क्या आप ने Dhanteras क्यों मनाया जाता है के बारे में सुना है? बहुतों का जवाब शायद हाँ हो, जो की जायज सी बात है. लेकिन अब सवाल उठता है की आप जानते हैं धनतेरस क्यों मानते है? यदि नहीं तब आज का यह article आपके लिए काफी जानकारी भरा होने वाला है. पहले धनतेरस के दीवाली के दो दिन पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता है।
यह पर्व मुख्यत: भारत देश के हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा मनाया जाता है। इस पर्व को दीपावली से जोड़ा जाता है और धनतेरस के पर्व से ही दीवाली की शुरुआत मानी जाती है। धनतेरस के दिन माँ लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है।
यह त्यौहार धन संपदा से जुड़ा हुआ है और इस दिन धन (संपत्ति) की खरीदी शुभ मानी जाती है। इस त्यौहार को मनाने के पीछे भगवान धन्वंतरि की कहानी जुड़ी हुई है और इस दिन कुबेर की भी पूजा इसीलिए की जाती है क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कुबेर को माँ लक्ष्मी का खजांची माना गया है।
साथ ही इस दिन माँ लक्ष्मी को भी पूजा जाता है। वहीँ इस article धनतेरस क्यूँ मनाया जाता है के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए आपको इसे पूरी तरह से पढ़ना होगा. तो फिर बिना देरी किये चलिए शुरू करते हैं धनतेरस क्यों मनाते हैं।
धनतेरस क्या है – What is Dhanteras in Hindi
Dhanteras या इसे हिंदी में धनतेरस भी कहा जाता है, इसे Dhanatrayodashi या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। इसी धनत्रयोदशी ही वो पहला दिन है जिस दिन से दिवाली की शुरुवात होती है भारत में।
धनतेरस हिन्दू धर्म के अनुयायियों के द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है और इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि ये पर्व दीवाली से जुड़ा हुआ है और दीवाली के दो दिन पूर्व मनाया जाता है।

भारत देश में धनतेरस पर्व की काफी ज्यादा धूम धाम देखी जाती है। दीपावली को हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है और दीपावली पर्व की शुरुआत धनतेरस से ही होती है।
इस दिन से घरों मंदिरों में दिए जलाने की शुरुआत की जाती है जो कि दीपावली पर्व के पूर्णत: समाप्त होते तक जलाए जाते हैं। इस दिन हिन्दू धर्म में माने जाने वाले भगवान धन्वंतरि, कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा पाठ की जाती है। या दिन दिए जलाना और किसी नए सामान की खरीदी करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
नाम | धनतेरस |
अन्य नाम | धनत्रयोदशी |
तिथि | बहन (अमांता) / बहन (पूर्णिमांत), पक्ष, तिथि |
उद्देश्य | धार्मिक निष्ठा, उत्सव, मनोरंजन |
अनुयायी | हिंदू |
पालन | स्वास्थ्य, धन और समृद्धि का उत्सव |
आवृत्ति | सालाना |
तारीख | 23 अक्टूबर 2022 |
धनतेरस पर क्या खरीदना चाहिए?
पांच दिवसीय त्योहार के पहले दिन धनतेरस से दिवाली की शुरुआत होती है। इस दिन सोना और अन्य संपत्ति को शुभ माना जाता है। पूरे देश में, लोग संपत्ति, ऑटोमोबाइल और अन्य वित्तीय संपत्तियों सहित सोना, चांदी की वस्तुएं, और धन के अन्य रूपों में निवेश करेंगे या खरीदेंगे।
धनतेरस के दिन पीतल, चांदी और सोने के बर्तनों को शुभ माना जाता है। हालांकि, आपको प्लास्टिक और कांच की खरीदारी से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि यह दुर्भाग्य लाता है। इस दिन चाकू, कैंची और अन्य काटने वाले उपकरणों जैसे नुकीले औजारों से भी बचना चाहिए।
धनतेरस क्यों मानते है?
हिन्दू पैराणिक कथाओं के अनुसार धनतेरस को मनाने के पीछे कई सारे कारण और कहानियां है उनमे से कुछ कहानियां इस प्रकार हैं:
सांप के रूप में यमराज की कहानी
एक बार किसी राजा के पुत्र की की जन्म कुंडली देखी गयी, जिसमे यह लिखा था की उसके विवाह के पश्चात चौथे दिन ही सर्पदंश अर्थात सांप के काटने पर उसकी मृत्यु हो जाएगी। इस समस्या को सुलझाने के लिए राजा की पुत्र वधु ने सोने से पहले अपने सारे गहने और जेवर दरवाजे पर रख दिए जिसके पश्चात सर्प के र्रोप में आये हुए यमराज की आँखें सोने, अलंकार को देखकर चौंक गयी।
केवल यही नहीं सांप घर के अंदर प्रवेश न कर सके इसके लिए राजा की पुत्र वधु ने पूरी रात मधुर आवाज में गाने गाये जिससे सांप का ध्यान भाटकक गया और वह काटना भूल गया और फिर वापस चला गया।
समुद्र मंथन की कहानी
मान्यता है कि कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन समुद्र मंथन के समय समुद्र से भगवान धन्वंतरि और माँ लक्ष्मी जी प्रकट हुई थी। भगवान धन्वंतरि के नाम पर ही इस त्यौहार का नामकरण धनतेरस हुआ। जब भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे तो वे कलश धारण किये हुए थे और उस पात्र में अमृत था। वहीं माँ लक्ष्मी जी के हाथ में कोड़ी थी। इसीलिए धनतेरस के पर्व मनाया जाता है।
चूंकि भगवान धन्वंतरि के हाथ में पात्र (कलश) था इसीलिए इस दिन बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। धनतेरस पर्व को ‘धनत्रयोदशी’ के नाम से भी जाना जाता है। जैन धर्म में धनतेरस को ‘ध्यान तेरस’ या ‘धन्य तेरस’ भी कहा जाता है।
माना जाता है की इस जैन धर्म के भगवान महावीर तीसरे और चौंथे ध्यान में जाने के लिए योग निरोध चले गए थे और ध्यान करते करते हुए दीपावली के दिन योग करते हुए निर्वाण को प्राप्त हो गए थे इसीलिए जैन धर्म में यह दिन धन्य तेरस के नाम से प्रचिलित है।
धनतेरस कब मनाया जाता है?
धनतेरस के पर्व हर वर्ष हिंदी कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है। यह दिन दीपावली के दो दिन पहले का दिन कहलाता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन ही भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के समय हाथ में कलश लेकर प्रकट हुए थे और माना जाता है इसी दिन माँ लक्ष्मी जी भी समुद्र से प्रकट हुई थी।
वर्ष 2023 में धनतेरस का पर्व कब है?
वर्ष 2023 में धनतेरस Sunday, 23 October को है।
धनतेरस किसकी पूजा होती है?
शास्त्रों के अनुसार, धनतेरस के त्योहार में मृत्यु के देवता यमराज से अकाल मृत्यु के भय से मुक्त होने की प्रार्थना का दिन है। इसके अलावा इस दिन धन की देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर के पूजन की परम्परा भी प्राचीन काल से चली आ रही है।
धनतेरस पूजा विधि
धनतेरस के दिन संध्या के समय पूजा करने का अधिक महत्व हैं। धनतेरस के दिन पूजा के स्थान में उत्तर दिशा की तरफ भगवान धन्वंतरि एवं भगवान कुबेर की मूर्ति स्थापित करना चाहिए साथ ही भगवान गणेश और माता लक्ष्मी जी की भी मूर्ति स्थापित करने का भी प्रावधान है। वहीं माना जाता है कि इस दिन दक्षिण दिशा की तरफ दीप जलाने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।
ऐंसा माना जाता है भगवान धन्वंतरि को पीली वस्तु एवं कुबेर को सफेद पसंद है इसीलिए भगवान धन्वंतरि को पीली मिठाई एवं भगवान कुबेर को सफेद मिठाई का भोग लगाना चाहिए। कहते हैं कि पूजा में चावल, दाल, रोली, चंदन, धूप एवं फल-फूल का उपयोग करना लाभदायक होता है। धनतेरस के दिन यमराज को भी श्रद्धाभावना के साथ नमन करना चाहिए व उनके नाम से भी एक दीपक जलाना चाहिए।
धनतेरस का महत्व
हिन्दू धर्म में इस दिन की पूजा का एवं नई वस्तु खरीदने का बहुत अधिक महत्व माना गया है। मान्यता है कि इस दिन नई वस्तु खरीदने से उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है। इस दिन बर्तन खरीदने का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि जब भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे तो उनके हाथ में कलश रूपी पात्र था।
भगवान धन्वंतरि को पीला रंग और ताँबा धातु पसंद है इसीलिए इस दिन ताँबा अथवा चांदी के बर्तन खरीदे जाने का भी महत्व है।
इस दिन यमराज को नमन कर उनके नाम से दीपक जलाने का भी महत्व हैं। माना जाता है ऐंसा करने से अकाल मृत्यु कभी घर में प्रवेश नहीं करती और घर के दीपक की लौ हमेशा प्रज्ज्वलित रहती है। इस दिन व्यापारी अपने गल्ले में कौंड़ी रखते हैं क्योंकि मान्यता है धनतेरस के दिन लक्ष्मी जी भी प्रकट हुई थी और उस समय उनके हाथों में कौंड़ी थी।
माना जाता है कि गल्ला में कौंड़ी रखने से व्यापार में कभी नुकसान नहीं होगा।
धनतेरस मनाने का उद्देश्य
आयुर्वेद में में धन शब्द का अर्थ हैं हमारे स्वास्थ्य से हैं। लेकिन जिन्हें आयुर्वेद के बारे में सही जानकारी नही हैं। उनके सिध्दांतों के बारे में जानकारी नही हैं। वे धन को मुद्रा के रूप में लेते हैं। और धन को मुद्रा समझतें हैं।
इसलिए अपने अज्ञानता के कारण अर्थ का अनर्थ कर बैठते हैं। जिस स्थान पर हमे स्वास्थ्य से सम्बंधित धन के विषय में वृद्धि करनी चाहिए। और इसमें सुधार करनी चाहिए वहाँ पर आजकल लोग आर्थिक धन के वृद्धि करने के उपाय में लगे हुए हैं।
आयुर्वेद के अनुसार सोना चाँदी से बने बर्तनों में भोजन करने से स्वास्थ्य धन की वृद्धि होती हैं। लेकिन आजकल के लोगो इस बात को आर्थिक धन के वृद्धि होती हैं ऐसा समझ लिया हैं। और ऐसा ही समझ के आजकल लोग सोने चाँदी से बने गहनों और बर्तनों की खरीदारी करतें हैं।
धनतेरस कैसे मनाया जाता है?
धनतेरस के दिन लोग घरों के लिए नए बर्तन की खरीदी करते हैं। इस दिन कुछ बड़ा समान खरीदने का भी रिवाज है इसीलिए बहुत से लोग इस दिन सोने अथवा चांदी का सामान खरीदते हैं। वहीं बहुत से लोग गाड़ी अथवा कोई महँगे समान की खरीद करते हैं। दीपावली की पूजन सामग्री जैंसे दिए, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, झाड़ू, नारियल, कपड़े आदि की खरीद भी धनतेरस के दिन करना शुभ माना जाता है।
सायंकाल में इस दिन सभी घरों में इस दिन भगवान धन्वंतरि, कुबेर, यमराज, लक्ष्मी-गणेश का विधि विधान के साथ पूजन अर्चन करते हैं व सभी को मिठाई एवं फल-फूल का भोग लगाया जाता है। सभी देवी देवताओं के नाम से दीपक जलाए जाते हैं। इस दिन घरों में धन व नई सामग्री की भी पूजा की जाती है। धनतेरस दीपावली की शुरुआत माना जाता है इसीलिए इस दिन बहुत से लोग पटाखे भी जलाते हैं।
लोग धनतेरस पर सोना क्यों खरीदते हैं?
हिंदुओं का मानना है कि भगवान धन्वंतरि के साथ, देवी लक्ष्मी, जिन्हें धन की देवी के रूप में भी जाना जाता है, घर में धन लाने, आय के अवसरों को बढ़ाने, व्यापार की संभावनाओं के साथ-साथ समृद्धि के लिए भी आती हैं । सोना और अन्य कीमती धातुओं को शुभ और सौभाग्य और समृद्धि का अग्रदूत माना जाता है।
क्या धनतेरस पर नॉन वेज खा सकते हैं ?
धनत्रयोदशी के दो दिन बाद दीपावली मनायी जाती है। हमारे शास्त्रों के अनुसार धनतेरस के दिन नॉन वेज या मांसाहार भोजन नहीं करनी चाहिए।
धनतेरस पर हमें कितने दीये जलाने चाहिए?
धनतेरस पर, पूरे परिवार की उपस्थिति में, 13 पुराने या इस्तेमाल किए गए मिट्टी के दीये जलाए जाते हैं और मृत्यु से बचने के लिए घर के बाहर कूड़ेदान के पास दक्षिण की ओर मुंह करके रखे जाते हैं। प्रथम दीया से परिवार की असमय मृत्यु से रक्षा होती है।
दिवाली की शुरुआत कब से होती है?
पांच दिवसीय दीपों के त्योहार दिवाली की शुरुआत धनतेरस से होती है. कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाया जाता है.
धनतेरस के दिन किनकी पूजा की जाती है?
धनतेरस के दिन भगवान धन्वन्तरि की पूजा भी की जाती है।
आज आपने क्या सीखा?
मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख Dhanteras क्यों मनाया जाता है जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को धनतेरस हिंदी के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है.
इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे. यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं.
यदि आपको यह लेख धनतेरस क्यों मानते है पसंद आया या कुछ सीखने को मिला तब कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook, Twitter और दुसरे Social media sites share कीजिये.