LCD एक flat panel display technology होता है जिसे की commonly इस्तमाल किया जाता है TVs और computer monitors में. वहीँ इसका इस्तमाल screens के तोर पर भी किया जाता है mobile devices में, जैसे की laptop, tablet, और smartphone.
LCD का Full Form होता है “Liquid Crystal Display.” LCD displays दिखने में ठीक bulky CRT monitors के तरह ही प्रतीत होते है, लेकिन जिस हिसाब से वो operate होते है वो काफी अलग होती है उस मुकाबले में. एक Glass Screen में electrons की firing करने की स्थान पर, एक LCD में backlight होता है जो की प्रदान करता है light individual pixels को जिन्हें की arrange किया गया होता है एक rectangular grid में.
इसमें प्रत्येक pixel में एक red, green, और blue RGB sub-pixel होता है जिन्हें की turn on या off किया जा सकता है. जब एक Pixel के सभी sub-pixels को बंद कर दिया जाता है, तब ये black (काला) दिखाई पड़ता है.
वहीँ जब सभी sub-pixels को on कर दिया जाता है 100%, तब ये White (सफ़ेद) दिखाई पड़ता है. इसमें individual levels की red, green, और blue light को adjust कर, color के सेकड़ों combinations बनाया जा सकता है.
LCD काम कैसे करता है?
इस liquid crystal display की backlight प्रदान करता है एक even light source screen के पीछे से. इससे light हो जाता है polarized, मतलब की केवल आधी light shine करती है liquid crystal layer से.
वहीँ liquid crystals बनी होती है एक part solid से, part liquid substance जिसे की “twist” किया जा सकता है electrical voltage के apply करने पर. ये block करते हैं polarized light जब इन्हें off किया जाता है, लेकिन साथ में ये reflect भी करते हैं red, green, or blue light जब activate किये जाते हैं.
प्रत्येक LCD screen में एक matrix होता है pixels की जो की display करता है image को screen पर. वहीँ प्रत्येक LCDs में passive-matrix screens होते हैं, जिन्हें की control किया जाता है individual pixels से, जिसके लिए एक charge को भेजा जाता है उनके row और column में.
चूँकि एक limited number की electrical charges को ही भेजा जा सकता है प्रति second, इसलिए passive-matrix screens ज्यादा परिचित हैं blurry दिखने के लिए जब images को move किया जाता है quickly screen पर. Modern LCDs typically इस्तमाल करते हैं active-matrix technology, जिसमें मेह्जुद होते हैं film transistors, या TFTs.
इन transistors में शामिल होते हैं capacitors जो की enable करते हैं individual pixels को “actively” उनके charge को retain करने के लिए. यही कारण है की active-matrix LCDs ज्यादा efficient होते हैं और साथ में ज्यादा responsive भी दीखते हैं passive-matrix displays की तुलना में.
[su_note]एक LCD की backlight या तो एक traditional bulb होती है या LED light. वहीँ एक “LED display” simply एक LCD screen होती है एक LED backlight के साथ. ये पूरी तरह से अलग होती है एक OLED display से, जो की lights up करती है individual LEDs प्रत्येक pixel के लिए.[/su_note]
जब liquid crystals block करती है ज्यादातर light को LCD के backlight की जब उन्हें बंद की जाता है, तब कुछ light फिर भी shine करती है उसके बिच से भी (जो की उसे noticeable बनाते है एक अँधेरे कमरे में). इसलिए OLEDs में typically ज्यादा darker black levels होते हैं LCDs की तुलना में.
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