घर में जन्माष्टमी की पूजा कैसे करे, यह एक ऐसा प्रश्न है जो की हमेशा काफ़ी लोगों द्वारा जन्माष्टमी के अवसर पर पूछा जाता है। जन्माष्टमी को भगवान कृष्ण जी का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन उनका जन्मदिन बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। यह त्योहार हिन्दुओं के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण और भक्तिमय त्योहार है, खासकर उन लोगों के लिए जो कृष्ण के भक्त हैं।
इस दिन लोग कृष्ण जी की पूजा कई तरीकों से करते हैं, जैसे उपवास रखकर, मंत्र जाप कर, कीर्तन कर, प्रार्थना करके और भोग के रूप में खाद्य और फूलों की प्रस्तुति कर। वे अपने घरों और मंदिरों को सुंदर चीजों से सजाते हैं, जैसे फूल, दीपक और रंगोली। वे अपने ठाकुर जी के लिए स्वादिष्ट भोजन जैसे खीर, मिठाईयाँ इत्यादि बनाते हैं और उन्हें अपने परिवार और दोस्तों के साथ साझा करते हैं।
आज के इस आर्टिकल Krishna Janmashtami Ki Puja Kaise Kare में हम ये जानेंगे की कैसे आप भी इस जन्माष्टमी में बड़ी ही आसानी से खुद पूजा कैसे कर सकते हैं। हम आपको ये भी बताएँगे की जन्माष्टमी की पूजा इतना ज़्यादा महत्वपूर्ण क्यूँ है और साथ में आपको किन किन चीजों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए। हमें उम्मीद है कि यह लेख आपको अधिक भक्ति और आनंद के साथ जन्माष्टमी मनाने में मदद करने वाली है।
जन्माष्टमी पर कान्हा जी की पूजा कैसे करे?
जन्माष्टमी पर कान्हा जी की पूजा करना बहुत ही आसान है; बस आपको कुछ नियमो का पालन करना होगा। जन्माष्टमी हिन्दुओं के लिए बहुत विशेष और खुशीयों भरा त्योहार होता है, खासकर उन लोगों के लिए जो कृष्णजी को बहुत प्यार करते हैं। चलिए Janmashtami Vrat Vidhi को भी जानते हैं।
Step #1: जन्माष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए, और फिर साफ-सुथरे कपड़े पहनना चाहिए।
Step #2: फिर घर के मंदिर में हमें दीप जलाकर सभी देवी-देवताओं का भक्तिपूर्वक सत्कार करना चाहिए।
Step #3: उसके पश्चात हमें भगवान बाल गोपाल का जलाभिषेक करना चाहिए और उनके समक्ष भोग अर्पित करें।
Step #4: चूँकि भगवान कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था इसलिए रात में होने वाली पूजा की तैयारियां शुरू कर देनी चाहिए।
Step #5: रात की पूजा के लिए हमें फिर से नहाना पड़ेगा, लेकिन इसमें आपको पानी में काला तिल डालकर नहाना होगा। उसके बाद आपको भी भगवान कृष्ण के लिए झूला सजाना होगा और उनकी प्रतिमा स्थापित करनी होगी।
Step #6: वहीं इसके बाद हमें उनका अभिषेक करना होगा और उनका शृंगार भी करना होगा, जिसके लिए आप उन्हें बांसुरी, मोरमुकुट, वैजयंती माला आदि पहना सकते हैं।
Step #7: पूजा में हमें प्रभु के लिए मक्खन,मेवे,मिश्री मिठाई आदि का भोग लगाना होता है। उनका मानना है की कृष्ण जी को 56 प्रकार के भोजन देते हैं, जिसे चप्पन भोग कहते हैं, ये उनका काफ़ी प्रिय चीज़ होता है।
Step #8: आखिर में श्रीकृष्ण जी की आरती करें और भोग को प्रसाद के रूप में सभी में बांट दें। फिर प्रसाद खाकर अपना उपवास खत्म कर सकते हैं।
जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल की पूजा कैसे करे?
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन कृष्ण भक्त अपने घरों में लड्डू गोपाल की भी पूजा करते हैं। लड्डू गोपाल को सजाकर उनकी आराधना की जाती है। आइए हम भी समझें कि जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल की पूजा कैसे की जाती है।
Step 1# सबसे पहले घर में एक छोटा सा मंदिर सजाएं। मंदिर में गोपाल जी की मूर्ति स्थापित करें।
Step 2# मूर्ति के सामने एक छोटा सा पीठ बिछाएं और उस पर लड्डू गोपाल की मूर्ति रखें।
Step 3# मूर्ति को चोले से सजाएं और माला पहनाएं। मूर्ति के आस-पास फूलों और तोरण से सजावट करें।
Step 4# मूर्ति के सामने दीपक जलाएं और धूप अगरबत्ती जलाएं।
Step 5# मूर्ति को दूध, मिष्ठान्न और फलों का भोग लगाएं।
Step 6# लड्डू गोपाल जी की आरती करें और प्रसाद चढ़ाएं।
Step 7# भजन-कीर्तन करें और उनकी लीलाओं का वर्णन करें।
Step 8# बच्चों को भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं सुनाएं और उनसे जुड़ी कहानियां कहें।
Step 9# मिठाई खिलाकर लड्डू गोपाल का भोग लगाएं।
Step 10# पूजा के बाद, प्रसाद के रूप में लड्डू वितरित करें।
कृष्ण जन्माष्टमी पूजा सामग्री लिस्ट
अब चलिए जानते हैं की वो कौन सी ऐसी पूजा सामग्री है जिनका उपयोग कृष्ण भगवान की पूजा करने में इस्तमाल होता है।
झूला या पालना | एक धातु की मूर्ति | एक छोटी बांसुरी | बाल कृष्ण के लिए एक पोशाक |
आभूषण | झूला सजाने के लिए फूल और प्रसाद | तुलसी के पत्ते | अक्षत |
कुमकुम | चंदन | नैवेद्य के लिए मिश्री | अनसाल्टेड सफेद मक्खन |
तेल और बत्ती | कलश | गंगाजल | फल (केला, सेव) |
अगरबत्ती | सुपारी | धूप | पान |
दक्षिणा (सिक्के या मुद्रा नोट) | साबुत नारियल |
कृष्ण जन्माष्टमी कब है?
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार जन्माष्टमी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की आठवीं तिथि (अष्टमी) को मनाया जाता है। इस वर्ष 2023 में, जन्माष्टमी को September 1, शुक्रवार को मनाया जाएगा। लेकिन आमतौर पर अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अगस्त के आखिरी या सितंबर के शुरुआती दिनों में मनाया जाता है।
लेकिन कभी-कभी एक ही माह में दो अष्टमी भी होती है, जिससे जन्माष्टमी की सठिक तिथि जानना कठिन हो जाता है। ऐसे मामलों में, तिथि को रोहिणी नक्षत्र के साथ मेल खाते हुए तय किया जाता है, जो की कृष्ण भगवान के जन्म का नक्षत्र है। जिस तिथि पर रोहिणी नक्षत्र अष्टमी के साथ मेल खाता है, उसी तिथि को वास्तविक जन्माष्टमी के रूप में माना जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी पर्व का महत्व
जन्माष्टमी का पर्व सभी भारतीयों के लिए काफ़ी ज़्यादा महत्वपूर्ण है। ये पर्व इतना ज़्यादा महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि यह सिर्फ कृष्ण जी के जन्म का उत्सव ही नहीं है, बल्कि इसमें उनके जीवन, शिक्षाओं और चमत्कारों का भी जश्न मनाया जाता है। “कृष्ण” को भगवान विष्णु का आठवां रूप माना जाता है, जो दुनिया की देखभाल करते हैं।
उन्होंने बहुत सारे अद्भुत काम किए हैं और अपने लीला से संसार को नष्ट होने से बचाया है। इसके साथ साथ उन्होंने हम इंसानों को जीने का सही मार्ग दिखाने के लिए भगवद्गीता का ज्ञान भी प्रदान किया है। उन्हें प्यार, आनंद, दया, ज्ञान, हुनर और योग के ईश्वर के रूप में पूजा जाता है।
जन्माष्टमी का त्योहार मनाते हुए हम भगवान कृष्ण से प्रेम और धन्यवाद करते हैं, उनसे बहुत कुछ सीखते हैं, उनकी शिक्षा का अपने जीवन में पालन करते हैं और साथ में अपने और दूसरों के जीवन को सार्थक बनाने के लिए उनसे आशीर्वाद भी मांगते हैं।
जन्माष्टमी के दिन क्या करें और क्या न करें?
जन्माष्टमी एक बहुत ही पवित्र दिन होता है सभी धर्मों के लोगों के लिए। लेकिन हमें ये अवस्य पता होना चाहिए की ऐसे कौन से कार्य होते हैं जिन्हें की आपको करना चाहिए, वहीं कौन से ऐसे कार्य होते हैं जिन्हें की आपको नहीं करना चाहिए। इसी विषय में जब चलिए विश्तर में जानते हैं।
जन्माष्टमी के दिन क्या करें
जन्माष्टमी के दिन क्या करें ये सबको जानना है। नीचे कुछ ऐसे कार्यों के बारे में बताया गया है जिन्हें करने से आपको जन्माष्टमी के अवसर में ज़्यादा सुफल मिलते हैं।
जन्माष्टमी के दिन क्या न करें
अब चलिए जानते हैं की आपको ऐसे कौन सी चीजें हैं जिनका विशेष रूप से वर्ज़न करना चाहिए। नीचे बतायी गयी चीजों को आपको कभी भी जन्माष्टमी के अवसर पर नहीं करना चाहिए।
जन्माष्टमी की पूजा कितने बजे करनी चाहिए?
जन्माष्टमी की पूजा सबसे उत्तम मुहूर्त रात 12 बजे ही करनी चाहिए।
जन्माष्टमी की रात को क्या करना चाहिए?
आधी रात को, कृष्ण के जन्म के समय, भक्त अपना उपवास तोड़ सकते हैं और एक दूसरे के साथ पारंपरिक भोजन साझा कर सकते हैं।
क्या जन्माष्टमी में उपवास रखना ज़रूरी होता है?
जी पुराणों के अनुसार जन्माष्टमी में पूर्ण उपवास रखने से हमारे ईस्ट खुश होते हैं और हमारी मनोकामना जल्दी पूरी होती है। वैसे तो जन्माष्टमी में पूरे दिन उपवास रखने का नियम है, परंतु इसमें यदि आप भी असमर्थ हैं तब आप फलाहार भी कर सकते हैं।
आज आपने क्या जाना?
तो ये था आज का आर्टिकल Janmashtami की पूजा कैसे करें? अब तक आपको ये भली भाँति मालूम पड़ गया होगा की कैसे आप जन्माष्टमी की पूजा अपने घर में कर सकते हैं। इस प्रकार से यदि आप विधि पूर्वक पूजन करते हैं हैं तब ये विशेष रूप से फलदायी होता है और आपकी मनोकामनाओं की पूर्ति भी होती है।
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sir help me kese kare sir ek video daal digiye , Please reply me
Ji jarur.