब्ध नहीं होता है startup के दौरान.[/su_note]
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