क्या आप जानते हैं की Janmashtami Kyu Manaya Jata Hai? यदि नहीं तो आज का ये article काफी जानकारी भरा होने वाला है. पुरे भारतवर्ष में जन्माष्टमी की धूम हर कही देखी जा सकती है, कान्हा जी के जन्मदिन के इस मौके पर देशभर में धूमधाम से सजावट की जाती है.
देश के अलग-अलग हिस्सों में विशेष अंदाज में भक्ति संगीत से कान्हा जी को उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में शुभकामनाएं दी जाती हैं। गोविंदा बाल गोपाल, कान्हा, गोपाल जैसे लगभग 108 नामों से पुकारे जाने वाले भगवान युगों-युगों से हर दिल में बसते हैं।इसलिए हम सभी को कृष्णा जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है? जन्माष्टमी का महत्व? जन्माष्टमी की कहानी? तथा Sri Krishna Janmastami को मनाने की वजह की जानकारी होनी चाहिए।
इसलिए कृष्ण भगवान की भक्ति करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए जन्माष्टमी की यह सभी महत्वपूर्ण जानकारियां इस लेख में मिलने वाली है. तो दोस्तों आइए आज के इस लेख का शुभारंभ करते हैं और जानते हैं की कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाते है. तो फिर चलिए शुरू करते हैं।
जन्माष्टमी क्या है – What is Janmastami in Hindi
श्री कृष्ण जन्माष्टमी एक ऐसा पर्व है जिसे भगवान कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में हर वर्ष मनाया जाता है। प्रत्येक हिंदू के लिए एक विशेष दिन होता है। मान्यता है कि इस दिन कृष्ण भगवान को भक्ति भाव से प्रसन्न करने पर संतान, सम्रद्धि एवं अधिक उम्र की प्राप्ति होती है। सभी हिंदुओं द्वारा जन्माष्टमी के पावन पर्व को भगवान श्री कृष्ण के जयंती के रूप में मनाया जाता है।
जन्माष्टमी के इस पर्व पर सभी हिंदुओं द्वारा भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन पर उन्हें प्रसन्न करने के लिए उपवास रखा जाता है मंदिरों में सजावट की जाती है एव कई स्थानों पर श्री कृष्ण रासलीला का आयोजन किया जाता है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2024 कब मनाया जाता है?
कृष्ण भगवान के जन्म दिन से हिंदू पंचांग (कैलेंडर) के अनुसार भद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के आंठवे दिन हिंदुओं द्वारा प्रति वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इस साल वर्ष 2024 18 अगस्त गुरुवार को कृष्ण जन्माष्टमी मनाया जायेगा और यह 19 अगस्त शुक्रवार को ख़त्म होगा।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी आरम्भ | Wednesday, 6 September 2024 |
श्री कृष्ण जन्माष्टमी समाप्त | Thursday, 7 September 2024 |
जन्माष्टमी क्यों मनाते हैं?
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार सृष्टि के पालनकर्ता कहे जाने वाले भगवान श्री हरि विष्णु के आठवें अवतार प्रभु श्री कृष्ण हैं. और कृष्णा जी के जन्मदिन के इस शुभ अवसर पर इस दिन को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि में मथुरा नगरी में कृष्ण भगवान ने पृथ्वी पर अपना अवतार लिया. उस समय मथुरा के राजा अत्याचारी कंस के प्रहार से प्रजा काफी दुखी थी! इसलिये दिन: दुखियों के रक्षक भगवान श्री कृष्ण स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे तथा उन्होंने कंस का वध किया।
कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार कैसे मनाया जाता है??
जन्माष्टमी के पर्व पर होने वाली चहल-पहल पूरे भारत में देखी जाती है इसके साथ-साथ विदेशों में रहने वाले भारतीय भी वहां जन्माष्टमी के पर्व को धूमधाम से मनाते हैं।
भक्तों द्वारा जन्माष्टमी के इस पर्व पर उपवास रखा जाता है, मंदिरों को सजाया जाता है, लड्डू-गोपाल की मूर्ति को झूला झूलाया जाता है, भजन-कीर्तन किये जाते हैं. इसका साथ ही अनेक स्थानों पर युवाओं में इस दिन दही- हंडी तोड़ने का जोश देखा जाता है।
इसके अलावा भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. तथा मंदिरों में श्रद्धा भक्ति भाव से भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना करते हैं. इस दिन पूरी मथुरा नगरी में भगवान कृष्ण के पर्व की चमचमाहट नजर आती है . मंदिरों को फूल-मालाओं से खूब सजाया जाता है. रात में मंदिरों में लगी लाइटों से कृष्णा नगरी भव्य लगती है।
दही हांडी महोत्सव (Janmashtami Dahi Handi Mahotsav)
ये तो हम सभी जानते हैं की भगवान कृष्ण अपनी बाल काल में नटखट और शरारती थे. उन्हें माखन खाना बेहद प्रिय था जिसके लिए वो दूसरों के मटकी से माखन चुरा कर खाते थे।
भगवान कृष्ण की इसी लीला को उनके जन्मोत्सव पर पुन: ताजा रचा जाता है. देश के कई भागों में इस दिन मटकी फोड़ने का कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है. जन्माष्टमी पर्व की पहचान बन चुकी दही-हांडी या मटकी फोड़ने की रस्म भक्तों के दिलों में भगवान श्रीकृष्ण की यादों को ताजा कर देती हैं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की कहानी
भगवान श्री कृष्ण ने पृथ्वी पर देवकी एवं वासुदेव के आठवें पुत्र के रूप में जन्म लिया. और जन्म के समय एक आकाशवाणी हुई कि देवकी का यह पुत्र कंस का वध करेगा और आगे जाकर उन्होंने अत्याचारी कंस का वध करके प्रजा को कंस के अत्याचार से बचाया।
कंस के अत्याचार से पूरी मथुरा नगरी में हाहाकार मचा हुआ था निर्दोष लोगों को सजा दी जा रही थी यहां तक कि कृष्ण के मामा कंस ने अपनी बहन देवकी तथा उनके पति वासुदेव को बेवजह काल-कोठरी (जेल) में डाल दिया।
इतना ही नहीं कंस अपने अत्याचार से देवकी के सात संतानों को पहले ही मार चुका था तथा देवकी के गर्भ से भगवान कृष्ण ने फिर इस पृथ्वी में आठवें पुत्र के रूप में जन्म लिया।
कृष्ण के जन्मदिन पर आकाश में घनघोर वर्षा होने लगी चारों तरफ घना अंधेरा छा गया. कृष्ण भगवान को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए वासुदेव सिर पर टोकरी में कृष्ण भगवान को रखते हुए यमुना की उफनती नदी को पार कर अपने मित्र नंद गोप के यहां पहुंच गए।
और वहां पर कृष्ण भगवान को यशोदा मां के पास सुला कर आ गए और इस तरह देवकी के पुत्र कृष्ण भगवान का यशोदा ने पालन-पोषण किया. इसलिए कहा जाता है कि भगवान कृष्ण की दो माताएं थी देवकी एवं यशोदा।
बचपन से ही कृष्ण भगवान ने कंस द्वारा भेजे गए दुष्टों का संहार किया! तथा कंस द्वारा प्रजा को कष्ट देने के सभी प्रयासों को विफल कर दिय. फिर अंत में एक दिन कंस का वध करके उसके अत्याचारों से प्रजा को मुक्ति दिलाई।
जन्माष्टमी का महत्व क्या है?
जिस तरह भारत में हिंदुओं के प्रमुख त्योहार होली दीपावली को मनाया जाता है. ठीक उसी तरह कृष्ण की जन्माष्टमी के अवसर पर धूमधाम से इस पर्व को भारतवर्ष में हिंदु समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है।
देश के प्रत्येक राज्य में अलग-अलग तौर तरीकों से जन्माष्टमी की पूजा कर भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न किया जाता है. लेकिन एक खास बात जो इस पर्व में आस्था के रूप में देखी जाती है की इस दिन आराध्य के जन्म में सभी माताएं बहने बच्चे बूढ़े व्रत/उपवास से खते हैं।
तथा शाम को पूजा के बाद व्रत को तोड़ते हैं! भगवान कृष्ण का युगों युगों से आस्था के केन्द्र के रूप में हिंदुओं द्वारा पूजन जाते हैं. अतः भक्ति एवं सौहार्द के साथ इस महापर्व को साथ में मिलकर सेलिब्रेट किया जाता है।
2023 में जन्माष्टमी कब है?
2023 में जन्माष्टमी 6 September बुधवार को है।
भगवान श्री कृष्ण का कौन सा जन्मदिन है?
भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास, कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र के दिन रात्री के 12 बजे हुआ था। इसी दिन को जन्माष्टमी के नाम से विश्वभर में मनाया जाता है।
भगवान कृष्ण का जन्मस्थान कहाँ पर स्तिथ है?
मथुरा भगवान कृष्ण का जन्मस्थान है।
जन्माष्टमी पर क्या खाया जाता है?
अगर आपने व्रत रखा हे तो फल, पानी, साबूदाना खिचड़ी का सेवन करे।
भगवान कृष्ण के कुल कितने नाम है?
भगवान कृष्ण के कुल 108 नाम है जैसे बाल गोपाल, कान्हा, मोहन, गोविंदा, केशव, श्याम, वासुदेव, कृष्णा, देवकीनंदन, देवेश और कई अन्य।
आज आपने क्या सीखा
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Bhagwan Vishnu ka 8th awatar krishna hai ki dewki basudev ka 8th putra
NICE
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बहुत ही अच्छी जानकारी दी है, आपने इस Article में बहुत ही Details में आपने बताया है, की janmashtami Kyu Manaya Jata Hai क्या है.