बहुत से लोग नहीं जानते कि गोवर्धन पूजा क्यों मनाया जाता है? और यदि जानते भी हैं तो पूर्ण रूप से नहीं जानते हैं। आज की इस पोस्ट में हम आपको गोवर्धन पूजा से जुड़ी हर चीज बताएंगे। दीपावली के पाँच दिवसीय पर्व में गोवर्धन पूजा का पर्व भी शामिल है। गोवर्धन पूजा हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है क्योंकि इस पर्व से भगवान श्री कृष्ण जी कहानी जुड़ी हुई है।
इस दिन गोवर्धन पर्वत, गोधन यानी गाय और श्रीकृष्ण जी की पूजा की जाती है। भारत देश में गाय को माता लक्ष्मी का रूप माना गया है। जैंसे मां लक्ष्मीं सभी को धन संपदा देती है वैंसे ही गाय हमें अमूल्य दूध देती है जिससे दही, मलाई, पनीर, मठा, खोबा आदि बहुत सी पौष्टिक चीजें बनाई जाती है और गाय जो बछड़ा देती है वह बड़े होकर हमारे खेतों की जुताई करता है। इसलिए आज मैंने सोचा की क्यों न आप लोगों भी गोवर्धन पूजा से जुडी कुछ जानकारी जैसे की गोवर्धन पूजा क्या है और गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है प्रदान करूँ। बिना देरी किये तो फिर चलिए शुरू करते हैं.
गोवर्धन पूजा क्या है?
गोवर्धन पूजा हिन्दू धर्मावलंबियों के द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है जो कि दीपावली के पंचदिवसीय मनाये जाने वाले त्यौहारों में से एक है। गोवर्धन पूजा के दिन को अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है। गोवर्धन पूजा का पर्व हर वर्ष दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाता है।
देखा जाए तो हिन्दू धर्म में मनाए जाने वाले प्रत्येक पर्व के पीछे कोई न कोई मान्यता है और सभी पर्वों के पीछे कोई कहानी जुड़ी हुई हुई है। उसी तरह गोवर्धन पूजा का पर्व मनाये जाने के पीछे भी बहुत सी मान्यताएं हैं और साथ ही इस पर्व के पीछे एक कहानी भी है जो कि प्रभु श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई है।
यह पर्व लगभग पूरे भारत देश में हिन्दू धर्म को मानने वाले लोगों के द्वारा मनाया जाता है। वैंसे इस पर्व का माहौल शहरों में कम देखने को मिलता है लेकिन गाँवों में इस पर्व को बड़ी ही धूम धाम के साथ मनाया जाता है।
त्योहार | गोवर्धन पूजा |
अन्य नाम | अन्नकूट |
अनुयायी | हिन्दू |
प्रकार | धार्मिक त्योहार |
महत्व | धार्मिक निष्ठा, उत्सव |
उत्सव | गोवर्धन पूजा, श्रीकृष्ण पूजा, गौ पूजा, अन्नकूट का छप्पन भोग, सामूहिक भोज और मिठाइयाँ |
तिथि | कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा |
आवृत्ति | साल में एक बार |
तारीख | 2 Nov, 2024 |
गोवर्धन पूजा की कहानी
गोवर्धन पूजा के पीछे एक कहानी प्रचिलित है। यह कि एक दिन सभी ब्रजवासी किसी पर्व की तैयारी कर रहे हैं सभी के घरों में उत्तम पकवान बनाये जा रहें हैं तो श्री कृष्ण जी ने अपनी माँ यशोदा से पूछा कि मैया आप किसकी पूजा की तैयारी कर रहे हैं तो माँ यशोदा ने बताया कि लल्ला हम इंद्रदेव की पूजा की तैयारी कर रहें हैं क्योंकि इंद्रदेव ही हर वर्ष वर्षा करते हैं तब ही हमारे चारा की पैदावार अच्छी होती है और हमारी गायों को चारा मिलता है।
माँ यशोदा की यह बात सुनकर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि हम इंद्र की पूजा क्यों करते हैं हमें चारा तो गोवर्धन पर्वत देता है और हमारी गायें गोवर्धन पर्वत जाकर ही चरती हैं तो क्यों न हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करना चाहिए। श्रीकृष्ण ने बोला कि वैंसे भी इंद्रदेव कभी हमें दर्शन भी नही देते हैं और हम उनकी पूजा न करें तो वो क्रोधित हो जाएंगे तो क्यों किसी अहंकारी की पूजा करना।
गोवर्धन पूजा क्यों मनाया जाता है?
ऊपर बताई हुई कहानी पढ़कर आप सोच रहे होंगे कि आखिर इस कहानी से गोवर्धन पूजा मनाने का क्या ताल्लुक है? तो आइए हम आपको बताते हैं –
श्रीकृष्ण जी के द्वारा इंद्रदेव पूजा के विरोध तथा गोवर्धन पूजा के लिए आग्रह करने पर सारे ब्रजवासी श्रीकृष्ण जी की इस बात से सहमत हुए और सभी नें उस दिन इंद्रदेव की पूजा न करके गोवर्धन की पूजा की। इंद्रदेव ब्रजवासियों के इस कार्य से बहुत रुष्ठ हुए और मूसलाधार बारिश की शुरुआत कर दिए। घनघोर बारिश देखकर सभी ब्रजवासी दर गए और भगवान श्रीकृष्ण को कोसने लगे कि सब तुम्हारी वजह से हुआ है।
भगवान श्रीकृष्ण जी ने सबकी रक्षा के लिए अपनी मुरली कमर में डाली और अपनी कनिष्ठा अंगुली से गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और ब्रजवासियों से अपने बछड़ों और गायों समेत शरण लेने के लिए निमंत्रित किया।
इंद्रदेव जी का क्रोध यह देखकर और भी ज्यादा बढ़ गया फलतः उन्होंने बारिश की गति को और भी ज्यादा तेज कर दिया। देवराज इंद्र का मान रखने के लिए श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से कहा कि आप गोवर्धन पर्वत के ऊपर रहकर वर्षा की गति को नियंत्रित करें और शेषनाग से कहा कि आप मेढ़ बनकर पर्वतों की ओर से आ रहे पानी को रोकें।
इसके बाद भी इंद्रदेव सात दिनों तक लगातार वर्षा करते रहे। फिर उन्हें आभास हुआ कि यह कार्य किसी आम इंसान का नही है। इंद्रदेव जी ब्रम्हा जी के पास गए और उन्हें पूरी कहानी बताई। कहानी सुनकर ब्रम्हा जी ने इंद्र से कहा कि आप जिस कृष्ण की बात कर रहे हैं वे साक्षात भगवान विष्णु के सातवें अवतार है और पूर्ण पुरुषोत्तम नारायण हैं।
ब्रम्हा जी के मुख से यह सुनकर इंद्र अत्यधिक लज्जित हुए और स्वयं तुरंत जाकर श्रीकृष्ण जी से इस कार्य के लिए पश्चाताप किया और माफी मांगकर कृष्ण जी का पूजन वंदन कर उन्हें भोग लगाया। इसीलिए हर वर्ष इसी दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा कब मनाया जाता है?
गोवर्धन पूजा का पर्व हर वर्ष हिंदी कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है। यह दीपावली का दूसरा दिन कहलाता है।
इंद्रेदेव के क्रोध के फलस्वरूप हो रही बारिश से बचाव के लिए श्रीकृष्ण जी ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली में उठा लिया था जिसमें सारे ब्रजवासी, गाय और बछड़ों ने आश्रय लिया था। जब इंद्रदेव को ब्रम्हा जी ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण कोई और नहीं बल्कि साक्षात विष्णु जी के सातवें अवतार हैं और उनसे बैर लेना उचित नहीं है।
यह सुनकर इंद्रदेव ने श्रीकृष्ण से इस बात के लिये माफी मांगी तब श्रीकृष्ण जी ने 7वे दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और हर हर वर्ष इसी दिन अन्नकूट पर्व मनाने की आज्ञा दी तभी से इस पर्व को अन्नकूट पर्व के नाम से जाना जाता है और हर वर्ष इसी दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा का महत्व
मान्यता है कि गोवर्धन पूजा का पर्व मनाने से लंबी आयु की प्राप्ति होती है और शरीर निरोगी रहता है। इन पर्व को मनाने से मनुष्य के अंदर की दरिद्रता का नाश होता हैं और मनुष्य जीवन भर सुखी, सम्पन्न एवं समृद्ध रहता है।
ऐंसा माना जाता है कि इस दिन अच्छे मूड से खुश होकर गोवर्धन पूजा का पर्व मनाना चाहिए क्योंकि इस दिन जो दुखी रहता है वह वर्षभर दुखी ही रहेगा। गोवर्धन को कृष्ण का रूप माना जाता है और माना जाता है गोवर्धन की पूजा करने से संतान, गोरस एवं धन की वृद्धि होती है।
गोवर्धन पूजा कैसे की जाती है?
गोवर्धन पूजा पर्व पर मंदिरों में अन्नकूट का आयोजन किया जाता है। इस दिन अन्नकूट यानी कई प्रकार के अन्न का मिश्रण भगवान श्रीकृष्ण को चढ़ाया जाता है।
अन्नकूट के साथ साथ मिठाई एवं कई प्रकार के पकवान भी चढ़ाए जाते हैं एवं अंतिम में इन्हें भक्तों को प्रसाद के तौर पर बांट दिया जाता है। गोवर्धन के दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है जिसे मनुष्य की आकृति दी जाती है एवं उसकी पूजा अर्चना की जाती है।
आज आपने क्या सीखा?
मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख गोवर्धन पूजा क्यों मनाया जाता है? जरुर पसंद आई होगी। मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को गोवर्धन पूजा in hindi के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है.
इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे। यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं.
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