क्या आप जानते हैं की नवरात्रि 2024 क्यो मनाया जाता है? यदि नहीं तब आज का यह article आपके लिए काफी जानकारी भरा होने वाला है।
नवरात्रि संस्कृत शब्द है जो कि नव + रात्रि से मिलकर बना है जिसका मतलब नौ रातें होता है. नवरात्रि भारत में हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है।
इस पर्व को दस दिनों तक लगातार मनाया जाता है और इसके दसवे दिन को दशहरा के नाम से जाना जाता है. इन नौ रातों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा आराधना की जाती है।
हिंदी कैलेंडर के अनुसार नवरात्रि वर्ष में चार बार पौष, चैत्र, शरद एवं आषाढ़ माह में आती है और चारों माहों में प्रतिपदा से लेकर नवमी तक नवरात्रि मानने का नियम है. हालांकि मुख्य रूप से सिर्फ चैत्र एवं शरद माह की नवरात्रि को मनाया जाता है।
नवरात्रि को हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा देशभर में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इसलिए मैंने सोचा की क्यूँ न आप लोगों को नवरात्रि से जुडी सभी जानकारी प्रदान करूँ जिससे आपको सभी चीज़ों का ज्ञान हो जाये. तो फिर चलिए शुरू करते हैं भारत के प्रमुख त्यौहार नवरात्रि।
नवरात्रि या Navratri हिन्दू धर्मावलंबियों के द्वारा मनाया जाने वाला मुख्य पर्व माना जाता है और इसे भारतवर्ष में बहुत धूम धाम एवं भक्ति भावना के साथ मनाया जाता है।
सभी जगह ये पर्व अलग अलग तरीके से मनाया जाता है. चैत्र माह एवं अश्विन माह की नवरात्रि को मनाने के तरीके भी अलग अलग है।
चैत्र माह हिंदी कैलेंडर का पहला महीना कहलाता है. नवरात्रि पर्व के पीछे बहुत सी कहानियां एवं पौराणिक कथाएं प्रचिलित है. नवरात्रि के नौ दिन बाद मनाये जाने वाले दशहरा पर्व से भगवान राम की भी कथा जुड़ी हुई है।
नाम | नवरात्रि |
अन्य नाम | नराते, नवरात्र |
आरम्भ | चैत्र माह और अश्विन माह |
तिथि | प्रतिपदा से नवमी तिथि तक |
उद्देश्य | धार्मिक निष्ठा, उत्सव, मनोरंजन |
अनुयायी | हिन्दू, भारतीय |
नवरात्रि हर साल शरद ऋतु में मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है. यह आमतौर पर सितंबर और अक्टूबर के महीनों में पड़ता है। इस साल यह Thu, 7 Oct, 2021 – Fri, 15 Oct, 2024 तक है।
कुछ लोग सोच सकते हैं कि नवरात्रि नौ दिनों तक चलती है लेकिन यह वास्तव में तीन दिन, 9 दिन और 27 दिनों तक चलती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस क्षेत्र में त्योहार मना रहे हैं. हालांकि, गुजरात और महाराष्ट्र के लोग इसे नौ दिनों तक मनाते हैं।
नवरात्रि पर्व मनाये जाने के पीछे दो पौराणिक मान्यताएं प्रचिलित हैं. एक मान्यता के अनुसार महिषासुर नाम का एक राक्षस था जो कि ब्रम्हा जी का भक्त था और उसने अपनी कठोर तपस्या से ब्रम्हा जी को प्रसन्न कर दिया था तब ब्रम्हा जी ने उसे वर मांगने को कहा।
उसने वरदान मांगा की देव, दानव और पृथ्वी में रहने वाला कोई भी मनुष्य उसका वध न कर सके।
चूंकि महिषासुर राक्षस था इसीलिए वरदान प्राप्त करने के बाद वो तीनों लोकों में आतंक मचाने लगा जिससे परेशान होकर देवी देवताओं ने ब्रम्हा, विष्णु एवं महेश के साथ मिलकर माँ शक्ति के रूप में दुर्गा माँ को जन्म दिया।
माँ दुर्गा और राक्षस महिषासुर के बीच नौ दिनों तक लगातार युद्ध चला और दसवे दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर को पराजित कर उसका वध कर दिया. अच्छाई पर बुराई की जीत के रूप में नौ दिनों तक नवरात्रि पर्व मनाया जाता हैं।
दूसरी मान्यता के अनुसार भगवान राम ने लंकापति रावण पर विजय हासिल करने के लिए माँ शक्ति अर्थात माँ दुर्गा की नौ दिनों तक लगातार आराधना की थी और इस आराधना से प्रसन्न होकर माँ दुर्गा ने भगवान राम को लंका में विजय प्राप्त करने का आशीर्वाद दिया था. दसवें दिन भगवान राम ने रावण का वध कर लंका में विजय हासिल कर लिया था।
इन्ही नौ दिनों को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है और दसवे दिन जिस दिन भगवान राम ने लंका पर विजय हासिल की उसे विजयादशमी अर्थात दशहरा के रूप में मनाया जाता है।
अब चलिए सभी नौ देवियों के नाम जानते हैं :-
शैलपुत्री | इसका अर्थ | पहाड़ों की पुत्री होता है। |
ब्रह्मचारिणी | इसका अर्थ | ब्रह्मचारीणी। |
चंद्रघंटा | इसका अर्थ | चाँद की तरह चमकने वाली। |
कूष्माण्डा | इसका अर्थ | पूरा जगत उनके पैर में है। |
स्कंदमाता | इसका अर्थ | कार्तिक स्वामी की माता। |
कात्यायनी | इसका अर्थ | कात्यायन आश्रम में जन्मि। |
कालरात्रि | इसका अर्थ | काल का नाश करने वली। |
महागौरी | इसका अर्थ | सफेद रंग वाली मां। |
सिद्धिदात्री | इसका अर्थ | सर्व सिद्धि देने वाली। |
यहाँ पर आपको हम नवरात्रि के पूजन विधि के विषय में जानकारी प्रदान करेंगे. तो फिर चलिए जानते हैं।
चैत्र माह की प्रतिपदा के दिन स्नान कर जंवारें बोये जाते हैं और नौ दिनों तक माता के नाम से व्रत रखा जाता है. इन दिनों में मांस एवं शराब के सेवन से परहेज किया जाता है. इन नौ दिनों तक माँ शक्ति के नौ अलग अलग रूपों की आराधना की जाती है।
अष्टमी तथा नवमी को महतिथि मानी जाती है और इन तिथियों को पूजा आराधना कर कन्या भोजन कराने का रिवाज है. नवमी के दिन जंवारें किसी नदी या तालाब में विसर्जन कर दिए जाते हैं।
शरद माह नवरात्रि की पूजन विधि भी लगभग चैत्र माह नवरात्रि के जैंसे ही है लेकिन शरद माह की नवरात्रि में जंवारें स्थापना न करके मां दुर्गा जी की मूर्ति स्थापना की जाती है. और माँ दुर्गा की मूर्ति की 9 दिनों तक विधि विधान के साथ पूजन कर हवन आयोजन किया जाता है।
हवन पश्चात अष्टमी अथवा नवमी के दिन भंडारे का आयोजन किया जाता है और दसवें दिन अर्थात दशहरा के दिन मूर्ति नदी में विसर्जित कर दी जाती है।
हिंदी कैलेंडर के अनुसार नवरात्रि का पर्व वर्ष भर में चार बार आता है. नवरात्रि पर्व पौष, चैत्र, शरद एवं आषाढ़ माह में आता है. लेकिन इनमे मुख्यत: दो ही नवरात्रि मनाई जाती है एक चैत्र माह की और दूसरी शरद मास की।
चारों नवरात्रि हिंदी कैलेंडर के अनुसार प्रतिपदा से लेकर नवमीं तक मनाई जाती है अर्थात पहली तारीख से लेकर नवी तारीख तक. दसवे दिन को दशहरा के नाम से जाना जाता है।
श्री दुर्गा सप्तशती मंत्र
1. आरोग्य और सौभाग्य के लिए-
देहि सौभाग्यंमारोग्यं देहिमे परमं सुखं रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।
2. सब प्रकार के कल्याण के लिए
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।
नवरात्रि हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व है और इसका काफी ज्यादा महत्व माना गया है. माना जाता है माँ दुर्गा की आराधना करने एवं माँ दुर्गा को खुश करने के लिए नवरात्रि का पर्व सबसे अनुकूल समय होता है. कहा जाता है कि नवरात्रि पूजा पौराणिक काल से चली आ रही है।
मान्यता है कि नवरात्रि में माँ दुर्गा की विधिवत आराधना करने से क्रोध, अहंकार, वासना एवं बुराई पर विजय प्राप्त होती है।
यह भी मान्यता है कि माँ दुर्गा जिसके ऊपर खुश रहती हैं उसे सुख, संपदा एवं धन की प्राप्ति होती है. चूंकि नवरात्रि में माँ शक्ति के नौ अलग अलग रूपों की आराधना की जाती है और सभी पूजा के अलग अलग महत्व माने गए हैं।
चैत्र माह की नवरात्रि का पर्व जंवारें स्थापित कर व्रत रखकर मनाया जाता है. जवारों को बैंड बाजों के साथ धुम धाम से महिलाये अपने सिर पर रखकर विसर्जन के लिये ले जाती हैं. वहीं शरद माह की नवरात्री के पर्व की बात ही अलग है. इस नवरात्रि का अलग ही माहौल रहता है।
इस नवरात्रि में गली मोहल्लों में माँ दुर्गा जी की मूर्तिस्थापना की जाती है और फिर नौ दिन तक सभी मिल जुलकर भक्ति भावना से माँ दुर्गा की सेवा एवं पूजा आराधना करते हैं।
आठवे अथवा नवे दिन यज्ञ का आयोजन होता है जिसमें सभी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं और यज्ञ का पुण्य प्राप्त करते हैं. वहीं आठवे अथवा नवे दिन भंडारे का भी आयोजन किया जाता है, भंडारे के खाने को महाप्रसाद माना जाता है. कई जगहों पर नवरात्रि के पर्व में गरबा का आयोजन किया जाता है।
दुर्गा जी के पंडालों को लाइटों, फूलों एवं झालर आदि साज सज्जा की सामग्रियों से सजाया जाता है. दसवें दिन बैंड बाजे एवं डी.जे. के साथ नाच गाना करते हुए माँ दुर्गा को अंतिम विदाई दी जाती है।
नवरात्रि “दुर्गा पूजा” या “शरदोत्सव” से शुरू होती है जो पांच दिनों तक मनाया जाता है। नवरात्रि के पहले दिन की शुरुआत दुर्गा पूजा से होती है। इस समय के दौरान किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है बकरियों, भैंसों या कबूतरों सहित पशु बलि।
साल में दो बार नवरात्रि क्यों मनाई जाती है, इसका कारण यह है कि हिंदू धर्म दो अलग-अलग कैलेंडर, एक चंद्र और एक सौर के अनुसार त्योहार मनाता है।
नवरात्रि देवी दुर्गा का त्योहार है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार नौ दिनों तक मनाया जाता है। नवरात्रि एक ऐसा त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है। नवरात्रि को शरदोत्सव या विजयोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।
आज आपने क्या सीखा
मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख नवरात्रि 2024 क्यो मनाया जाता है? जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को नवरात्रि के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है।
इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे. यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं।
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