क्या आपको पता है कि “Aaj Kaun Si Tithi Hai” या फिर “Kal Ki Tithi“? तिथियों का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। वे हमें जीवन के महत्वपूर्ण कार्यों और त्योहारों के बारे में बताती हैं। लेकिन आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अकसर भूल जाते हैं कि आज कौन सी तिथि है और उसका क्या महत्व है।
चाहे वह पूजा-पाठ, त्यौहार, विवाह समारोह या कोई भी महत्वपूर्ण कार्य हो, तिथि के अनुसार ही उसे करने का निर्णय लिया जाता है। गलत तिथि में किया गया कार्य फलदायी नहीं माना जाता। इसलिए प्रत्येक हिंदू के लिए यह जानना बेहद आवश्यक है कि आज कौन सी तिथि है।
इस लेख में हम जानेंगे कि आज कौन सी तिथि है पंचांग के अनुसार और उस तिथि का हमारे जीवन में क्या महत्व है। क्या आज कोई खास पर्व या उत्सव मनाया जाता है? क्या आज कुछ खास कार्य करने या न करने की सलाह दी जाती है? चलिए हम शुरुआत करते हैं और पता करते हैं आज की तिथि हिन्दू कैलेंडर के बारे में। उससे पहले आप आज कौन सा ग्रहण है के बारे में पढ़ें।
तिथि क्या है?
तिथि, चंद्रमा की पृथ्वी की परिक्रमा पर आधारित है। प्रत्येक माह में चंद्रमा अपनी कक्षा में पृथ्वी की परिक्रमा करता है और इस दौरान उसकी स्थिति में परिवर्तन होता है। एक पूर्ण चक्र में चंद्रमा की स्थिति 30 भिन्न-भिन्न अवस्थाओं में परिवर्तित होती है जिन्हें तिथि कहा जाता है। प्रत्येक तिथि की अवधि लगभग एक दिन की होती है।
हिंदू पंचांग में तिथि का बेहद महत्व है क्योंकि यह विभिन्न शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त तिथि और मुहूर्त निर्धारित करने में सहायता करती है। तिथि के आधार पर ही विवाह, मुंडन, गृहप्रवेश, वाहन खरीदना, नए व्यवसाय की शुरुआत जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए शुभ दिन और मुहूर्त चुना जाता है।
तिथि चंद्र कैलेंडर पर आधारित होती है जो लगभग 29.5 दिन में एक बार पूरा होता है। इसलिए प्रत्येक माह की तिथियाँ भिन्न होती हैं। साथ ही, वर्ष में चांद्र मास और सौर मास में अंतर होने से भी तिथियों में परिवर्तन आता है। तिथि धार्मिक और पारिवारिक कार्यों को नियोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
Aaj Kaun Si Tithi Hai 2024
आज की तिथि हिन्दू कैलेंडर के अनुशार है मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष अष्टमी। निचे टेबल में आपको पुरे महीने की तिथि के बारे में जानकारी मिल जायेगा।
तारीख | मास | पक्ष | तिथि |
---|---|---|---|
1 दिसंबर 2023 (शुक्रवार) | मार्गशीर्ष | कृष्ण | चतुर्थी |
2 दिसंबर 2023 (शनिवार) | मार्गशीर्ष | कृष्ण | पंचमी |
3 दिसंबर 2023 (रविवार) | मार्गशीर्ष | कृष्ण | षष्ठी |
4 दिसंबर 2023 (सोमवार) | मार्गशीर्ष | कृष्ण | सप्तमी |
5 दिसंबर 2023 (मंगलवार) | मार्गशीर्ष | कृष्ण | अष्टमी |
6 दिसंबर 2023 (बुधवार) | मार्गशीर्ष | कृष्ण | नवमी |
7 दिसंबर 2023 (गुरुवार) | मार्गशीर्ष | कृष्ण | दशमी |
8 दिसंबर 2023 (शुक्रवार) | मार्गशीर्ष | कृष्ण | एकादशी |
9 दिसंबर 2023 (शनिवार) | मार्गशीर्ष | कृष्ण | द्वादशी |
10 दिसंबर 2023 (रविवार) | मार्गशीर्ष | कृष्ण | द्वादशी |
11 दिसंबर 2023 (सोमवार) | मार्गशीर्ष | कृष्ण | त्रयोदशी/चतुर्दशी |
12 दिसंबर 2023 (मंगलवार) | मार्गशीर्ष | कृष्ण | अमावस्या |
13 दिसंबर 2023 (बुधवार) | मार्गशीर्ष | शुक्ल | प्रतिपदा |
14 दिसंबर 2023 (गुरुवार) | मार्गशीर्ष | शुक्ल | द्वितीया |
15 दिसंबर 2023 (शुक्रवार) | मार्गशीर्ष | शुक्ल | तृतीया |
16 दिसंबर 2023 (शनिवार) | मार्गशीर्ष | शुक्ल | चतुर्थी |
17 दिसंबर 2023 (रविवार) | मार्गशीर्ष | शुक्ल | पंचमी |
18 दिसंबर 2023 (सोमवार) | मार्गशीर्ष | शुक्ल | षष्ठी |
19 दिसंबर 2023 (मंगलवार) | मार्गशीर्ष | शुक्ल | सप्तमी |
20 दिसंबर 2023 (बुधवार) | मार्गशीर्ष | शुक्ल | अष्टमी |
21 दिसंबर 2023 (गुरुवार) | मार्गशीर्ष | शुक्ल | नवमी |
22 दिसंबर 2023 (शुक्रवार) | पौष | शुक्ल | दशमी |
23 दिसंबर 2023 (शनिवार) | पौष | शुक्ल | एकादशी/द्वादशी |
24 दिसंबर 2023 (रविवार) | पौष | शुक्ल | त्रयोदशी |
25 दिसंबर 2023 (सोमवार) | पौष | शुक्ल | त्रयोदशी |
26 दिसंबर 2023 (मंगलवार) | पौष | शुक्ल | पूर्णिमा |
27 दिसंबर 2023 (बुधवार) | पौष | कृष्ण | प्रतिपदा |
28 दिसंबर 2023 (गुरुवार) | पौष | कृष्ण | द्वितीया |
29 दिसंबर 2023 (शुक्रवार) | पौष | कृष्ण | द्वितीया |
30 दिसंबर 2023 (शनिवार) | पौष | कृष्ण | तृतीया |
31 दिसंबर 2023 (रविवार) | पौष | कृष्ण | चतुर्थी |
तिथियों के नाम
हिंदू पंचांग की तिथियों को दो भागों में बांटा गया है – शुक्ल और कृष्ण पक्ष। प्रत्येक में कुल 15 तिथि हैं। इस प्रकार से हिंदू कैलेंडर में 30 (15+15) तिथियाँ होती हैं, जो प्रत्येक पक्ष में 15-15 होती हैं। प्रत्येक पक्ष 14-15 दिनों का होता है, जो संपूर्ण (पूर्णिमा) या नव (अमावस) में समाप्त होता है।
प्रत्येक तिथि का एक नाम भी होता है, जो नीचे सूची में बतायी गयी है:
क्रमांक | तिथि | तिथि का नाम हिंदी में |
---|---|---|
1 | Pratipada | प्रतिपदा |
2 | Dwitiya | द्वितीया |
3 | Tritiya | त्रितीया |
4 | Chaturthi | चतुर्थी |
5 | Panchami | पंचमी |
6 | Shashthi | षष्ठी |
7 | Saptami | सप्तमी |
8 | Ashtami | अष्टमी |
9 | Navami | नवमी |
10 | Dashami | दसमी |
11 | Ekadashi | एकादसी |
12 | Dwadashi | द्वादसी |
13 | Trayodashi | त्रयोदसी |
14 | Chaturdashi | चतुर्दसी |
15 | Purnima | पूर्णिमा |
16 | Amavasya | अमावस्या |
इन तिथियों को शुभ और अशुभ के रूप में भी वर्गीकृत किया जाता है, जो कार्य, पूजा, और मुहूर्त के लिए महत्वपूर्ण होता है।
तिथियों के देवता
चलिए जानते हैं तिथियों के देवता के बारे में। जैसे की अभी तक हमने जाना की कुल 30 तिथि होती है। वैसे ही इन सभी तिथि के एक एक देवता भी होते हैं, जिन्हें जो तिथि दी गई, वह उसका ही स्वामी कहलाया जाता है। आपकी जानकारी के लिए हमने नीचे प्रत्येक तिथि के देवता के बारे में बताया हुआ है, और उस देवता के पूजन से क्या फल मिलती है।
तिथि | देवता | पूजन का फल |
---|---|---|
प्रतिपदा | अग्नि | धान्य और धन की प्राप्ति |
द्वितीया | ब्रह्मा | सभी विद्याओं में पारंगत होना |
तृतीया | कुबेर | विपुल धन प्राप्ति |
चतुर्थी | गणेश | विघ्नों का नाश |
पंचमी | नाग | विष भय न होना, संतान प्राप्ति |
षष्ठी | कार्तिकेय | मेधा, सौंदर्य और ख्याति प्राप्ति |
सप्तमी | सूर्य | रक्षा प्राप्ति |
अष्टमी | शिव | ज्ञान और कांति प्राप्ति |
नवमी | दुर्गा | संसार सागर पार करना |
दशमी | यम | रोग निवारण और मृत्यु से मुक्ति |
पूर्णिमा | चंद्र | संसार पर आधिपत्य |
अमावस्या | पितर | प्रजा वृद्धि, आयु वृद्धि आदि |
इन देवताओं की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है, और जीवन में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य, संतान, धन, विद्या, और मुक्ति मिलती है। इस प्रकार तिथियों का क्षय और वृद्धि स्वयं सूर्यनारायण ही करते हैं। अत: वे सबके स्वामी माने जाते हैं।
तिथि कब बदलती है?
तिथि का परिवर्तन सूर्य और चंद्रमा के माध्यम से होता है। जब सूर्य और चंद्रमा के मध्य का कोन 12° से कम होता है, तो अमावस्या होती है, और जब 180° होता है, तो पूर्णिमा होती है।
प्रत्येक तिथि की अवधि 19.5 से 26.5 घंटे के बीच होती है, जो समय, स्थान, और माह के अनुसार परिवर्तन होती है। तिथि का प्रारंभ समुद्र तल से नापे गए सूर्योदय के समय से होता है, और अंत समुद्र तल से नापे गए अगले सूर्योदय के समय तक होता है।
तिथि का बदलाव हर 12° पर होता है, जो कि प्रत्येक 24° में एक बार होता है। इसलिए, तिथि का परिवर्तन किसी भी समय हो सकता है, चाहे वह दिन हो या रात।
तिथियां कितनी होती है?
हिंदू कैलेंडर में 30 (15+15) तिथियाँ होती हैं, परंतु कुछ महीनों में 31(16+15) तिथियाँ भी हो सकती हैं। इसका कारण है कि सूर्य की क्रांति (Solar Revolution) 365.25 दिनों में पूरी होती है, जबकि चंद्रमा की क्रांति (Lunar Revolution) 29.5 दिनों में पूरी होती है।
इससे होता यह है कि प्रत्येक साल में 12.36 (365.25/29.5) माह (Lunar Months) होते हैं, जो 12 (Solar Months) से अधिक होते हैं। इसे समान करने के लिए, प्रत्येक 2-3 साल में एक माह (Adhik Maas) को जोड़ा जाता है, जिसमें 16 (15+1) तिथियाँ होती हैं।
उम्मीद है आपके मन में जो सवाल था की तिथियाँ कितनी होती है वो अब पूरी तरह से मिट चुकी होगी।
हिंदी पंचांग अनुसार आज की तिथि क्या है?
आज का पंचांग तिथि है आश्विन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी।
तिथि की गणना कैसे की जाती है?
तिथि की गणना सूर्योदय से सूर्योदय तक के समय को ध्यान में रखकर की जाती है।
हिंदू कैलेंडर में तिथि क्या है?
हिंदू कैलेंडर में ‘तिथि’ एक वैदिक काल मापन है, जो सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक का समय दर्शाती है।
कौन सी तिथि अच्छी है?
वह तिथि अच्छी है जो आपके लिए शुभ और सुविधाजनक हो।
आज आपने क्या जाना?
मुझे उम्मीद है की अभी तक आपको “Aaj Kaun Si Tithi Hai” के बारे में सबकूछ पता चल ही चुका होगा। इस आधुनिक युग में भी लोगों का विश्वास हिंदू पंचांग से उठा नहीं है। आज भी वो तिथि को महत्वपूर्ण मानते हैं किसी भी नयी या सुभ कार्य की शुरूवात करने से पहले।
यदि अभी भी आपके मन में किसी भी प्रकार की कोई शंक़ा आज कौन सी तिथि है? को लेकर उत्पन्न हो रही हो तब आप हमें नीचे के comment section में अपने सवाल लिखकर पूछ सकते हैं। वहीं यदि आपको ये पोस्ट अच्छी लगी हो तब अपने दोस्तों के साथ इसे ज़रूर से share अवस्य करें। धनयवाद।