OLED क्या है और कैसे काम करता है?

क्या आपको पता है की OLED क्या है? हाल ही में आप सभी ने इस OLED Display के बारे में जरुर सुना होगा क्यूंकि iPhone X और Samsung Galaxy Note 8 दोनों में इसबार Manufacturer ने OLED Display का इस्तमाल किया है. ये न केवल phones को अच्छा look प्रदान कर रहा है बल्कि इससे बहुत ही नए features phone को मिल रहे हैं. चूँकि ये OLED Display बहुत ही कीमती है इसलिए इसका इस्तमाल अभी के लिए केवल high end phones और दुसरे Tech Gadgets में हो रहा है।

हम में से बहुतों ने तो इसके विषय में सुना होगा की ये LED का एक नया version है Organic LED लेकिन क्या आपको इसके विषय में पूरी जानकारी है. यदि नहीं तो कृपया मेरे साथ बने रहिये और इस article को पूरी तरह से पढ़ें, आखिर तक आपको OLED Display के विषय में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त हो जाएगी।

तो फिर बिना देरी किये चलिए जानते हैं की आखिर ये OLED Display क्या है और ये किसप्रकार से दुसरे LED से भिन्न है, तो फिर चलिए शुरू करते हैं।

OLED क्या है (What is OLED in Hindi)

OLED Kya Hai Hindi

OLED का Full Form होता है Organic Light Emitting Diodes. ये flat light emitting technology होती है. जिसे की बनाया जाता है series of organic thin films को एकसाथ place किया जाता है series में दो conductors के बिच में।

जब भी उनके भीतर से electric current को pass किया जाता है तब वो bright light emit करती है. OLEDs emissive display होती है जिन्हें की backlight की कोई जरुरत नहीं होती है, इसके साथ ये बहुत ही पतले होते हैं और LCD displays के तुलना में बहुत ज्यादा efficient होते हैं।

OLED Displays न केवल पतले और efficient होते हैं बल्कि ये सबसे बेहतर image quality भी provide करते हैं. इसके साथ उन्हें transparent, flexible, foldable और rollable, stretchable भी बनाया जा सकता है भविष्य में.

इसलिए OLED को display technology का भविष्य भी कहना गलत नहीं होगा. इसे चलाने के लिए बहुत ही कम power की जरुरत होती है. OLED का इस्तमाल अभी mobile phones, smartphones और gaming devices में किया जाता है।

History of OLED

सबसे पहले OLED device को सन 1987 में develop किया गया था Ching W. Tang और Steven Van Slyke के द्वारा Eastman Kodak में. तब से लेकर आज तक OLED technology में कई बदलाव लाये जा चुके हैं, इसे बहुत बार improve भी किया जा चूका है जिससे ये बहुत ही कम power के इस्तमाल से बहुत effcient light प्रदान करता है।

OLED Technology क्या है

OLED panels organic (carbon based) materials से बने हुए होते हैं और ये light emit तभी करते हैं जब इनमें से electricity को pass किया जाता है. चूँकि OLEDs को किसी backlight और filters (जैसे की LCD displays में होती है), इसलिए ये ज्यादा efficient, बनाने के लिए आसान, और बहुत पतले हुआ करते हैं – इसके साथ इन्हें आसानी से flexible और rollable भी किया जा सकता है।

OLEDs में बेहतरीन picture quality होती है – brilliant colors, infinite contrast, fast response rate और wide viewing angles इसके कुछ मुख्य features हैं. OLEDs का इस्तमाल OLED Lighting के लिए भी होता है जहाँ की पतले, efficient और बिना किसी metals के इसे बनाया जा सकता है।

Working of OLEDs in hindi

OLED display का मुख्य component होता है OLED emitter – जो की एक organic (carbon-based) material होता है और वो light emit तभी करता है जब उसमें electricity apply की जाती है।

एक OLED का Basic structure कुछ इसप्रकार से होता है की जिसमें एक emissive layer को sandwiched किया जाता है एक cathode (जो की electrons को inject करती है) और एक anode (जो की electrons को remove करती है) के बिच।

OLEDs आम तोर से conventional diodes और LEDs के तरह ही काम करते हैं, लेकिन यहाँ n-type और p-type semiconductors के layers को इस्तमाल करने के बदले, organic molecules का इस्तमाल किया जाता है electrons और holes को produce करने के लिए।

एक simple OLED six different layers से बनी हुई होती है. इसके top और bottom में protective glass or plastic layers होते हैं . Top layer को “seal” कहा जाता है और bottom layer को “substrate” कहा जाता है।

इन layers के बिच, एक negative terminal (जिसे की कभी कभी cathode कहा जाता है) और एक positive terminal (जिसे की कभी कभी anode कहा जाता है) होता है. Finally, anode और cathode के बिच two layers होते हैं जिन्हें की organic molecules से बनाया गया होता है जिसे की emissive layer (जहाँ की light को produce किया जाता है, जो की cathode के बगल में होता है) और conductive layer (जो की anode के बगल में होता है) कहा जाता है।

Modern OLED devices में बहुत सारे layers का इस्तमाल होता है, ताकि इन्हें ज्यादा efficient और durable बनाया जा सके, लेकिन इन सभी की basic functionality वही समान रहती है।

कैसे OLED Panel को बनाया जाता है

एक OLED panel बना होता है एक substrate, backplane (electronics – the driver), frontplane और एक encapsulation layer. OLEDs बहुत ही sensitive होते हैं oxygen और moisture के प्रति इसके साथ encapsulation layer भी बहुत critical होता है।

Substrate और backplane किसी भी OLED display का बहुत ही similar होता है एक LCD display के तरह, लेकिन front plane deposition बहुत ही unique होता है OLEDs का. बहुत से तरीके होते हैं organice layers को deposit और pattern करने के लिए।

अभी के समय में प्राय सभी OLED displays को बनाया जाता है vacuum evaporation के द्वारा, इसके साथ pattern करने के लिए Shadow Mask (FMM, Fine Metal Mask) का इस्तमाल होता है. ये बहुत ही आसान method होता है लेकिन ये बहुत ही inefficient (बहुत सारे materials यहाँ पर waste हो जाते हैं) होता है क्यूंकि इसे large substrate में scale up करना कठिन है।

कुछ OLED materials soluble होते हैं, और इसे printing methods के इस्तमाल से deposit किया जाता है, यहाँ ink-jet printing का इस्तमाल किया जाता है. इस technology को अभी तक commercialized नहीं किया गया है, लेकिन OLED makers का मानना है की ink-jet printing को scalable, efficient और cheap भी किया जा सकता है ताकि इसका इस्तमाल OLEDs को deposit के लिए किया जा सकता है।

इन OLEDs को Organic क्यूँ कहा जाता है ?

OLEDs इसलिए organic है क्यूंकि वो carbon और hydrogen से बने हुए होते हैं. लेकिन सच तो ये हैं की इनका organic food और farming से कोई रिश्ता नहीं होता है – OLEDs तो बहुत ही efficient होते ही है लेकिन उसके साथ इसमें कोई भी bad metals का इस्तमाल नहीं होता है – तो हम ये जरुर कह सकते हैं की ये सही माईने में एक real green technology है।

कैसे OLED Light Emit करते हैं

यहाँ ये सवाल अक्सर बहुत लोगों के दिमाग में आता है की कैसे OLED से light उत्पन्न होता है ? यहाँ में आप लोगों को इसी के विषय में पूरी जानकारी देने वाला हूँ।

1.  यदि एक OLED को जलाना है तब सबसे पहले हमें उसे एक voltage source के साथ attach करना होगा, जिसे की anode और cathode के across लगाया जाता है।

2.  जैसे ही electricity flow होना आरम्भ होता है, तब cathode receives करता है electrons power source से और anode उन्हें lose करता है (or दुसरे नज़र से देखे तो ये “hole receives करते हैं,”)

3.  अब हमरे पास एक ऐसा situation जहाँ की added electrons emissive layer को negatively charged (जो की similar होती है n-type layer जैसे junction diode में) करते हैं, लेकिन वहीँ conductive layer positively charged बन जाती है (जो की similar होती है p-type material जैसे)।

4.  Positive holes बहुत ही ज्यादा mobile होते हैं negative electrons से इसलिए वो आसानी से jump कर लेते हैं boundary के across conductive layer से emissive layer तक. जब एक hole (a lack of electron) meet करता है एक electron से, ये दोनों चीज़ें एक दुसरे को cancel करती हैं और एक burst of energy को release करती हैं जो की एक particle of light— जिसे की photon भी कहा जाता के form में होती है।

इस process को recombination भी कहा जाता है क्यूंकि 1-second में कई बार होता है जिससे OLED continuous light उत्पन्न करती है जब तक की current flow करती रहे।

हम चाहें तो OLED को colored light पैदा करने के लिए बना सकते हैं जिसके लिए हमें एक colored filter को plastic sandwich के निचे में स्तिथ glass or plastic top or bottom layer में रखना होगा।

अगर हम ऐसे ही हजारों की संख्या में red, green, और blue OLEDs को एक दुसरे के साथ रखेंगे और उन्हें independently switch on और off करेंगे तब वो pixels जो की एक conventional LCD screen में है वैसे काम करेंगे, जिससे हम complex, hi-resolution colored pictures produce कर सकते हैं।

Types of OLEDs

OLED के मुख्य दो अलग types होते हैं।

1) Traditional OLEDs : 

जो की छोटे organic molecules का इस्तमाल करते हैं और जिन्हें glass के ऊपर deposit किया जाता है light पैदा करने के लिए।

2) Light-Emitting Polymers : 

ये दुसरे धरण के OLED होते हैं जो की large plastic molecules जिन्हें की polymers कहा जाता है उनका इस्तमाल करते हैं. इन OLEDs को light-emitting polymers (LEPs) भी कहा जाता है और कभी कभी इन्हें polymer LEDs (PLEDs) भी कहा जाता है।

चूँकि उन्हें plastic के ऊपर print किया जाता है ( यहाँ अक्सर एक modified, high-precision version का inkjet printer इस्तमाल में लाया जाता है) glass की जगह में, जिसके कारण ये और भी पतले और ज्यादा flexible होते हैं।

OLED के Materials

वैसे देखा जाये तो OLED Materials के बहुत सारे types होते हैं. जो most basic division होता है वो small-molecule OLEDs और large molecule ones (जिन्हें की Polymer OLEDs, or P-OLEDs) के भीतर होता है।

आज सारे commercial OLEDs जो इस्तमाल में लाये जा रहे हैं वो SM-OLED based होते हैं. P-OLEDs का पहले खूब नाम था क्यूंकि वो naturally solution processable (and so can easily be used in InkJet printing and spin-coating fabrication methods) होते थे – लेकिन अभी P-OLEDs और ज्यादा popular नहीं हैं क्यूंकि उनका performance अब SM-OLEDs के जैसे बिलकुल भी नहीं है।

बहुत से Intensive research किये जा रहे हैं ताकि ज्यादा efficient solution-processable SM-OLEDs को develop किया जा सके।

OLED emitter materials को classify किया जा सकता है either fluorescent और phosphorescent में. Fluorescent materials ज्यादा देर तक टिक के रह सकते हैं लेकिन वो ज्यादा efficient नहीं होते हैं phosphorescent materials के तरह. अभी most OLED displays phosphorescent emitter materials का इस्तमाल करते हैं – लेकिन सिर्फ blue color को छोड़कर जो की अब भी fluorescent है जिससे इसकी lifetime उतनी ज्यादा अच्छी नहीं है।

Universal Display Corporation अभी PHOLED के ऊपर research कर रही है, और वो इसी area में अपना basic patents भी hold किया है।

AMOLED vs PMOLED

ये terms मुख्य रूप से OLED display के driving method से related हैं. एक PMOLED (Passive-Matrix OLED) हमेशा size और resolution में limited होते हैं, लेकिन ये बहुत ही सस्ते होते हैं और इन्हें बनाना बहुत ही आसान होता है अगर हम AMOLED (ये Active-Matrix का इस्तमाल करते हैं) से compare करें तब।

एक AMOLED हमेशा active-matrix TFT array और storage capacitors का इस्तमाल करते हैं. देखा जाये तो ये displays बहुत ही ज्यादा efficient होते हैं और इन्हें बड़ा भी बनाया जा सकता है, वहीँ इन्हें बनाना बहुत ही कठिन काम है PMOLED के तुलना में।

PMOLED displays का इस्तमाल होता है small devices और secondary displays वहीँ AMOLEDs का इस्तमाल होता है smartphones, tablets और TVs में।

OLEDs के advantages

OLEDs अपने प्रतिद्वंद्वी LCDs से बहुत से कारणों में superior हैं. यहाँ मैंने इसी के विषय में थोडा जानकारी प्रदान की है।

  • ये बहुत ही पतले होते हैं.
  • इसके साथ ये lighter भी होते हैं और बहुत ज्यादा flexible भी होते हैं.
  • ये ज्यादा brighter होने के कारण इन्हें backlight की कोई जरुरत नहीं होती है.
  • ये LCD की तुलना में बहुत कम power consume करते हैं. जिससे इनके इस्तमाल से portable devices की battery life अच्छी होती है.
  • LCD की तुलना में इनकी refresh rate बहुत ज्यादा होती है जिससे आप यहाँ अच्छे तरीके से fast-moving pictures देख सकते हैं.
  • ये बड़े अच्छे ढंग से truer colors पैदा कर सकते हैं और वो भी बड़े viewing angle के साथ.
  • इन्हें बनाने का कर्च भी बहुत कम होता है LCD के तुलना में.
  • OLED बहुत ही अलग अलग colors में उपलब्ध है जिससे ये बहुत ही versatile होते हैं.
  • इसमें start होने के लिए कोई warm up period की जरुरत नहीं होती ये instantly start हो जाते हैं.
  • ये dimmable होते हैं जिससे इन्हें ambient lighting के लिए भी इस्तमाल किया जा सकता है.
  • ये heat पैदा नहीं करते हैं जलने के दोरान इसलिए इन्हें cold lighting source भी कहा जाता है.
  • इनकी efficiency level halogen और incandescent lights से भी ज्यादा होती है.

OLEDs के disadvantages

वैसे हो OLEDs के ज्यादा advantages होते हैं लेकिन इसके कुछ disadvantages भी हैं तो चलिए इनके विषय में जानते हैं।

  • ये ज्यादा समय तक Last नहीं करते हैं क्यूंकि इसमें स्तिथ organic molecules धीरे धीरे ख़राब होने लगते हैं.
  • इसके साथ ये Water और moisture के प्रति बहुत ही ज्यादा sensitive होते हैं. चूँकि ये घरों में स्तिथ Tv sets में ज्यादा लागु नहीं होता लेकिन ये असली challenge portable device (SmartPhones) में लाता है.

OLEDs के Application इन हिंदी

जैसे की हम ये जानते हैं की OLEDs की technology बहुत ही नयी है. इन्हें बहुत ही कम जगहों में अभी इस्तमाल में लाया जा रहा है. जहाँ LCD और LED को लोग ज्यादा इस्तमाल में ला रहे हैं वहीँ इसने अभी अभी ही Market में कदम रखा है. फिर भी इसके बहुत से अच्छे features होने के कारण ही इसे अभी ज्यादा इस्तमाल में लाये जाने लगा है।

OLED Display

इन्हें भी मुख्य रूप से Display के तोर पर Mobile और दुसरे electronic gadgets में इस्तमाल किया जा रहा है।

Digital Watches

क्यूंकि इनकी weight बहुत ही कम होती है, ये foldable भी होती है, इसके साथ ये बहुत ही कम power का इस्तमाल करती है इसलिये इन्हें Apple के Smart Watch में इस्तमाल किया जा रहा है।

Smart Phones

Apple और Samsung जैसे बड़े companies ने OLED को अपने नए phones में इस्तमाल किया है, क्यूंकि ये न केवल phones को एक अच्छा look देते हैं बल्कि इसके साथ ये बहुत सारे features भी प्रदान करते हैं।

OLED TV

इनका इस्तमाल अब Television में भी होने लगा है क्यूंकि ये viewers को truer colours प्रदान करती है और इसके साथ wider viewing angle भी जिससे देखने वालों को experience बहुत ही अच्छा होता है।

आज आपने क्या सीखा

मुझे पूर्ण आशा है की मैंने आप लोगों को OLED क्या है? के बारे में पूरी जानकारी दी और में आशा करता हूँ आप लोगों को OLED क्या होता है ?के बारे में समझ आ गया होगा. मेरा आप सभी पाठकों से गुजारिस है की आप लोग भी इस जानकारी को अपने आस-पड़ोस, रिश्तेदारों, अपने मित्रों में Share करें, जिससे की हमारे बिच जागरूकता होगी और इससे सबको बहुत लाभ होगा. मुझे आप लोगों की सहयोग की आवश्यकता है जिससे मैं और भी नयी जानकारी आप लोगों तक पहुंचा सकूँ।

मेरा हमेशा से यही कोशिश रहा है की मैं हमेशा अपने readers या पाठकों का हर तरफ से हेल्प करूँ, यदि आप लोगों को किसी भी तरह की कोई भी doubt है तो आप मुझे बेझिजक पूछ सकते हैं. मैं जरुर उन Doubts का हल निकलने की कोशिश करूँगा।

आपको यह लेख OLED की पूरी जानकारी ?कैसा लगा हमें comment लिखकर जरूर बताएं ताकि हमें भी आपके विचारों से कुछ सीखने और कुछ सुधारने का मोका मिले।

About the Author

Prabhanjan Sahoo

Prabhanjan Sahoo

मैं Prabhanjan, HindiMe का Technical Author & Co-Founder हूँ। Education की बात करूँ तो मैं एक Enginnering Graduate हूँ। मुझे नयी नयी Technology से सम्बंधित चीज़ों को सीखना और दूसरों को सिखाने में बड़ा मज़ा आता है।

Related Posts

Leave a Comment

Comments (5)

    • Jo comment post ko value nahi deta wo comment humare liye koi mayne nhi rakhta.
      Agar apka comment valuable hai to wo apke liye aur humare liye faydemand hai.

      Reply