RAM का Full Form होता है “Random Access Memory” और इसे “ram” pronounce किया जाता है. RAM असल में एक common hardware component होता है की आमतोर से सभी electronic devices में आपको देखने को मिल जायेगा, जिसमें शामिल है desktop computers, laptops, tablets, और smartphones.
अगर computers की बात करें तब, RAM को install किया गया होता है memory modules के तोर पर, जैसे की DIMMs या (SO-DIMMs sodimm). वहीँ tablets और smartphones में, RAM को typically integrate किया गया होता है device के जिसे की बाहर निकाला भी नहीं जा सकता है.
एक device में कितनी मात्रा की RAM मेह्जुद है उससे ये निर्धारित होता है की कितनी memory का इस्तमाल operating system और open applications कर सकते हैं.
जब एक device में sufficient RAM मेह्जुद होती है, तब बहुत से programs एक साथ simultaneously run कर सकते हैं बिना किसी slowdown के. वहीँ जब एक device इस्तमाल करती है करीब अपनी 100% की available RAM को, तब memory को एक दुसरे के बिच में swap (अदल बदल) करना होआ है जिससे की एक noticeable slowdown देखने को मिलता है. इसलिए जरुरत होने पर RAM को बढ़ाना या कोई नयी device खरीदना जिसमें की ज्यादा RAM हो, ये वो तरीकें हैं जिससे की performance को improve किया जा सकता है.
“RAM” और “memory” को अदल बदल कर इस्तमाल किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, एक computer में जिसमें की 16 GB की RAM है उसमें 16 gigabytes की memory होती है. ये काफ़ी अलग है storage capacity से, जो की refer करता है की कितनी disk space खाली है device की HDD या SSD में जो की files store करने के लिए इस्तमाल होती है.
System memory को “volatile” memory भी माना जाता है चूँकि ये केवल तभी data store करती है जब एक device turned on हो. वहीँ जब device को बंद कर दिया जाता है, तब जो भी data store होता है RAM में वो सभी अपने आप ही erase हो जाता है. जब device को restart किया जाता है, तब operating system और applications load करते हैं fresh data system memory में. यही कारण है की छोटे मोटे computer के problem computer restart करने पर ही ठीक हो जाते हैं.
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