जानिए क्यों मनाया जाता है पोंगल त्यौहार, क्या है इसके पीछे की कहानी

आखिर पोंगल क्यों मनाया जाता है? पोंगल एक फ़सल उत्सव है जिसे की भगवान सूर्य को धन्यवाद अर्पण प्रदान करने के लिए मनाया जाता है। यह एक बहुत ही ख़ास त्योहार है जिसे की दक्षिण भारत, मुख्य रूप से Tamil Nadu में मनाया जाता है। ये त्योहार मकर संक्रांति के समय में मनाया जाता है जब सूर्य उत्तरायण में प्रवेश करते हैं।

Pongal, तमिल माह के प्रारंभ को भी चिह्नित करता है जिसे “थाई” कहा जाता है, जो की एक शुभ माह माना जाता है। यह आमतौर पर हर साल की 14 या 15 जनवरी को पड़ता है। वहीं पोंगल उस व्यंजन का नाम भी है जो इस त्योहार के दौरान बनाया और खाया जाता है। यह उबले हुए मीठे चावल का मिश्रण होता है। इसका नाम तमिल शब्द ‘पोंगु’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है “अधिक उबलना”।

यदि आप भी Pongal Kyu Manaya Jata Hai के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तब आपको यह आर्टिकल ज़रूर से पूरा पढ़ना होगा। तो फिर चलिए करते हैं।

पोंगल क्या है – What is Pongal in Hindi

पोंगल दक्षिण भारत का एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है जो प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के दिन मनाया जाता है। यह एक प्राचीन खेती त्योहार है जिसमें नए फसल की कटाई का जश्न मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं, रंगोलियाँ बनाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और परिवार व दोस्तों के साथ मिलकर पोंगल का विशेष भोजन बनाकर खाते हैं।

pongal kyu manaya jata hai

पोंगल के दिन सभी लोग एक-दूसरे को मिठाई बाँटते हैं और आपस में उपहार आदान-प्रदान करते हैं। यह त्योहार प्रकृति की उर्जा और उपजाऊ शक्ति की खुशियों को दर्शाता है। इस दिन की सबसे बड़ी परंपरा मकर संक्रांति के पवित्र स्नान की है जिससे लोग अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और नई आशा लेकर आगे बढ़ते हैं। पोंगल एक ऐसा त्योहार है जो हमें प्रकृति के साथ जुड़ने का मौका देता है।

त्योहारपोंगल
अन्य नामथै पोंगल, उज्जवल पोंगल, तमिल पोंगल, आदि
अनुयायीतमिल लोग, जो भारत, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, आदि में रहते हैं
प्रकारधार्मिक और सांस्कृतिक, फसल का त्योहार
पोंगलतमिल सौर कैलेंडर के अनुसार नए साल का उत्सव, एक नए शुरुआत का उत्सव
उत्सवपोंगल (व्यंजन), सजावट, घर आना, पूजा, जुलूस, उपहार देना
आवृत्तिसाल में एक बार
संबंधितमकर संक्रांति, माघ बिहू, उत्तरायण, माघी, माघे संक्रांति
तारीख15 जनवरी 2024 से 18 जनवरी 2024

पोंगल क्यों मनाया जाता है?

पोंगल असल में एक फसल उत्सव है जिसे की सूर्य देव को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए मनाया जाता है। ऐसा इसलिए क्यूँकि सूर्य देव का कृषि चक्र के संतुलन में एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। पोंगल के त्योहार को तमिल समुदाय द्वारा मनाया जाता है।

इस त्योहार के ज़रिए, भगवान सूर्य, प्रकृति माँ और विभिन्न कृषि जानवरों को धन्यवाद अर्पण किया जाता है। लोगों का मानना है की ये सभी के कृपा से ही उन्हें भरपूर फसल प्राप्त होती है। ये लोगों का ख़ास योगदान रहा है फ़सल के बढ़ोतरी में।

पोंगल का त्योहार मकर संक्रांति के समय आता है, जब सूरज उत्तरायण होने लगता है।

इस त्योहार को 4 दिन तक मनाया जाता है – भोगी, मत्तु पोंगल, कानुम पोंगल और थैपोंगल। हर दिन की अपनी ही महत्त्व होती है। इन दिनों घरों में सजावट होती है, नए कपड़े पहने जाते हैं और साथ में मिठाइयाँ बांटी जाती हैं। इस पर्व के दौरान विशेष प्रकार के पकवान जैसे पायसम, चक्रा पोंगल वग़ैरा भी बनाए जाते हैं जो सच में बहुत स्वादिष्ट होते हैं!

लोगों द्वारा, पोंगल में बड़े धूमधाम से नए साल का स्वागत किया जाता है। मुझे उम्मीद है की आप भी अपने दोस्तों के साथ मिलकर इस त्योहार का मज़ा उठाएँगे।

पोंगल कब मनाया जाता है?

पोंगल त्योहार हर साल जनवरी महीने के 14-15 तारीख़ को मनाया जाता है। यह मकर संक्रांति के दिन से शुरू होता है जब सूरज उत्तरायण होने लगता है। तो आमतौर पर पोंगल का त्योहार जनवरी के 14-15 तारीख़ के आसपास पड़ता है।

इस त्योहार को सभी लोगों द्वारा एक जश्न के रूप में लगभग 4 दिन तक बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। तो अगली बार जनवरी के महीने में पोंगल का जश्न मनाना बिलकुल भी न भूलें।

पोंगल कैसे मनाया जाता है?

पोंगल दक्षिण भारत, विशेष रूप से तमिलनाडु में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह एक 4 दिवसीय उत्सव है जिसे हर साल जनवरी के माह में मकर संक्रांति के समय मनाया जाता है। तो चलिए, इस ख़ूबसूरत त्योहार के बारे में विस्तार से जानते हैं:

मकर संक्रांति

Pongal का त्योहार मकर संक्रांति से शुरू होता है। यह वो दिन होता है जब सूर्य देव उत्तरायण की ओर बढ़ने लगते हैं। इस समय में सूर्योदय और सूर्यास्त के समय में बदलाव देखने को मिलता है। ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति से ही इस नए पर्व का आरम्भ होता है।

भोगी

Pongal का पहला दिन भोगी के नाम से जाना जाता है। इस दिन पुरानी और अवांछित वस्तुओं को आग के हवाले कर दिया जाता है। यानी की इन सभी वस्तुओं को जला दिया जाता है, ताकि नए साल की शुरुआत बढ़िया ढंग से हो। कई जगहों पर पुराने मिट्टी के बर्तन भी तोड़ दिए जाते हैं और नये बर्तन खरीदे जाते हैं। इससे एक नयी भावना का जन्म होता है।

मत्तु

Pongal का दूसरा दिन मत्तु कहलाता है। इस दिन गायों की पूजा की जाती है क्योंकि सनातन धर्म में गायों को माता का दर्जा दिया गया है, वहीं ये हमें दूध देती हैं और इनके गोबर भी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है हमारे कृषि में। इस दौरान, गायों के सींगों को रंगीन पाउडर और फूलों से सजाया जाता है।

कन्नुम

Pongal का तीसरा दिन कन्नुम के नाम से जाना जाता है। इस दिन घर की सफाई की जाती है और घर के लड़कियों द्वारा तरह तरह की रंगोलियाँ बनाई जाती हैं। लोग नये कपड़े पहनते हैं और परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं।

थैपोंगल

Pongal का चौथा दिन थैपोंगल के नाम से जाना जाता है। यह पोंगल समारोह का आख़िरी और सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए। वहीं घरों में लोग एक-दूसरे को मिठाई खिलाते हैं और त्योहार का आनंद उठाते हैं।

पोंगल में किस प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं?

पोंगल के दौरान लोग तरह तरह के पकवान बनाते हैं और एक दूसरे के साथ मिल बाँटकर खाते हैं। चलिए मैं आप लोगों को कुछ खास तरह के पकवान के बारे में बताऊँगा जिन्हें की अक्सर बनाया जाता है।

इस सूची में सबसे प्रसिद्ध है ‘चक्रा पोंगल’ जिसे की बनाने के लिए चावल, दाल और गुड़ को एक साथ मिलाकर बनाया जाता है। फिर आता है ‘पायसम’ जो कि एक मीठा किण्वित पकवान होता है। इसके अलावा ‘वेन पोंगल’ भी बनाया जाता है जिसमे गेहूँ का आटा, नारियल और किशमिश डाली जाती है। ये सभी पकवान बहुत स्वादिष्ट होते हैं!

इस प्रकार, पोंगल एक ऐसा त्योहार है जिसमे पुरानी चीज़ों को त्याग कर नयी उम्मीदों का स्वागत किया जाता है। यह हम सभी के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है।

पोंगल कब मनाया जाता है?

पोंगल मकर संक्रांति के दिन मनाया जाता है, जब सूरज उत्तरायण होता है तो उत्तर की ओर यात्रा निकलती है। यह त्योहार प्रतिवर्ष जनवरी के महीने में आता है।

पोंगल में किन्हे पूजा जाता है?

पोंगल में सूर्य देवता का पूजा किया जाता है क्योंकि ये सूर्यक्रांति का त्यौहार होता है।

पोंगल कहाँ मनाया जाता है?

पोंगल दक्षिण भारत में मुख्य रूप से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में मनाया जाता है।

आज हमें क्या सीखने को मिला?

तो दोस्तों, उम्मीद है आप लोगों को “पोंगल क्यों मनाया जाता है” पसंद आया होगा। आज के इस पोस्ट में हमने इसी विषय में पूरी जानकारी प्राप्त करी है। यदि अब भी आपके मन में किसी भी तरह को कोई शंक़ा हो तब आप हमें नीचे Comment में अपने सवाल पूछ सकते हैं।

आप सभी लोगों को पोंगल के लिए ढेर सारी सुभकामनाएँ। आप सभी अपने परिवार और दोस्तों के साथ इस सुंदर पर्व का को मज़े और मस्ती से मनाएँ। अगर आपको जानकारी अच्छा लगे तो उसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें।

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Sumit Singh

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