नरक चतुर्दशी को छोटी द‍िवाली क्यों मनाते है?

क्या आप जानते हैं की आख़िर Choti Diwali क्यों मनाया जाता है? यदि नहीं तब आज के इस आर्टिकल में आपको वो सभी कारण विस्तारपूर्वक समझ में आ जाएँगे जिससे की आपके मन की शंक़ा भी दूर हो जाएगी। भारतवर्ष में मनाए जानेवाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। दिवाली जिसे की दीपों का त्योहार भी कहा जाता है वो ओर कुछ दिनों के बाद आने वाला है। इसे रोशनी का त्योहार भी कहा जाता है।

बुराई पर अच्छाई और अंधेरे पर प्रकाश की जीत को चिह्नित करते हुए, दिवाली के उत्सव में लोग देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं और अपने प्रियजनों को बधाई देते हैं। यही दिवाली का त्योहार क़रीब पाँच दिन का पर्व होता है, वहीं इसमें छोटी दीपावली भी एक अंश है जिसे की धूम धाम से मनाया जाता है।

आपकी जानकारी के लिए बता दूँ की धनतेरस और दिवाली के बीच वाले दिन को छोटी दिवाली कहा जाता है। इस दिन को नरक चतुर्दशी और रूप चतुर्दशी के रूप में भी जाना जाता है। वहीं इस दिन लोग अपने घरों को रोशन करके दिन मनाते हैं क्योंकि वे अब मुख्य दिन की प्रतीक्षा करते हैं। इस दिन से जुड़ी कई किंवदंतियां हैं, जिसके बारे में आगे हम जानेंगे। तो फिर बिना देरी के चलिए जानते हैं की छोटी दीपावली क्यों मानते है

छोटी दिवाली क्या है?

नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “छोटी दिवाली“। यह एक हिंदू त्योहार है जो हिंदू कैलेंडर में कार्तिक महीने के 14 वें दिन पड़ता है।

choti diwali kyu manate hai

त्योहार दुर्गा पूजा के अंत का प्रतीक है और अंधेरे पर प्रकाश की जीत का जश्न मनाता है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। यह दिन पितृ पक्ष के अंत का भी प्रतीक है, जो पूर्वजों के लिए शोक का एक अनुष्ठान काल है, जिसके दौरान लोग उपवास करते हैं और सांसारिक सुखों में लिप्त होने से परहेज करते हैं।

यह त्योहार एक अंधेरी रात को पड़ता है, इसलिए इसे नरक चतुर्दशी या “राक्षसों के साथ रात” कहा जाता है। यह नाम बताता है कि अंधकार को प्रकाश से मिटाया जा सकता है जैसे बुराई को अच्छाई से हराया जा सकता है।

नामनरक चतुर्दशी
अन्य नामछोटी दिवाली, रूप चतुर्दशी, काली चतुर्दशी
आरम्भरामायण काल से
तिथिअश्विनी मास (अमांता) / कार्तिक मास (पूर्णिमांत), कृष्ण पक्ष, चतुर्द: तिथि
उद्देश्यधार्मिक निष्ठा, उत्सव
अनुयायीहिंदू
पालनफसल उत्सव के रूप में दिवाली की उत्पत्ति
आवृत्तिसालाना
तारीख24 अक्टूबर

छोटी दिवाली क्यों मनाया जाता है?

अब चलिए जानते हैं आख़िर वो कौन से ऐसे कारण है जिसके लिए हम छोटी दिवाली मनाते हैं। साथ में इससे जुड़ी सभी कहानियों के बारे में भी जानेंगे के नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली क्यों कहते है।

भगवान कृष्ण और नरकासुर की कहानी

एक पौराणिक कथा से पता चलता है कि दानव राजा, नरकासुर, जो प्रागज्योतिषपुर (नेपाल के दक्षिण में प्रांत) के शासक थे, उसने बहुत से देवी देवताओं को हराया था। वहीं हारने के बाद उसने विभिन्न देवताओं और राजाओं की क़रीब 16,000 बेटियों को भी कैद कर लिया था। इतना ही नहीं, उसने सभी देवी-देवताओं की माता मानी जाने वाली देवी अदिति की बालियां भी छीन लीं थी।

नरक चतुर्दशी से एक दिन पहले ही, भगवान कृष्ण ने नरकासुर को हरा दिया (वध किया) और सभी देवताओं और राजाओं के पुत्रियों को कैद से मुक्त कर दिया। उन्होंने देवी अदिति के कीमती झुमके भी बरामद किए और उन्हें वापस किया। छोटी दिवाली के दिन ही, उन्होंने विजयी होकर घर लौटे थे। और इस प्रकार इस दिन को दानव पर उनकी विजय के रूप में मनाया जाता है।

भगवान विष्णु और महाराज बलि की कहानी

छोटी दिवाली के दिन को बाली प्रतिपदा के नाम से भी जाना जाता है (शब्द ‘प्रतिप्रदा’ का अर्थ है किसी चुनौती देने वाले के पैर के नीचे)।

किंवदंती के अनुसार बलि एक बहुत प्रभावशाली राजा था। वो इतना ज़्यादा प्रभावशाली था कि, उससे सभी देवताओं को हमेशा डर लगा रहता था। उसने तीनों लोकों पर विजय भी प्राप्त कर चुका था। लेकिन वो उन्हें अन्यायपूर्ण तरीके से शासन करता था। इस डर का मुकाबला करने के लिए, भगवान विष्णु जी ने वामन अवतार में उनके पास गए और उन्होंने उसे अपने राज्य का सिर्फ 3 फुट का स्थान देने के लिए कहा।

बलि ने गर्व से भरकर भगवान विष्णु जी को भिखारी कहा और कहा कि तुम्हें जो माँगना है माँगो, वो उन्हें ये देने के लिए तैयार हो गया। बुद्धिमान भगवान विष्णु जी ने केवल 3 फुट का स्थान देने के लिए कहा।

अब भगवान जी ने तीनों लोकों को मात्र दो चरणों में ढँक दिया, वहीं अब उन्होंने राजा से पूछा कि वह अपना तीसरा पैर कहाँ रखे। बाली ने उसे अपने सिर पर रखने के लिए कहा, और इस प्रकार, भगवान विष्णु ने उसका सिर जीत लिया और उससे तीनों लोकों को भी उससे वापस छीन लिया।

और इस प्रकार, छोटी दिवाली अच्छाई की जीत और लालच की हार का जश्न मनाने के लिए मनाई जाती है। अब आप जान चुके होंगे कि इस दिन का महत्व केवल भव्यता के प्रदर्शन से कहीं अधिक गहरा क्यों है। इसलिए, यह त्योहार एक समृद्ध भविष्य और लालच के उन्मूलन के लिए समर्पित है।

छोटी दिवाली धनतेरस के एक दिन बाद और दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है।

भगवान विष्णु और महाराज रति देव की कहानी

एक अन्य किंवदंती के अनुसार, रति देव नाम का एक राजा था जिसने कभी एक भी पाप नहीं किया था। लेकिन जब उसकी मृत्यु हुई तब यमदूत उसे नरक में ले जाने के लिए आए।

वह यह सुनकर चौंक गया और उसने उन्हें नरक जाने का कारण पूछा, तो यमदूत ने उत्तर दिया की, ‘तुमने भूखे ब्राह्मण को लौटा दिया, और यह उस पाप का परिणाम है।’ ऐसा सुनकर, राजा ने उन्हें एक वर्ष का समय मांगा, और इस बात को यमदूत ने मान भी ली।

वह जब अपने राज्य के भीतर लौटा तब उसने अपने राज्य के ऋषियों को यह कथा सुनाई और इस समस्या का उपाय पूछा। उन ऋषियों में से एक ने राजन को कृष्ण पक्ष कार्तिक चतुर्दशी पर उपवास करने का समाधान बताया, साथ ही ब्राह्मणों को भोजन परोसने की सलाह दी।

राजा रति देव ने भी ठीक वैसा ही किया, और वह अपने सभी पापों से मुक्त हो गया। एक साल बाद जब यमदूत आए तब वो उन्हें नरक लोक के बजाय, उन्हें विष्णु लोक में ले गए। इसलिए, आपने कई लोगों को इस दिन उपवास करते और जरूरतमंदों को भोजन देते हुए देखा होगा।

भगवान विष्णु और योगिराज की कहानी

एक अन्य लोक्कथा के अनुसार, एक समय की बात है, हिरणनगर राज्य में योगीराज नाम का एक व्यक्ति रहता था। भगवान को खुश करने के लिए, वह कठोर तपस्या और उपवास रखता था। ऐसा करने के दौरान, और अपने आत्म-त्याग के दौरान बड़े पैमाने पर पीड़ित होता है। उसका पूरा शरीर कुरूप हो गया और वह अत्यंत दुखी हो गया।

उनकी दुर्दशा देखकर, भगवान नारद उनके पास गए और उनके दुख का कारण पूछा, जिस पर योगीराज ने उन्हें अपने कष्टों के बारे में बताया। नारद जी ने उससे कहा कि यद्यपि उसके इरादे सही थे, लेकिन वह शरीर की नैतिकता का पालन करना भूल गया। उन्होंने योगीराज को स्वस्थ और आकर्षक शरीर के लिए कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी का व्रत रखने को कहा। फलस्वरूप योगीराज को सुन्दर शरीर की प्राप्ति हुई।

छोटी दीपावली (Narak Chaturdashi) 2024 Date & Timings

Date of Choti Diwali (Narak Chaturdashi)12th November 2023
Narak Chaturdashi प्रारम्भ 1 नवंबर को 1 बजकर 59 मिनट से 
Narak Chaturdashi ख़त्म 12 नवंबर को दोपहर के 2 बजकर 45 मिनट तक

छोटी दीपावली को ओर किस नाम से जाना जाता है?

छोटी दीपावली को रूप चौदस या नरक चतुर्दशी, काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है।

छोटी दीपावली को कब मनाया जाता है?

छोटी दीपावली को पूरे भारत में दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है।

आज आपने क्या सीखा

मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख छोटी द‍िवाली क्यों मनाते है जरुर पसंद आई होगी। मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को छोटी दीपावली से जुड़ी कहानी के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या इन्टरनेट में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है।

इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे। यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं।

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Sumit Singh

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