Monsoon क्या है, उत्पति और कैसे बनता है?

क्या आपको पता है मानसून क्या है, कहाँ से इसकी उत्पति होती है, कैसे ये बारिस लेके अता है. मानसून भारत में ही क्यूँ बरसता है. तो दोस्तों आज हम इसके बारें में ही चर्चा करेंगे और इसके साथ कुछ और बातें भी बताएँगे. जब पुरे भारत में March से लेके June के मध्य तक गरिमी पड़ती है.

तब पुरे देश में नदी, नाले, डैम सब खली हो जाते है. जंगल में पसु, पक्षी, जिब, जंतु पानी की कमी से कुछ तो मर भी जाते हैं. इंसान तो बस धुप, पसीना, लू से काफी ज्यादा परेसान होता है. नाही कुँए में नहीं तालाब में कहीं भी पानी देखने को नहीं मिलता है. सुबह सुबह ही अत्यधिक गर्मी पड़ने लगती है।

गरम हवाओं के कारण कई लोगों की तो मोंत भी हो जाती है. पैड पोधे सब सुख जाते हैं. किसान आसमान को निहारते रहता है बस बारिश के इंतजार में. किसानों के लिए तो मानसून जुआ जैसे है, बारिश हुआ तो खेती वरना नहीं. June के आते ही लोगों के जुबान पे एक ही सब्द मानसून मानसून मानसून. सब मानसून की बारिश समझते हैं. तो चलिए सीखते हैं कुछ नया मानसून के बारे में।

मानसून क्या है (What is Monsoon in Hindi)

Monsoon Kya Hai

ये Monsoon सब्द अरबी सब्द मौसुमी से उत्पन्न हुआ है. इस सब्द का मतलब है हवाएं. मानसून भारत महासागर की जिन हवाओं की वजह से भारत में रुतु कालीन बारिश होती है, उसे मानसून कहा ज्याता है. मानसून मौसुमी हवाओं को कहा ज्याता है. Hydrology सिधांत के अनुसार मानसून उन हवाओं को कहा ज्याता है जो की किसी महा में जो बारिस होती है.

वैसे भारत में दो तरह की मानसून पबन बहती है एक से ज्यादा बारिश होती है. एक से कम बारिस होती है. या फिर बोल सकते हो भारत में दो तरह का मानसून आता है।

  1. दक्षिण पश्चिमी मानसून/ ग्रीष्म कालीन ( June से October तक)
  2. उत्तर पूर्वी मानसून/ शीत कालीन (November से January तक)

मानसून पूरी तरह से हवाओं के दिसा पे निर्भर करता है. जब भी मानसून की दिसा बदलती है तब ये मानसून कहलाता है. जब ये हावा ठन्डे इलाके से गरम इलाके में आती है तब इन हवाओं में नमी की मात्र बढ़ जाती है. और इस्से बारिस होती है।

मानसून की उत्पति

एशिया जैसे विशाल महादेश में एक देश भारत भी है. यह देश ग्रीष्मकाल में उच्च तापमान के कारण गरम होने लगता है. एक बात तो आपको पता होगा जब भी हवा गरम होती है हवा हलकी हो कर बहने लगती है. इस वजह से वहां कम बायुदाब वाला खेत्र बनता है.

अब ये खेत्र अधिक बायुदाब बाले खेत्र की हवा को आमंत्रित करता है. ये हवा हमारे पास मोजूद महासागर से आती है. क्यूंकि सागर भाग स्थल भाग से कम गरम रहता है. वहां बायु का घनत्वा ज्यदा रहता है।

विज्ञानं का एक नियम है हवा हमेसा उच्च बयुदाब खेत्र से कम बयुदाब खेत्र की और बहती है. इसलिए सागर से ये हवा मानसून पवनों के रूप भारत की और बहने लगती है. भारत में ये मानसुनी हवा हिन्द महासागर और अरब सागर की तरफ से बहाने वाली हवाओं पर निर्भर करती है. जब ये मानसून हवा दक्षिण पश्चिम तट से टकराती है तो भारत के सहित आसपास के अनेक देशों में बारिस होती है।

वैसे ये दक्षिण पश्चिम मानसून June 1 तक केरल के तटीय इलाकों तक पोहंच जाता है और 5 दिन के अन्दर वहां बारिस सुरु हो जाती है. और आगे उत्तर की और बढ़ता है. धीरे धीरे ये June के अंत तक भारत के सभी राज्यों में फ़ैल जाता है।

आपको बताया गया है भारत में दो तरह की मानसून हवा चलती उसमे से दक्षिण पश्चिम मानसून सागर से स्थल भाग की और बहती है. उत्तर पूर्वी मानसून जिसको सित मानसून कहा जाता है।

ये हवाएं स्थल भाग से समुद्र की और बहती हैं. हमारे देश में दक्षिण पश्चिम मानसून के कारण अधिकांस इलाके में वर्षा होती है. हमारे देश की भूगोलिक स्तिथि की बात की जाये तो कर्क रेखा भारत में से पूर्ब से पश्चिम दिसा की और गुजरती है.

इसी कारण देश का जलाबयु में अंतर दीखता है. भारत में जितने भी रुतु हैं जैसे वर्षा, ग्रीष्म, सित केवल वर्षा को मानसून नाम से जाना जाता है. मानसून से तापमान में कमी होती है. लेकिन आद्रता की मात्र बढ़ जाती है. आद्रता जलबायु में महत्वा पूर्ण भूमिका मानी जाती है।

मानसून कहाँ से कब कब गुजरता है

मानसून की उत्पति

सबसे पहले मानसून 1 June को केरल राज्य में पोहंचाता है. यही से अरब सागर से आने वाली मानसून हवाएं उत्तर की और बढती हैं. इसी प्रकार तिरुवनंतपुरम से मुंबई तक बड़ी तेजी से 10 दिन के अंदर मतलब लगभग June 10 तक मुंबई पोहंच जाती हैं. इसी बिच बंगाल खाड़ी से गुजर ने वाली मानसून हवा धीरे धीरे उत्तर की और बढ़ने लगती है.

June के प्रथम सप्ताह में असम तक पोहंच जाती है. आगे चल कर ये हिमालय के दक्षिणी से टकरा के मस्चिम की और मुड जाती है. इस वजह से ये मियामर की और नहीं जाके गंगा की और होती है।

अगर हम पूर्ब की बात करें तो यहाँ कोलकाता सहर है. जहाँ 7 June तक मानसून पोहंच जाता है. 15 June तक ये मोनसूनी हवा आधे भारत में फ़ैल जाती है. अरब सागर वाली पवन और बंगाल खाड़ी वाली पवन एक जगह पर फिरसे सम्मिल्लत होते हैं. पश्चिम और उत्तर वाले प्रदेश जैसे हरयाणा, पंजाब, राजस्थान तक ये हवाएं 1 July तक पोहंच जाती हैं।

उड़ीसा, बिहार छातिसगद, झारखण्ड तक मानसून 10 से 15 July तक पोहंच जाता है. अगर हम दिल्ली की बात करें तो वहां बारिस कभी पूर्वी दिसा से आती है और कभी बंगाल की खाड़ी से. मौसोमसस्त्रियों के अनुसार ये बतापाना मुस्किल होता है की दिल्ली में किस और से बारिस होगी. मध्य July तक मानसून कश्मीर के साथ साथ देश के दुसरे इलाकों तक मानसून पोहंच जाता है।

सित रुतु में जब भूस्थल ठंडा होता है तब सूस्क हवाएं उत्तर पुर्बी मानसून बन के हवा चलती है. उत्तर पुर्बी मानसून JANUARY के आरंभ तक पुरे भारत के हर भाग में फ़ैल जाता है. ये मानसून बारिस तो कम ही लेके आता है. लेकिन सर्दी में होने वाले फसलों के लिए बोहत उपयोगी है. तमिलनाडु में ये मानसून काफी बारिस करवाता है. भरता मानसून की बात करे तो एक भिन्न देश है।

कभी यहाँ कुछ इलाकों में अत्यधिक ब्रुस्ती के कारण यहाँ बाड जैसी स्तिथि बन जाती है तो कहीं साल भर सुखा. भारत में ओसत ब्रुस्ती की मात्र 116 CM है. चेरापूंजी में बारिस 1100 CM होती है. एसे भी हैं जैसे जैसलमेर में 20 CM ब्रुस्ती होती है. भारत में मानसून 4 महीने तक रहता है लेकिन इसका ये मतलब नहीं हमेसा बारिस होगी.

कुछ दिन बारिस होती है और कुछ दिन बादल. कुछ स्थानों में बारिस प्रबल होने के कारण सरकार का, फसलों का, जिव जंतुओं का अच्छा खासा नुकसान होता है।

ये कुछ जानकारी थी मानसून क्या है (What is monsoon in Hindi) और भारत में Monsoon कहाँ से आत है. मानसून की उत्पति अब जानेंगे मानसून से बारिस कैसे होती है।

मानसून से बारिस कैसे होती है

भारत का निचे का भाग त्रिकोण है. जिसकी वजह से जब दक्षिण पश्चिम मानसून जिसमे काफी मात्र में नमी होती है, जब भारत में प्रबेस करता है. तब ये दो हिस्सों में बट जाता है. आप ये मत समझना की मानसून से बारिश होता है. इसके पीछे भारत में जो पर्बत श्रेणी है उनकी वजह से बारिस होती है.

मानसून हवा में काफी मात्र में नमी रहती जब ये भारत के अलग अलग उच्च पर्बत माला से टकराती है, तब ये बारिस में बदलती हैं. ये धीर आगे बढती बढती भारत में बारिस करवाती है. इसी का नाम है वर्षा रुतु।

जब ये नम हवा आगे बढ़ते बढ़ते जाती है, तब आगे चल के हवा सूस्ख हो जाती है. और October में मानसून ख़तम हो जाता है. पश्चिम घाट के पास मुंबई सहर है जहाँ 185.7 cm बारिश होती है लेकिन अगर हम पुणे सहर की बात करें जो की पश्चिम घाट से 160 Kilometer दूर है वहां केवल 50 CM बारिश होती है. कुछ इस तरह मानसून से बारिस होती है. हर साल भारत में बारिस में कमी नजर आर ही है, तो इसको भी देखते हैं।

वर्षा के दिन क्यूँ कम हो रहे हैं

दिन प्रतिदिन बारिश के दिन कम होते जा रहे हैं क्यूंकि Global warming के कारण. अगर एक दिन में 3 mm या इस्से अधिक बारिश होने से उस दिन को बारिस का दिन कहते हैं. 20 साल पहले बारिश तो बोहत ही ज्यादा होती थी लेकिन अब की बात करें तो बारिश काफी कम है।

वर्षा के दिन क्यूँ कम हो रहे हैं

Scinentist का मानना है अगले सदी तक भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून 15 से 20 दिन बिलंब से पोहंचे गा. Global warming की वजह से मानसून अपनी दिसा बदल सकता है, पूर्ब की और. इससे भारत, पाकिस्तान और नेपाल में बारिस कम होने की संभाबना है. निचे कुछ अकड़े हैं किस किस साल कितने बारिस के दिन थे.

आज आपने क्या सीखा

तो दोस्तों आज की जानकारी काफी महत्वा पूर्ण है. जिसमे मानसून की बहुत अछि जानकारी है. जैसे की Monsoon क्या है (What is monsoon in Hindi), मानसून की उत्पति कहाँ से हुई. कब तक ये मानसून भारत के अलग अलग खेत्र में पोहंचता है और कैसे monsoon से बारिश होती है.

लेकिन प्रदूषण के कारण बारिश के दिन साल भर साल कम होते आरहे हैं. इसके साथ साथ मानसून के दिनों में भी देरी हो रही है. इसलिए हमें प्रदूषण रोकने के लिए सजग रहना चाहिए. वरना भारत को मरुभूमि में परीबर्तन होने में जादा साल नहीं लगेंगे. तो आप भी कुछ सोचिये।

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Sumit Singh

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