महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं: महा शिवरात्रि महत्व, पूजा विधि और कथाएं

संक्षेप में

  • महाशिवरात्रि भगवान शिव का त्योहार है।
  • फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाते हैं।
  • इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं।
  • महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का विवाह माता पार्वती से हुआ था।

महाशिवरात्रि के बारे में कौन नहीं जानता। लेकिन कुछ ऐसे में लोग होंगे जो की शिवरात्रि में उपवास तो रखते हैं लेकिन उन्हें ये नहीं पता है की महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? अपनी धार्मिक सभ्यताओं के कारण भारत का नाम पूरे विश्व में लोकप्रिय है।

भारत में धर्म से जुड़े हुए काफी त्योहार मनाए जाते हैं। भारत में काफी सारे ऐसे त्यौहार पर चले हैं जिनको कुछ विशेष धर्म ही मनाते हैं तो काफी सारे ऐसे त्योहार भी मौजूद हैं जिन्हें पूरा देश मनाता है। ऐसा ही एक त्यौहार महाशिवरात्रि है।

महाशिवरात्रि भगवान शिवजी से जुड़ा हुआ त्योहार है और भगवान शिव को पूरे देश में अलग-अलग रूपों में स्वीकारा गया है। पूरे देश में महाशिवरात्रि का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ‘महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं?’ अगर नहीं तो आज का यह पोस्ट आपके लिए काफी उपयोगी साबित होने वाला हैं। आज हम महाशिवरात्रि की शुरआत से लेकर महाशिवरात्रि पूजाविधि तक की सभी जानकारी हासिल करेंगे।

महाशिवरात्रि क्या है – What is Maha Shivratri in Hindi

महाशिवरात्रि हिंदू त्योहार है जो कि महादेव शिव से जुड़ा हुआ है। शिवरात्रि का मतलब भी ‘शिव की रात्रि‘ ही होता हैं। शिवरात्रि को लेकर पूरे देश भर में अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित है। इस दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है और देश भर में अनेक जागरण होते हैं।

भगवान शिव के मंदिरों में महाशिवरात्रि के दिन काफी सारे भक्त आते हैं और कुछ मंदिरों में इस दिन भक्तों की संख्या हजारों लाखों में होती है।

Maha Shivratri Kyu Manaya Jata Hai Hindi

भगवान शिव की उपासना के लिए सप्ताह के सभी दिन अच्छे माने जाते हैं लेकिन सोमवार को शिव की आराधना का एक विशेष महत्व होता है। शायद आपको याद नहीं होगा लेकिन हर महीने एक शिवरात्रि आती हैं। भारतीय महीनों के अनुसार कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि माना जाता है। वहीं फाल्गुन माह में आने वाले कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव की महान पूजा की जाती हैं।

त्योहारमहाशिवरात्रि
अन्य नामहर-रात्रि, हेरथ
अनुयायीहिन्दू
प्रकारहिन्दू धार्मिक त्योहार
महत्वभगवान शिव का प्रमुख पर्व, शिव और पार्वती के विवाह की याद, शिव के तांडव नृत्य का उत्सव
उत्सवव्रत, पूजा, जागरण, तीर्थ यात्रा
आवृत्तिवार्षिक
संबंधितशिव, पार्वती
तारीख08 मार्च 2024

भगवान शिव को महादेव क्यूँ कहा जाता है?

वैसे तो भारत में काफी सारे देवों की मान्यता है लेकिन भारतीय ग्रंथों के अनुसार कुछ देवों को सर्वोपरि माना गया है जिनमें से विष्णु, ब्रह्मा और शिव प्रमुख हैं। इन तीनों देवताओं को त्रिदेव भी कहा जाता है। लेकिन इन सभी देवताओं में ही भगवन शिव का स्थान पूरी तरह से अलग है, ख़ास इसीलिए ही उने देव नहीं महादेव कहा जाता है।

भगवान शिव को पूरे देश में कई अलग-अलग रूप में स्वीकार किया गया हैं। कहीं पर शिव को नीलकंठ के नाम से जानते हैं तो कहीं पर शिव को नटराज के नाम से पूजा जाता है।

भारत के कई प्रसिद्ध मंदिर और तीर्थ जैसे कि अमरनाथ और कैलाशनाथ भगवान शिव पर ही आधारित है जहां पर हर साल हजारों लाखों लोग दर्शन के लिए आते हैं। भगवान शिव की भारतीय सभ्यता में काफी मान्यता हैं और उन्ही से जुड़ा त्यौहार हैं महाशिवरात्रि। महाशिवरात्रि को भगवान शिव का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता हैं।

महाशिवरात्रि क्यों मनाया जाता है

अलग-अलग ग्रंथों में महाशिवरात्रि की अलग-अलग मान्यता मानी गई है। कहा जाता है कि शुरुआत में भगवान शिव का केवल निराकार रूप था। भारतीय ग्रंथों के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर आधी रात को भगवान शिव निराकार से साकार रूप में आए थे।

इस मान्यता के अनुसार भगवान शिव इस दिन अपने विशालकाय स्वरूप अग्निलिंग में प्रकट हुए थे। कुछ हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इसी दिन से ही सृष्टि का निर्माण हुआ था। ऐसी मान्यता हैं की इसी दिन भगवान शिव करोड़ो सूर्यो के समान तेजस्व वाले लिंगरूप में प्रकट हुए थे।

भारतीय मान्यता के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को सूर्य और चंद्र अधिक नजदीक रहते हैं। इस दिन को शीतल चन्द्रमा और रौद्र शिवरूपी सूर्य का मिलन माना जाता हैं। इसलिए इस चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता हैं।

कहा जाता हैं की इस दिन भगवान शिव प्रदोष के समय दुनिया को अपने रूद्र अवतार में आकर तांडव करते हुए अपनी तीसरी आंख से भस्म कर देते हैं। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ही पार्वती और शिव की शादी का दिन माना जाता हैं।

महाशिवरात्रि कथा

भारत में महादेव के करोड़ों भक्त है। यह बात काफी रोचक है कि आजकल की यूथ भी महादेव को सबसे अधिक मानती है। कहा जाता है कि महाशिवरात्रि को भगवान शिव अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते हैं। भगवान शिव को विभिन्न संप्रदायों के लोग विभिन्न दृष्टियो से देखते हैं। संसार में मग्न लोग भगवान शिव को शत्रुओं का संहार करने वाले मानते हैं और उनके अनुसार इस दिन भगवान शिव अपने शत्रुओ पर विजय प्राप्त करते हैं।

महाशिवरात्रि के दिन को भगवान शिव के भक्त काफी हर्षोल्लास से सेलिब्रेट करते हैं। कुछ लोग इस दिन जागरण करवाते हैं तो कुछ लोग भगवान शिव की पूजा करवाते हैं। वहीं दूसरी तरफ इस दिन कुछ संप्रदाय के लोग नशीले पदार्थों जैसे कि हुक्का व शराब आदि का सेवन भी करते हैं। महाशिवरात्रि को महीने का सबसे अंधेरे का दिन माना जाता हैं। कहा जाता हैं की इस दिन भगवान शिव बुरी शक्तियों का संहार करते हैं और उनके साम्रज्य का विनाश करते हैं।

महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व

भगवान शिव को जितना अधिक सांसारिक लोग मानते हैं उससे कहीं ज्यादा अधिक आध्यात्मिक पथ पर चलने वाले लोग भी मानते हैं। भगवान शिव को एक संहारक से कही पहले एक ज्ञानी माना जाता हैं। योगिक परंपरा के अनुसार शिव कोई देगा नहीं बल्कि आदि गुरु है जिन्होंने सबसे पहले ज्ञान प्राप्त किया और उस ज्ञान का प्रसारण किया।

जिस दिन उन्होंने ज्ञान की चरम सीमा को छुआ और वह स्थिर हुए और उस दिन को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता हैं।

इसके अलावा वैरागी लोग भी भगवान शिव को एक वैरागी ही मानते हैं जो सांसारिक जीवन से दूर है। कुछ लोगों की मान्यता के अनुसार भगवान शिव एक सत्य रूप है और यह पूरा संसार केवल मोहमाया है। विशेष आराधना के माध्यम से हम सभी लोग इस मोह माया से दूर होकर सत्य रूप को प्राप्त कर सकते हैं और शिव में मिल सकते हैं।

यौगिक परम्परा में भगवान शिव को एक ज्ञानी और वैरागी माना गया हैं। यह परम्परा शांति में विश्वास रखती हैं। इस वजह से महाशिवरात्रि आध्यात्मिक रूप से भी काफी खास हैं।

महाशिवरात्रि पर आधारित कथाएं

हर भारतीय त्योहार की तरह महाशिवरात्रि को लेकर भी काफी सारी मान्यताएं प्रचलित है। प्राचीन ग्रंथों के कई कथाएं महाशिवरात्रि से जुड़ी हुई है। महाशिवरात्रि को लेकर सबसे प्रचलित कथा शिव के जन्म की मानी जाती है। कई ग्रंथों के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव पहली बार प्रकट हुए थे। इस दिन वह अपने सर्वश्रेष्ठ स्वरूप अग्निलिंग के रूप में सामने आये थे जिसका न तो कोई आदि था और न ही कोई अंत।

एक कथा यह भी कहती हैं की फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को एक साथ 64 जगहों पर शिवलिंग प्रकट हुए थे। अभी तक हमे इनमे से 12 के बारे में ही ज्ञान हैं जिन्हें हम सभी ज्योतिर्लिंग के नाम से जानते हैं। महाशिवरात्रि को शिव की शादी के रूप में भी मनाया जाता हैं। कहा जाता हैं की इस दिन ही शिव ने अपना वैराग्य छोड़कर शक्ति से शादी की थी और अपना सांसारिक जीवन शुरू किया था।

महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त 2024

Mahashivratri Pujan Shubh Muhurat हिंदू कैलेंडर के अनुसार महाशिवरात्रि 2024 को माघ (फाल्गुन) के महीने में कृष्ण पक्ष के दौरान चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है जो कि इस साल 8 मार्च को पड़ रही है, इसलिए 8 मार्च को देश भर में धूमधाम के साथ महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाएगा।

महाशिवरात्रि 2024 के लिए शुभ मुहूर्त निम्नलिखित हैं:

  • चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ: 8 मार्च को रात्रि 09:57 बजे।
  • चतुर्दशी तिथि समाप्त: 9 मार्च को शाम 06:17 बजे।
  • निशीथ काल पूजा: 8 मार्च को रात्रि 12:07 से 12:56 तक।
  • महाशिवरात्री पारणा मुहूर्त: 9 मार्च को प्रात: 06:38 से 03:30 तक।

पूजा के चार प्रहर के समय इस प्रकार हैं:

  1. प्रथम प्रहर: 8 मार्च शाम 06:25 से रात्रि 09:28 के बीच।
  2. द्वितीय प्रहर: 8 मार्च रात्रि 09:28 से 12:31 के बीच (9 मार्च)।
  3. तृतीय प्रहर: रात्रि 12:31 से 03:34 के बीच (9 मार्च)।
  4. चतुर्थ प्रहर: तड़के 03:34 से 06:37 के बीच (9 मार्च)।

महाशिवरात्रि कब मनाई जाती हैं?

महाशिवरात्रि अधिकतर भारतीय त्योहारों की तरह भारतीय महीनों के अनुसार की मनाई जाती है। वैसे तो हर भारतीय महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि माना जाता है लेकिन फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।

महाशिवरात्रि की दिनांक अंग्रेजी महीनों के हिसाब से हर साल बदलती रहती हैं। साल 2024 में महाशिवरात्रि का त्यौहार 8 मार्च को मनाया जाएगा।

महाशिवरात्रि पूजाविधि

विभिन्न स्थानों पर महाशिवरात्रि को लेकर विभिन्न मान्यताएं प्रचलित है और इस वजह से महाशिवरात्रि को कई तरह से मनाया जाता हैं। शिवभक्त इस दिन पवित्र नदियो जैसे की गंगा व यमुना में सूर्योदय के समय स्नान करते हैं। स्नान के बाद साफ व पवित्र वस्त्र पहने जाते हैं। इसके बाद घरों व मंदिरों में विभिन्न मंत्र व जापों के द्वारा भगवान शिव की पूजा की जाती है। शिवलिंग को दूध व जल से स्नान कराया जाता हैं।

हर शिवरात्रि की सम्पूर्ण पूजाविधि की बात करे तो सबसे पहले शिवलिंग को पवित्र जल या दूध से स्नान कराया जाता हैं। स्नान के बाद शिवलिंग पर सिंदूर लगाया जाता हैं। इसके बाद शिवलिंग पर फ़ल चढ़ाए जाते हैं। इसके बाद अन्न व धूप को अर्पित लगाया जाता हैं। कुछ लोग शिवलिंग पर धन भी चढाते हैं।

इसके बाद आध्यात्मिक दृष्टि से शिवलिंग के आगे ज्ञान के प्रतीक के रूप में एक दीपक जलाया जाता हैं। इसके बाद पान शिवलिंग पर पान के पत्ते भेंट लिए जाते हैं जिनके बारे में कई विशेष मान्यताये हैं।

महाशिवरात्रि को जाग्रति की रात माना जाता हैं। महाशिवरात्रि को रात में शिव की महान पूजा व आरती की जाती हैं। इस दिन रात को शिव व पार्वती की काल्पनिक रूप से शादी की जाती हैं और बारात निकली जाती हैं। कुछ सम्प्रदायों में इस रात नाचने, गाने व खुशिया मनाने की मान्यता है अतः वह मेलो व जागरण का आयोजन करते हैं।

भगवान शिव को और कौन कौन से नाम से जाना जाता है?

शंभु, ईश, शंकर, शिव, चंद्रशेखर, महेश्वर, महादेव, भव, भूतेश, गिरीश, हर, त्रिलोचन के नाम से भी जाना जाता हैं।

शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर है?

शिवरात्रि हर मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आती है लेकिन महाशिवरात्रि फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आती है।

शिवरात्रि पर क्या हुआ था?

महाशिवरात्रि शिव की प्रिय तिथि है शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का महापर्व है। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है।

आज आपने क्या सीखा ?

भारत में आए दिन कोई न कोई त्यौहार सेलिब्रेट किया जाता है और ऐसे में सभी त्योहारों के बारे में संपूर्ण जानकारी होना मुमकिन नहीं है। लेकिन हमें कुछ विशेष त्योहार के बारे में जानकारी जरूर होनी चाहिए और इसी उद्देश्य से हमने आज का यह आर्टिकल ‘महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती हैं और महाशिवरात्रि का महत्व‘ लिखा हैं।

आज के इस आर्टिकल में हमने महाशिवरात्रि का कारण और इससे जुड़ी हुई पौराणिक कथा व इसके महत्व के बारे में सीखा है। यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं।

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Sumit Singh

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मुझे पढ़ना और लिखना बहुत पसंद है। मुझे सूचनात्मक विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मुझे कहानी लेखन, कविता और कुछ कविताओं को लिखने में गहरी रुचि है।

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Comments (3)

  1. क्या आपने बताई हुई सारी बाते सच है .
    और आप का कितना भरोसा हे इस संदेश मे.

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  2. I am from odisha I am 13 years old and i am small blooger .I have some blogs which I made by the help of blogger and WordPress etc . Can you please make some tutorials in youtube to learn and become experts in blogging .

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