क्या आप जानते हैं की अक्षय तृतीया क्यों मनाया जाता है? यदि नहीं तब आज का यह article आपके लिए काफी जानकारी भरा होने वाला है. भारत एक सांस्कृतिक देश है, वहीँ जैसे संस्कृति विश्व में कहीं और मिलना असंभव है. अगर आप अन्य देशों की संस्कृति को पढ़ने लगे तो आपको पता चलेगा वहां पर अधिकतर त्योहार बिना किसी कारण के और केवल एंटरटेनमेंट के उद्देश्य के लिए ही मनाये जाते हैं. लेकिन हमारी भारतीय संस्कृति उनसे अलग और काफी विकसित है।
धार्मिक वातावरण के मामले में भारत जैसा देश पूरे विश्व में कोई नहीं है. वैसे तो भारत में कई सारे त्यौहार मनाए जाते हैं जिनमे से एक त्यौहार ‘अक्षय तृतीया‘ भी हैं. अक्षय तृतीया उन कुछ त्यौहारों में से एक है जिसके बारे में काफी कम लोग ही जानते हैं. सैकड़ों लोगों की तरह आप भी है बात नहीं जानते होंगे कि ‘अक्षय तृतीया क्यों मनाई जाती है?’ आज हम ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब प्राप्त करेंगे।
अन्य देशों में अधिकतर त्यौहार आधुनिक कारणों की वजह से मनाई जाते हैं जबकि भारत में अधिकतर त्योहारों की मान्यता है पौराणिक है. अक्षय तृतीया की एक पुरानी त्योहार है इसके बारे में काफी सारी मान्यताएं प्रचलित है।
भारतीय मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया बड़ा दिन होता है जिस दिन बिना किसी शुभ समय को देखें भी किसी भी तरह का शुभ काम किया जा सकता है जैसे कि कोई नया सामान खरीदना या फिर शादी ब्याह आदि. यह दिन किसी भी शुरुआत के लिए बेहतरीन माना जाता हैं. इसलिए मैंने सोचा की क्यूँ न आप लोगों को अक्षय तृतीया के बारे में पूरी जानकारी प्रदान की जाये. तो फिर चलिए शुरू करते हैं।
अक्षय तृतीया क्या है – What is Akshaya Tritiya in Hindi
अक्षय तृतीया एक भारतीय त्योहार है जो पौराणिक मान्यताओं पर आधारित है. अधिकतर लोग अक्षय तृतीया को आखा तीज या फिर अक्षय तीज के नाम से जानते हैं क्योंकि अक्षय तृतीया के यही नाम प्रचलन में है लेकिन इसका शुद्ध हिंदी नाम अक्षय तृतीया ही है. अक्षय तृतीया का त्योहार भारतीय महीने वैशाख के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती हैं।
अक्षय तृतीया की जितनी मान्यता हिंदुओं के लिए है उतनी ही मान्य तक जैन समुदाय के लोगो के लिए भी है. अक्षय तृतीया का दिन धर्म करने का दिन होता है इस दिन दान करना शुभ माना जाता हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन हम जितना दान करते हैं उसका कई गुना बढ़ कर हमें वापस मिलता है. भारत के कई धनी परिवार की अक्षय तृतीया के दिन को महत्वपूर्ण मानते हैं और इस दिन बिना किसी झिझक के दान करते हैं।
वैसे तो अक्षय तृतीया की थोड़ी बहुत मान्यता भारत से जुड़े हुए कुछ देश जैसे कि पाकिस्तान और नेपाल आदि में भी है लेकिन इसको मुख्यतः भारत में ही मनाया जाता है. कुछ प्रदेशों में इस त्यौहार को विशिष्ट तरीके से मनाया जाता है और यह त्योहार कन्याओं का त्यौहार कहलाता है।
इस त्यौहार की मान्यता भारत में सबसे अधिक राजस्थान में है. इसके अलावा मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी इस त्यौहार को धूमधाम से मनाया जाता है. बुंदेलखंड नामक शहर जो कि उत्तर प्रदेश में पड़ता है वहां पर यह त्यौहार 12 से भी अधिक दिन मनाया जाता हैं।
अक्षय तृतीया का महत्व
हर त्यौहार की तरह अक्षय तृतीया की भी अपना एक अलग ही महत्व हैं. अक्षय तृतीय के बारे में मान्यता प्रचलन हैं की इस दिन गंगा स्नान करके भगवन पूजा करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. यह त्यौहार माता लक्ष्मी से जुड़ा हुआ माना जाता हैं।
भारतीय ग्रंथो में यह मान्यता हैं की अक्षय तृतीया के दिन लक्ष्मी पूजन करने से और बीज झिझक के दान देने से लक्ष्मी जी प्रसन्न हो जाती हैं और फिर हमे फल कई गुना बढ़कर मिलता हैं. अन्य त्यौहारों की तरह अक्षय तृतीया को लेकर भी काफी सारी मान्यताये प्रचलित हैं।
देश के कुछ क्षेत्रो में इस दिन गुड्डे गुड्डी की शादी कराई जाती हैं और इस शादी का पूरा काम बच्चो द्वारा ही होता हैं. कुछ प्रदेशो में पूरा गाव इसमें शामिल होता हैं. इस मान्यता का उद्देश्य बच्चो को सामाजिक रीति रिवाजों व परम्पराओ से वाकिफ कराना होता हैं. भारतीय मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन से ही शादी-ब्याह आदि के लिए शुभ समय शुरू हो जाता हैं. किसानों के लिए भी इस त्योहारों का एक अलग ही महत्व हैं. देश के कुछ प्रान्तों में किसान लोग अक्षय तृतीया के दिन अपने आने वाले उत्पादन के लिए शुभ तिथियां देखते है और अच्छी फसल की कामना करते हैं।
इस दिन भगवान विष्णु के परम्परा की मान्यता भी हैं. अक्षय तृतीया के बारे में यह मान्यता भी प्रचलित हैं की इस दिन जिन वस्तुओ का दान किया जाता हैं वह वस्तुए हमे अगले जमन में या स्वर्ग में प्राप्त होती हैं. अक्षय तृतीया के दिन अपने बड़ो से और आदर्शवान व्यक्तियों से आशीर्वाद लेना अत्यंत शुभ माना जाता हैं।
भारतीय पौराणिक ग्रंथो की माने तो अक्षय तृतीया वही दिन हैं जिससे सतयुग से त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी. भगवान विष्णु के अवतार जैसे की परशुराम, नर-नारायण और हयग्रीव का जन्म भी इसी तिथि को माना जाता हैं।
जैन धर्म में भी इस त्यौहार की काफी मान्यता हैं. इस दिन जैन धर्म की स्थापना करने वाले प्रथम तीर्थंकर ‘भगवान ऋषभदेव‘ को एक वर्ष की तपस्या के बाद गन्ने के रस से पारणा कराया गया था. जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव को वैदिक औए बौद्ध ग्रंथो में भी विशेष महत्व दिया गया हैं. जैन ग्रंथों के अनुसार ऋषभदेव ज्ञान प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति थे. एक राजा होते हुए भी उन्होंने सभी सांसारिक सुखों को त्याग दिया और जैन अंगीकार ग्रहण कर लिया।
अक्षय तृतीया क्यों मनाया जाता है
अक्षय तृतीया को लेकर काफी सारी पुरानी कहानियां मौजूद है. अगर हिंदू धर्म की बात करें तो सबसे अधिक अक्षय तृतीया की कथा प्रचलित कहानी धर्मदास नामक एक वैश्य की है. वैश्य होते हुए भी धर्मदास हिंदू धर्म में विश्वास करता था और उसकी देवों और ब्राह्मणों में काफी श्रद्धा थी।
इस वैश्य ने अपने कर्मो को सुधारने के लिए एक दिन गंगा में स्नान किया और विधि पूर्वक पूजा करके अपना और अपना सब कुछ दान दे दिया. इसके बाद अगले जन्म में यह वैश्य एक महान राजा बना. यह भी कहा जाता हैं यही राजा अगले चन्द्रगुप्त के रूप में भी पैदा हुआ. इसी प्रभाव के कारण हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया मनाई जाती हैं।
इसके अलावा यह भी कहा जाता हैं की इस दिन ही भगवान विष्णु के संहारक ब्राह्मण अवतार यानी की भगवान परशुराम का जन्म हुआ. अक्षय तृतीया को कई प्रदेशो में परशुराम जयंती के रूप में ही मनाया जाता हैं और मेलो व महोत्सवों का आयोजन किया जाता हैं।
जैन धर्म की बात करे तो जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ऋषभदेव ने इस दिन एक साल के उपवास के बाद पारणा किया था. वह पारणा करने में इसलिए असमर्थ रहे क्योंकि किसी भी व्यक्ति को यह ज्ञान नहीं था की जैन साधु को क्या बैराया जाता हैं. जातिस्मर्णीय ज्ञान की वजह से एक राजा को यह बात पता चली और उन्होंने भगवान को अक्षय तृतीया के दिन गन्ने का रस परोसकर उनका पारणा करवाया. इसी वजह से जैन धर्म में अक्षय तृतीया मनाई जाती हैं।
अक्षय तृतीया के दिन क्या करना चाहिए?
आज के मॉडर्न कल्चर में अक्सर लोगो को इस बात का याद नहीं रहता की किसी त्यौहार के दिन क्या किया जाये और उसकी पूजाविधि क्या हैं. अगर आप साधारण तौर पर अक्षय तृतीया को सेलिब्रेट करना चाहते हैं तो इस दिन कुछ गरीब लोगो या फिर ब्राह्मणों को शुद्ध मन से कुछ दान कर दीजिये।
अगर अक्षय तृतीया की पूजा विधि की बात करे तो आपको इस दिन गंगाजी में स्नान करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए और उन्हें अक्षत (पवित्र अर्थात शुद्ध चावल) चढ़ाना चाहिए. अगर हो सके तो कमल के सफेद फूल और सफेद गुलाब चंदन व धूपबत्ती के साथ चढ़ाना चाहिये. अगर आप चाहे तो गेंहू, जौ और चने की दाल का चढ़ावा भी कर सकते हैं।
पूजा करने के बाद ब्राह्मणों को या फिर गरीब और जरूरतमंद लोगों को खाने पीने की और उपयोगी सामग्री का ध्यान करें. ऐसी सामग्री दान करने से बचे जिसका वह दुरुपयोग कर सकते हैं।
अक्षय तृतीया कब मनाई जाती है?
अक्षय तृतीया या आखा तीज को वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है.
आज आपने क्या सीखा
मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख अक्षय तृतीया क्यों मनाई जाती है जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को अक्षय तृतीया का महत्व के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है।
इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे. यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं. अगर आपको अब भी अक्षय तृतीया से जुड़ा हुआ कोई सवाल हो तो आप हमसे कमेंट के माध्यम से बेझिझक होगा पूछ सकते हैं।
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मुझे यह आर्टिकल बिल्कुल भी अच्छा नही लगा सही लिखा गया है लेकिन अकारण व्यर्थ के शब्दों को डाल कर पोस्ट को लंबा कर दिया गया है कहीं कहीं उर्दू शब्दों का प्रयोग किया गया है ये तो कदाचित सही नही है सनातन धर्म की बात और उर्दू शब्दों के साथ दुःखद
All posts are amazing. You have shared a very informative article, it will help me a lot, I do not expect that we believe you will keep similar posts in future. Thanks a lot for the useful post and keep it up. You can get information about any type of fasting festival, Katha, birth anniversary of great men and birthday, national and international day of politicians, actors, cricketers etc. in Hindi from my blog.
Hello sir me Gujarat se Hu Kya ap muje blogging k liye guideline de sakte ho
Meri help karoge ?
अक्षय तृतीया की जानकारी पूरी औऱ सम्पूर्ण है ,ज्यादातर लोग अक्षय तृतीया में सोना चान्दी की खरीद दारी करते हैं जिससे धन धान्य से घर भरा रहे उनका कोष खाली न हो पाए,हर त्योहार की पृष्ठभूमि में कोई पौराणिक कथा निहीत होती है ,उस कथा से ये निष्कर्ष निकलता है कि उस देवता को किस तिथि को किस विधि से आपकी मनोकामना पूरी होती है ,ये उस त्योहार का महात्म्य कहलाता है।
Thankyou so much. It’s helpful
आपने बहुत अच्छा लिखा है
prabhanjan bhai please call me…me saroj odisha se hoon…aap ka thoda help chahiye..please call me 9040404098
mbv
Nice