एक Halftone, या halftone image, एक ऐसा image होता है जो की बना हुआ होता है discrete dots से न की continuous tones से.
वहीँ जब इन्हें देखा जाता है एक distance से, तब ये dots एकसाथ blur हो जाते हैं, साथ ही ये एक illusion create करते हैं continuous lines और shapes की.
वहीँ एक image को halftoning करने पर (convert करने पर एक bitmap से एक halftone में), इसे बहुत ही कम ink में print किया जा सकता है.
यही कारण है की बहुत से newspapers और magazines इस्तमाल करते हैं halftoning की Pages को print करने के लिए ज्यादा efficiently.
असल में, halftoning को किया जाता था mechanically printers के द्वारा, जो की images को print करती थी एक screen के द्वारा एक grid of holes में. वहीँ इस printing process में, ink को pass किया जाता है holes के माध्यम से screen पर, जिससे paper में dots create किये जाते हैं.
इसमें monochrome images के लिए, केवल एक ही pass की जरुरत होती है एक image create करने के लिए. वहीँ एक multicolor images तैयार करने में, several passes या “screens” की जरुरत होती है.
आजकल के printers ज्यादा advanced होते हैं और typically इनमें physical screens भी नहीं होते हैं. बल्कि ये halftone images को generate किया जाता है एक computer के द्वारा और साथ में resulting image को print किया जाता है paper में.
एक process जिसे कहते हैं dithering, उसका इस्तमाल कर modern printers आसानी से randomize कर सकते हैं dot patterns को, जिससे की एक ज्यादा natural appearance बनाया जा सके. ये उत्पन्न करता है realistic images को जिसमें की काफी कम ink का इस्तमाल होकर भी fully saturated ones तैयार होते हैं.
एक standard bitmap के तरह ही, एक halftone image की quality निर्भर करती है इसके resolution में. एक halftone जिसमें high resolution (जिसे की measure किया जाता है LPI में) होता है, उसमें ज्यादा greater detail होती है एक halftone की तुलना में कम resolution पर भी.
वैसे तो लक्ष्य ही होता है इस halftoning का एक realistic image बनाने का, इसलिए कुछ समय में low resolutions का इस्तमाल होता है एक artistic effect लाने के लिए.