OLED का Full-Form होता है “Organic Light Emitting Diode” और इन्हें pronounce किया जाता है “oh-led.” OLED एक प्रकार का flat-screen display होता है जो की काफ़ी हद तक समान होता है एक LCD के तरह, वहीँ इसे किसी भी प्रकार की backlight की जरुरत नहीं होती है. बल्कि, प्रत्येक LED एक OLED panel के भीतर individually ही जलती है.
एक OLED screen की six layers होते हैं जो की एक साथ कार्य करते हैं जिससे color images पैदा होती है. इन layers में शामिल होती है ये सभी चीज़ें वो भी bottom से top तक :
1. Substrate – ये foundational structure होता है जो की support करता है panel को; वहीँ ये typically बना हुआ होता है glass या plastic से.
2. Anode – एक transparent layer जो की remove करता है electrons को जब electrical current उसके माध्यम से flow होते हैं तब.
3. Conductive Layer – इसमें शामिल होते हैं organic molecules या polymers जैसे की polyaniline जो की transfer करते हैं current को emissive layer तक.
4. Emissive Layer – इसमें शामिल होते हैं organic molecules या polymers जैसे की polyfluorene जो की light up होते हैं जब current उनके माध्यम से pass होता है तब.
5. Cathode – ये inject करता है electrons को दुसरे layers में जब इनमें से current flow होता है तब.
6. Cover – ये top protective layer होता है screen का; जो की typically बना हुआ होता है glass या फिर plastic से.
OLED काम कैसे करता है?
OLEDs display करता है light को वो भी एक प्रक्रिया के द्वारा जिसे की electrophosphorescence कहते हैं. वैसे तो ये एक अजीब सा शब्द सुनाई पड़ता है, लेकिन यह प्रक्रिया बहुत ही simple है.
Electrical current सबसे पहले flow होता है cathode (negatively charged) से anode (positively charged) तक, जिससे की होता ये है की electrons भी move करते हैं emissive layer को. ये electrons को मिल जाता है “holes” (ये ऐसे atoms होते हैं जिनमें की electrons missing होते हैं) वो भी conductive layer में और ये पैदा करता है light जब वो पूर्ण कर देते हैं इन holes को. यहाँ पर Light का color इस बात पर निर्भर करता है की कौन सी organic molecules से current pass करता है emissive layer में.
चूँकि OLED में diodes display करते हैं light up individually, ऐसे में किसी भी प्रकार की backlight की जरुरत नहीं होती है. इसका मतलब की OLEDs में darker blacks हो सकती है LED/LCD displays की तुलना में और वहीँ ये इस्तमाल करती हैं कम electricity भी. ये वैसे तो काफी thinner होते हैं वहीँ ये curved या कहीं कहीं पर bendable भी हो सकते हैं. वैसे तो OLEDs की काफ़ी ज्यादा advantages होते हैं LED/LCD displays की तुलना में, इसी कारण बड़े reliable OLED Screens बनाना काफी कीमती पड़ सकता है.
यही कारण है की OLEDs का ज्यादातर इस्तमाल छोटे electronics, जैसे की smartphones और tablets में ज्यादा होता है. जैसे जैसे OLED production costs कम होने लगेगी और इसकी reliability बढेंगी, तब इस technology का इस्तमाल larger screens में ज्यादा देखने को मिलेगा, जैसे की televisions और computer monitors में.
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