NAT translate करती है computers के IP addresses को एक single IP address में वो भी एक local network में. NAT का Full-Form होता है “Network Address Translation.” इस address का इस्तमाल अक्सर router करता है जो की computers को connect करता है Internet के साथ. Router को connect किया जाता है एक DSL modem, cable modem, T1 line, या एक dial-up modem के साथ.
जब दुसरे computers Internet में attempt करते हैं computers को access करने के लिए वो भी local network में, तब वो केवल देख पाते हैं router के IP address को ही. ये add करती है एक extra level की security, चूँकि router को configured किया जाता है एक firewall के रूप में, वहीँ केवल authorized systems को ही allow किया जाता है computers को access करने के लिए वो भी network में.
एक बार system को allow किया जाये network के बाहर से वो भी एक computer को access करने के लिए एक Network के भीतर में, तब IP address को फिर translate किया जाता है router’s address से computer’s unique address में. ये address को आप एक “NAT table” में पा सकते हैं जो की define करता है internal IP addresses computers के network में.
ये NAT table define करता है global address को जिसे की देखा जा सकता है computers के द्वारा network के बाहर. वैसे तो प्रत्येक computer की एक local network में, एक specific IP address होती है, ऐसे में external systems केवल देख सकते हैं एक ही IP address जब उन्हें connect किया जाता है किसी भी computers के साथ एक network में.
आसान भाषा में कहें तब, network address translation मुमकिन करता है computers के लिए जो की local area network (LAN) के बाहर में स्थित हैं वो भी केवल एह ही IP address को देखने के लिए, वहीँ computers एक network के भीतर प्रत्येक system की unique address को देख सकते हैं. वैसे इससे Network Security में काफी मदद मिलती है, लेकिन ये साथ में limit कर देती है number of IP addresses को जिसकी जरुरत होती है companies और organizations के द्वारा. वहीँ NAT के इस्तमाल से, यहाँ काफी बड़ी companies जिनकी हजारों की तादाद में computers हो वो भी इस्तमाल कर सकती हैं एक single IP address Internet के साथ connect होने के लिए. अब इससे पता चलता है की ये काफी efficient होती है.