802.11ac (जिसे की 5G Wi-Fi भी कहा जाता है) असल में ये fifth-generation की Wi-Fi technology होती है, जिसे की standardize किया गया है IEEE के द्वारा.
ये असल में एक evolution होती है previous standard, 802.11n की जो की ज्यादा bandwidth और ज्यादा simultaneous spatial streams प्रदान करता था. यही allow करता है 802.11ac devices को support करने के लिए data transfer rates को जो की बहुत ही गुना faster होते हैं उस 802.11n devices की तुलना में.
जहाँ पहले के Wi-Fi standards, operate होते हैं 2.4 GHz frequency में, वहीँ 802.11ac operate होता है exclusively एक 5 GHz frequency band में. इससे फायेदा ये होता है की ये common 2.4 GHz devices, जैसे की cordless phones, baby monitors, और older wireless routers से ज्यादा interfere होने से बच जाता है.
Computers और mobile devices जो की support करता है 802.11ac को उसे benefit मिलता है 5 GHz bandwidth से, लेकिन दुसरे पुराने wireless devices को अभी भी communicate करना पड़ता है एक 802.11ac router से वो भी एक slower speed में.
802.11ac standard का initial draft को approve कर दिया गया था सन 2012 में, लेकिन 802.11ac hardware को सन 2013 तक भी release नहीं किया गया था.
Initial 802.11ac standard (wave 1) support करता था maximum data transfer rate करीब 1300 Mbps, या 1.3 Gbps, की जिसमें 3 spatial streams का इस्तमाल होता था. ये काफी fast था 802.11n की तुलना में जिसकी maximum speed करीब 450 Mbps की थी.
इसका ये भी मतलब था की 802.11ac वो पहला Wi-Fi standard है जिसमें की वो क्ष्य्मता है की वो faster बन सके Gigabit Ethernet से भी. वहीँ इसके बाद second 802.11ac standard (wave 2) आने वाली है जो की support करेगा wave 1 devices की bandwidth की की दुगना मात्रा को और साथ में ये offer भी करेगा data transfer rates जो की up to 3470 Mbps होने वाली है.
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