3D printer एक computer-aided manufacturing (CAM) device होता है जो की three-dimensional objects create करता है.
ये भी एक traditional printer के तरह ही, digital data receive करता है एक computer से input के तोर पर. वहीँ ये output को एक paper के ऊपर print करने के स्थान में, एक 3D printer तैयार करता है एक three-dimensional model वो भी उसके पास मेह्जुद custom material से.
3D printers जिस तकनीक का इस्तमाल करते हैं उसे additive manufacturing कहा जाता है. इस तकनीक में एक physical object को बनाने के लिए उसे layer by layer add किया जाता है, उसे तैयार करने के लिए जब तक की model पूरी तरह से complete न हो जाये.
वहीँ ये तकनिक बिलकुल ही अलग होती है subtractive manufacturing से, जहाँ पर एक machine या तो reshape करता है या फिर materials remove करता है एक existing mold से.
चूँकि 3D printers models को create करते हैं बिलकुल ही scratch से, इसलिए वो ज्यादा ही efficient होते हैं और वहीँ बहुत ही कम waste पैदा करते हैं subtractive manufacturing devices की तुलना में.
3D Model Printing करने की प्रक्रिया काफी अलग अलग होती है अलग अलग materials के लिए. जैसे की एक plastic model को बनाने के लिए, 3D printer plastic के layers को heat और fuse करता है एक साथ, वहीँ इस प्रक्रिया को fused deposition modeling (FDM) कहा जाता है.
वहीँ एक metallic object create करते वक़्त, एक 3D printer इस्तमाल करता है direct metal laser sintering (DMLS) तकनीक का. इस प्रक्रिया में metal के पतले layers फॉर्म किये जाते हैं metallic powder से वो भी एक high powered laser के इस्तमाल से.
जहाँ 3D printing सन 1980 से ही बन चुके थे और इन्हें ख़ास तोर से large scale industrial purposes में ही इस्तमाल किया जाता था. वहीँ अभी के समय में, 3D printers काफी ज्यादा सस्ते बन गए हैं और अब ये consumer market में ही उपलब्ध है.
जैसे जैसे इसकी technology ज्यादा widespread हो रही है, ऐसे में वो दिन दूर नहीं जब 3D printers एक viable means बन जायेगा लोगों के लिए, जिससे की वो अपने सभी home products और replacement parts आसानी से बना सकेंगे.
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