Sampling

Digital Recording के आने से पहले, audio और video को record किया जाता था analog में. Audio को पहले record किया जाता था devices में जैसे की cassette tapes और records. Video को record किया जाता था Beta और VHS tapes में. वहीँ media को analog format में भी edit किया जाता था, वो भी multichannel audio tapes (जैसे की 8-tracks) का इस्तमाल कर music के लिए, और film reels वो भी video recordings के लिए. इस method में काफी बार rewinding और fast-forwarding करना पड़ता था, जिसके कारण की यह एक बहुत ही time-consuming process होता था.

आज के समय के बात करें तो, digital recording ने काफ़ी हद तक analog recording को replace कर दिया है. Digital editing को अब ज्यादा efficiently किया जाने लगा है analog editing की तुलना में और वहीँ media अब कोई भी quality lose नहीं करती है इस process के दौरान. वहीँ चूँकि, जो भी हम इन्सान देखते और दुनते हैं वो सभी analog format (linear waves की light और sound) में होता है, इसलिए audio और video को save करना वो भी एक digital format में, इसमें जरुरत होता है की signal को convert किया जाये analog से digital में. इसी process को ही sampling कहा जाता है.

Sampling में involve होते हैं snapshots लेना वो भी एक audio या video signal की काफी ज्यादा fast intervals में, जो की usually tens of thousands of times per second होती हैं. इसमें digital signal की quality को निर्धारित किया जाता है ज्यादातर sampling rate से, या bit rate उस signal की जिसमें की उसे sampled किया गया हो. जितनी ज्यादा higher bit rate हो, ऐसे में उतनी ही ज्यादा samples भी create होंगी per second, और ज्यादा realistic होगा resulting audio या video file भी.

उदाहरण के लिए, CD-quality audio को sample किया गया होता है 44.1 kHz, या 44,100 samples per second में. इसलिए एक 44.1 kHz digital recording और original audio signal में ज्यादा फरक नहीं होता है ज्यादातर लोगों के हिसाब से. वहीँ अगर audio को record किया जाये 22 kHz (half the CD-quality rate) में, तब ज्यादातर लोगों को quality में आये गिरावट का जरुर से पता चल सकता है.

Samples को create किया जा सकता है sampling कर live audio और video को या फिर sampling कर previously recorded analog media को. चूँकि samples estimate करती हैं analog signal को, इसलिए digital representation कभी भी उतनी accurate नहीं होती है जैसे की analog data होती है. लेकिन, अगर एक high enough sampling rate का इस्तमाल किया जाये, इन दोनों के अंतर को हमारी इंसानी senses notice नहीं कर सकती है.

चूँकि digital information को edit और save किया जा सकता है एक computer के इस्तमाल से और वहीँ ये deteriorate भी नहीं होगी जैसे की analog media, इसलिए quality/convenience tradeoff जो की इसमें involve होती है sampling में वो जरुर से well worthwhile होती है.

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