NAS का Full-Form होता है “Network Attached Storage.” यह एक typical computer होता है जो की store करता है data को वो भी internal और external hard drives के इस्तमाल से. अगर एक computer को connect किया जाये एक network में, तब ये data को share कर सकता है इसकी connected hard drives में जो की network के दुसरे systems के साथ जुड़ा हुआ होता है. वैसे तो ये allow करता है multiple computers को data send करने के लिए back और forth, वहीँ इसकी जरुरत होती है की प्रत्येक computer share करे इसकी files को individually. यही कारण है की यदि एक computer turned off हो जाये या disconnected हो जाये network से, तब इसकी files उपलब्ध नहीं होती है दुसरे systems के लिए.
NAS के इस्तमाल से, computers data को store और access कर सकती है वो भी एक centralized storage location से. यहाँ पर प्रत्येक computer अपनी files को share करने के बदले में, यहाँ पर shared data को stored किया जाता है एक single NAS server में. ये प्रदान करता है एक simpler और ज्यादा reliable तरीका Files को share करने का वो भी एक Network में.
एक बार एक NAS server connect हो जाये एक network (typically via Ethernet) के साथ, तब इसे configure किया जा सकता है files को share करने के लिए वो भी multiple computers के साथ उसी network में. इसमें admin चाहे तो access को allow कर सकता है सभी systems के लिए या फिर access को limit भी कर सकता है एक limited number की authenticated machines को ही बस.
NAS servers में typically काफ़ी सारे multiple hard drives मेह्जुद होते हैं, जो की प्रदान करते हैं एक काफ़ी बड़ी मात्रा की shared disk space वो भी connected systems को जिससे की data को save किया जा सके. इन्हें अक्सर इस्तमाल किया जाता है business networks में, लेकिन अभी ये काफी ज्यादा इस्तमाल किया जाने लगा है home networks में भी. चूँकि NAS इस्तमाल करता है एक centralized storage device, तो ऐसे मरीं यह एक simple way हो सकता है family members के लिए जो की उनके data को share और backup करना चाहते हैं.
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