एक packet काफी छोटी मात्रा की data होती है जिसे की एक network के माध्यम से भेजा जाता है, जैसे की एक LAN या Internet. ये काफी ज्यादा समान होता है एक real-life package के तरह, इसमें प्रत्येक packet में शामिल होता है एक source और destination, वहीँ इसके साथ content (या data भी) जिसे की transfer किया जा रहा हो. जब packets अपने destination या लक्ष्य तक पहुँचते हैं, तब वो एक साथ reassemble होकर एक single file या दुसरे contiguous block of data बन जाते हैं.
जहाँ की exact structure एक packet की काफी ज्यादा vary करती है protocols के बिच में, वहीँ एक typical packet में शामिल होता है दो sections — एक header और एक payload. Packet के विषय में Information store होता है header में. उदाहरण के लिए, एक IPv6 header में शामिल होते हैं निचे दिए गए fields:
1. Source address (128 bits) – ये IPv6 address होता है packet origin की
2. Destination address (128 bits) – ये IPv6 address होता है packet destination की
3. Version (4 bits) – “6” वो भी IPv6 के लिए
4. Traffic class (8 bits) – इसका इस्तमाल Packet की priority setting करने के लिए होता है
5. Flow label (20 bits) – ये एक प्रकार का optional ID होता है जो की label करता है packet को एक हिस्से के
तोर पर एक specific flow की ; वहीँ इसका इस्तमाल होता है अलग करने के लिए multiple transmissions को एक single origin से.
6. Payload length (16 bits) – ये size होती है data की, जिसे की defined किया जाता है octets में
7. Next header (8 bits) – ID होता है header की जो की follow करता है current packet को; वहीँ ये TCP, UDP, या कोई दूसरा protocol भी हो सकता है
8. Hop limit (8 bits) – इसमें maximum number की network hops (वो भी routers, switches, इत्यादि के बीच) packet को drop करने से पहले; इसे “TTL” भी कहा जाता है IPv4 में.
एक Packer की payload section में शामिल होता है वो actual data जिसे की transfer किया जाना है. ये असल में एक छोटा सा हिस्सा होता है एक file, webpage, या दुसरे transmission की , चूँकि individual packets काफ़ी ज्यादा छोटे होते हैं. उदाहरण के लिए, एक IP Packer Payload की maximum size होती है करीब 65,535 bytes, या 64 kilobytes. वहीँ maximum size एक Ethernet packet या “frame” की होती है केवल 1,500 bytes या 1.5 kilobytes.
Packets को हमेशा सही रूप से data transfer करने के लिए निर्देशित किया गया होता है जिससे की वो reliably और efficiently डाटा का transfer कर सकें. एक बड़े file या एक single block के data के जगह में छोटे packets के रूप में data को भेजने से सभी data को सफलतापूर्वक भेजा जा सकता है. ऐसे में अगर कोई packet receive नहीं होता है या फिर “dropped” हो जाता है, तब ऐसे में केवल उसी dropped packet को ही resent करने की जरुरत होती है. वहीँ अगर एक data transfer का सामना होता है network congestion वो भी multiple simultaneous transfers के कारण, तब ऐसे में बकाया packets को reroute किया जाता है एक कम congested path के जरिये.
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