Article 35A क्या है और इसे क्यूँ हटाया गया?

आर्टिकल 35A क्या है? हाल ही में ही पुरे भारतवर्ष में Article 35A को लेकर बड़ा बवाल खड़ा हुआ था. इस bill को बदलने या उसे पूरी तरह से हटाने के ऊपर दोनों ही सदनों में काफी चर्चा भी हुई. वहीँ August 5 2019 को औपचारिक तोर पर धारा 35A को पूरी तरह से हटा दिया गया हमारे संविधान से. वहीँ इस bill को पास करने में सभी राजनेताओं का काफी बड़ा योगदान रहा जिन्होंने की इसे पास करने में अपनी सहमति जताई।

यूँ देखा जाये तो आर्टिकल 35A केवल भारतीय संविधान ही नहीं बल्कि कश्मीर की जनता के साथ भी सबसे बड़ा धोखा है. वहीँ कुछ इस बात पर अपना कोई दूसरा मत भी रख सकते हैं. तो इसका आसान सा जवाब है की एक समय के लिए यह धारा 35A कश्मीर क्या है भी अपने जगह में ठीक था तभी इसे लाया गया था. लेकिन इसकी उपयोगिता ख़त्म हो जाने के बाद इसे दुबारा से हटा देना चाहिए था जो की आज तक कभी भी नहीं हुआ था।

सभी को Article 35A के बारे में जानना था, जिसके लिए हमें बहुत से messages और email आ रहे थे. इसलिए हमने सोचा की क्यूँ न आप लोगों को Article 35A क्या होता है और इसे क्यूँ हटाया गया के विषय में आज हम इस article में जानेंगे. यदि आपकी कोई भी शंका मन में हो तब आप हमें नीचे comment में अपने सवाल पूछ सकते हैं. तो चलिए बिने देरी किये शुरू करते हैं. h

धारा 35A क्या है (What is Article 35A in Hindi)

Article 35A Kya Hai Hindi

Article 35A जम्मू कश्मीर को एक विशेष राज्य होने का दर्जा प्रदान करता है. धारा 35A या Article 35A एक ऐसा प्रावधान है जिसे की संविधान में बाद में प्रवृष्ट किया गया. इसके तहत ये जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को यह खुला अधिकार प्रदान करता है कि वह यह निर्धारित करे कि राज्य के स्थायी निवासी कौन हैं और उन्हें क्या अलग अधिकार (special rights) और विशेषाधिकार प्रदान करना है ये वो खुद ही निश्चित कर सकते हैं।

यदि हम उन क्षेत्रों की बात करें जहाँ पर ये अधिकार और विशेषाधिकार लागु होते हैं वो हैं – सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियाँ, राज्य में सम्पत्ति खड़ा करना, छात्रवृत्ति लेना, अन्न सार्वजनिक सहायताओं और कल्याण कार्यक्रमों का लाभ उठाना।

वहीँ इसकी एक बड़ी पहलु ये भी है की इन सभी अधिकारों का लाभ केवल इस राज्य का स्थायी निवासी ही ले सकता है. चूँकि पहले ही इस article में ये प्रावधान है विधानसभा के द्वारा की गयी किसी भी कार्रवाई को संविधान अथवा देश के किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं माना जाएगा. सच में बड़ा ही अद्भुत है ये Article 35A जो की इन्हें इतनी ज्यादा power प्रदान करता है।

आर्टिकल 35A की जानकारी हिंदी में

चलिए अब article 35A के उन सभी महत्वपूर्ण बातों के ऊपर गौर करते हैं जिन्हें की हमें जरुर से जानना चहिये।

1. जम्मू-कश्मीर का स्थायी नागरिक कौन हो सकता है : वह व्यक्ति है, जो 14 मई 1954 से राज्य का नागरिक रहा हो या फिर उससे पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो, वहीँ इसके साथ ही उसने वहां किसी भी प्रकार की संपत्ति हासिल की हो।

2. इसके अलावा भारत के किसी अन्य राज्य का निवासी जम्मू और कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं बन सकता है. इसी कारणवस यहाँ इनके चुनाव में दूसरा कोई यहाँ पर वोट नहीं डाल सकता है।

3. यहाँ के स्थायी निवासी ही राज्य में जमीन खरीद एवं बेच सकते हैं. राज्य किसी गैरकश्मीरी व्यक्ति को कश्मीर में जमीन खरीदने की permission प्रदान नहीं करता है।

4. सादी करने पर भी काफी नियम है यहाँ पर. जैसे अगर जम्मू और कश्मीर की कोई लड़की किसी बाहर राज्य के लड़के से शादी कर लेती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं, वहीँ उसके साथ ही उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं. मतलब की उन्हें अपने राज्य के किसी लड़के के साथ ही विवाह करना बाध्य है अन्यथा उसकी नागरिकता चली जाएगी।

लेकिन वहीँ यदि वो लड़की पाकिस्तान के किसी लड़के के साथ सादी करती है तब उसके सोहर को भारतीय नागरिकता अपने आप ही प्राप्त हो जाती है वहीँ ऐसे में लड़की की नागरिकता में कोई बदलाव नहीं आता है।

5. यदि राज्य सरकार यहाँ पर किसी कानून को अपने हिसाब से बदलती है तो उसे किसी भी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती है।

6. यहाँ पर कोई भी बाहर का व्यक्ति आकार अपना संस्था यहाँ नहीं खोल नहीं सकता है. यही कारण है की आजतक भी जम्मू और कश्मीर में काफी उन्नति नहीं हुई है।

7. इस अनुच्छेद के तहत राज्य में धारा 356 लागु नहीं की जा सकती है।

8. पुरे देश में चाहे तो आपातकालीन स्तिथि हो लेकिन यह आपातकालीन स्तिथि यहाँ पर लागु नहीं की जा सकती है।

9. इस article 35a के तहत सभी राज्यवासी के पास दोहरी नागरिकता उपलब्ध है. वहीँ उनका खुद का भी एक राष्ट्रीय ध्वज मेह्जुद हैं।

10. Supreme Court (उच्चतम न्यायालय) द्वारा घोषित कोई भी नियम जम्मू कश्मीर पर लागु नहीं होती है।

11. यहाँ के राज्यवासियों के द्वारा किया गया को भी अपमान राष्ट्रीय चिन्हों के प्रति को अपराध नहीं माना जायेगा।

Article 35A को कब लागु किया गया और किसके द्वारा?

Article 35A को 14 मई 1954 को लागु किया गया था, इस अनुच्छेद को भारत के सबसे पहले राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद के द्वारा लागु किया गया था. यह article पंडित जवाहरलाल नेहरु जी की परामर्श के उपरांत ही लागु किया गया।

क्या है अनुच्छेद 35A – Article 35A की परिभाषा हिंदी में

यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर की विधान सभा को स्थाई नागरिक की परिभाषा तय करने का अधिकार प्रदान करता है. इस अनुच्छेद को राज्य में 14 मई 1954 को लागू किया गया था. यह अनुच्छेद संविधान की किताबों में देखने को नहीं मिलता है क्यूंकि इसे बिना किसी सदन में पारित किये ही, केवल राष्ट्रपति के हस्ताक्ष्यर के ही पारित किया गया था।

दरअसल धारा 35A इस अनुच्छेद को लागू करने के लिए तत्कालीन सरकार ने धारा 370 के अंतर्गत प्राप्त शक्ति का इस्तेमाल किया था।

आर्टिकल 35A इतना ज्यादा विवादित क्यूँ था?

चलिए अब जानते हैं की Article 35A इतना ज्यादा विवादित क्यूँ था।

१. धारा 35A भारत की एकात्मता की भवाना के ही प्रतिकूल था क्योंकि इससे भारतीय नागरिकों के अंदर वर्ग के भीतर वर्ग (class within a class) का निर्माण होता था।

२. ये जम्मू-कश्मीर राज्य के अस्थायी नागरिकों को राज्य के भीतर बहुत से चीज़ें करने से रोकती हैं जैसे की आजीविका पाने और सम्पत्ति का क्रय करने पर रोकती थी. इतनी ही नहीं यह धारा भारतीय संविधान की धारा 14, 19 और 21 में दिए गये मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती थी।

३. यह धारा राज्य के अस्थायी नागरिकों से एक अलग ही प्रकार से व्यवहार करती थी।

३. इस धारा के कारण ही राज्य के अस्थायी निवासी किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकते थे।

४. अस्थायी नागरिकों के बच्चों को छात्रवृत्ति (scholarship) नहीं मिलती थी वहीँ इसके लिए वो किसी भी न्यायालय की शरण भी नहीं ले सकते थे।

५. अस्थायी नागरिकों को वहां पर सरकारी नौकरियाँ करने पर रोक था वहीँ उनकी वेतन भी राज्य सरकार ही निर्धारित करती थी।

६. वहीँ सुप्रीम कोर्ट की कोई भी नियम यहाँ पर लागु नहीं की जा सकती थी।

७. 1947 में जम्मू में बसे हिंदू परिवार अब तक शरणार्थी ही थे।

८. ये शरणार्थी सरकारी नौकरी हासिल नहीं कर सकते, किसी सरकारी शिक्षण संस्थान में दाख़िला नहीं हो सकते हैं, वहीँ इन्हें किसी भी प्रकार के चुनाव में वोटिंग राइट प्रदान नहीं किया जाता था।

इस प्रकार के नियम के कारण ही आम जनता को काफी तकलीफ उठानी पड़ती थी. इन सबसे ज्यादा फायेदा यहाँ की सियासी लोगों को ही प्राप्त होता था वहीँ आम जनता इन सबसे वंचित ही रह जाती थी।

संविधान में धारा 35A की प्रवृष्टि कैसे हुई?

चलिए अब जानते हैं की संविधान में धारा 35A को शामिल कैसे किया गया था।

1. धारा 35A संविधान में 1954 में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर तत्कालीन राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के आदेश से प्रविष्ट की गई थी.
यह आदेश संविधान (जम्मू-कश्मीर में लागू करना) आदेश, 1954 कहलाया।

2. यह आदेश 1952 में हुए नेहरू और जम्मू-कश्मीर के वजीरे आजम शेख अब्दुल्ला के बीच हुए दिल्ली समझौते पर आधारित था. दिल्ली समझौते के द्वारा जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को भारतीय नागरिक करार कर दिया गया था।

3. राष्ट्रपति के द्वारा दिया गया आदेश संविधान की धारा 370 (1) (d) के तहत निर्गत हुआ था. ज्ञातव्य है कि यह धारा राष्ट्रपति को यह अधिकार देती है कि वह जम्मू-कश्मीर की प्रजा के लाभ के लिए संविधान में कतिपय अपवाद और सुधार कर सकती है. जो की कल (5 august 2019) में किया गया।

जम्मू-कश्मीर का नागरिक कौन है?

जम्मू कश्मीर का अपना संविधान है जो 1956 में बना था. उस संविधान में यह उल्लिखित है कि जम्मू कश्मीर का नागरिक वही है जो

i) 14 मई 1954 को जम्मू कश्मीर का नागरिक रहा हो या
ii) उससे पहले के 10 साल से वह सम्पत्ति हासिल करके J&K में रह रहा हो।

नागरिक होने के फायदे

जो नागरिक हैं, उनको सरकार –

  • सरकारी नौकरी में विशेष अधिकार दे सकती है.
  • राज्य में जायदाद खरीदने का अधिकार दे सकती है.
  • छात्रवृत्ति और अन्य कल्याणकारी लाभ दे सकती है.

नागरिक नहीं होने के नुक्सान

जो नागरिक नहीं हैं यानी शरणार्थी हैं, वे

  • राज्य में अपनी सम्पत्ति नहीं खरीद सकते.
  • विधान सभा में वोट नहीं दे सकते.
  • चुनाव में खड़े नहीं हो सकते.
  • सरकारी नौकरी नहीं पा सकते.

Article 35A को कब किया गया खत्म?

5 अगस्त 2019 सोमवार के दिन धारा 35A (Article 35A) को लेकर मोदी सरकार ने एक बहुत ही बड़ा फैसला लिया. जिसके तहत मोदी सरकार ने अनुच्छेद 35a को पूरी तरह से खत्म करने का फैसला लिया, वहीँ इस फैसले अनुसार जम्मू कश्मीर पर कोई भी अलग कानून लागू नही किया जायेगा।

अनुच्छेद 35A को लेकर हुआ बड़ा फैसला…।

बल्कि जो कानून भारत में लागू किया जाता है ठीक वही क़ानून जम्मू-कश्मीर में भी लागू किया जाएगा. इसे अब और एक special राज्य होने की power नहीं दी जाएगी जो की पहले प्रदान की गयी थी।

इसके परिणाम स्वरुप नीचे बताये गए बदलाव देखने को मिलेंगे.

1. अब जम्मू कश्मीर एक राज्य नहीं रहेगा, बल्कि इसे दो हिस्सों में बाँट दिया गया है. अब लद्दाख को जम्मू कश्मीर से अलग कर दिया गया है. अब लद्दाख को एक अलग विधानसभा के रूप में घोषित कर दिया गया है।

2. सरकार ने जम्मू-कश्मीर राज्य के दो संघ राज्य क्षेत्रों – जम्मू और कश्मीर डिवीजन और लद्दाख में द्विभाजन का प्रस्ताव पेश किया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि लद्दाख में चंडीगढ़ की तरह ही कोई विधायिका नहीं होगी. जबकि जम्मू और कश्मीर के अन्य केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली और पाण्डुचेरी जैसी विधायिका होंगी।

3. अब जम्मू-कश्मीर में अधिक निवेश किया जा सकता है. जिससे यहाँ पर रोजगार बढ़ेगी वहीँ इस जगह की उन्नति भी होगी।

4. इतना ही नहीं बल्कि यहाँ पर अधिक उद्योग की सम्भावनाये बनेंगी, अधिक निजी शिक्षण संस्थान बनाये जा सकते है, अधिक नौकरियां होंगी जिससे अधिक राजस्व भी उतपन्न होगा।

5. इस article के ख़त्म होने से कश्मीर के लिए विशेष दर्जा समाप्त हो जाता है, जो 1947 में भारत मे विवादों के चलते लाया गया था।

6. अब कोई भी भारतीय जम्मू कश्मीर में जमीन खरीद और बेच सकता है।

7. इतना ही नहीं अब कोई भी जम्मू एंड कश्मीर की किसी लड़की से शादी भी कर सकते हैं. वहीँ यहाँ की लड़कियां भी किसी भी दुसरे राज्य के लड़के के साथ सादी कर सकती हैं।

8. अब यहाँ पर इनका खुद का ध्वज को हटाया जा चूका है और केवल तिरंगा ही एकमात्र ध्वज है सभी के लिए।

9. किसी भी राष्ट्रीय चिन्ह का अपमान को कानून की श्रेणी में लाया जाएगा।

10. ये जगह अब केवल राष्ट्रपति शासन से सीमित नही रहेगा बल्कि प्रधानमंत्री शासन भी यहाँ पर लागू किया जाएगा.
सच में पिछले 72 सालों से जिसे किसी भी सरकार ने आज तक नहीं कर पाई थी वहीँ उसे आज मोदी सरकार द्वारा यह ऐतिहासिक कदम उठाया गया है, जिसका वर्णन इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में किया जाएगा।

अब इस अनुच्छेद के हटने से फिर एक बेहद ही खूबसूरत हिस्सा जो की देश से अलग था आज वो फिर से भारत से जुड़ गया है।

इस अनुच्छेद के निरस्त होते ही भारत देश के नागरिकों के बीच हर्षोल्लास का माहौल बना हुआ है. इतनी ही नहीं जम्मू-कश्मीर के लोगों को भी इस फैसले से बहुत बड़ी राहत मिली है।

जहाँ पहले वो दबी हुई जिंदगी जीते थे वो अब पूरी तरह से स्वतंत्र हो गए हैं. साथ में वो भी अन्य राज्यवासियों के तरह ही सभी मौलिक अधिकारों का फायेदा उठा सकते हैं. जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के लिए ये सही माईने में आजादी है जिसे उन्होंने 5 August 2019 को पूर्ण रूप से पाई है।

आज आपने क्या सीखा

मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख धारा 35A क्या है (What is Article 35A in Hindi) जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को आर्टिकल 35A का मतलब क्या है के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है. इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे।

यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं।

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Sumit Singh

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मुझे पढ़ना और लिखना बहुत पसंद है। मुझे सूचनात्मक विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मुझे कहानी लेखन, कविता और कुछ कविताओं को लिखने में गहरी रुचि है।

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