Article 370 क्या है और इसके इतिहास

धारा 370 एक बहुत ही special article है जो की यदि किसी राज्य पर लागु होती है तब ये उस राज्य को और वहां पर बेस उनके नागरिकों को बहुत सारी सुविधाएँ प्रदान करता है। यह उन्हें एक special status प्रदान करता है जो की अन्य राज्यों को प्रदान नहीं की जाती है।

Dhara 370 Kya Hai Hindi

इस article में ये स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है की यदि कभी ये किसी राज्य पर लागु होता है तब ऐसे में उस राज्य की केवल रक्षा, विदेशी मामले और संचार के सभी मामलों को ही केंद्र सरकार द्वारा संपादन किया जाता है, वहीँ बाकि के सभी चीज़ों पर केंद्र का कुछ भी जोर नहीं होता है. बाकि सभी चीज़ें इनके राज्य सरकार ही तय करती है।

आगे चलिए जानते हैं की आख़िर ये Article 370 क्या है ?

धारा 370 क्‍या है?

चलिए धारा 370 (Article 370 in hindi) को आसान भाषा में समझते हैं :-

  • इसी विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती.
  • इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्‍त करने का अधिकार नहीं है.
  • जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता (भारत और कश्मीर) होती है.
  • भारत की संसद जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है.
  • जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग है. वहां के नागरिकों द्वारा भारत के राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना अनिवार्य नहीं है.
  • इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि खरीदने का अधिकार है. यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते.
  • भारतीय संविधान की धारा 360 जिसके अन्तर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती.
  • जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है.
  • भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं.
  • जम्मू-कश्मीर की कोई महिला अगर भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जाएगी. इसके विपरीत अगर वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाएगी.
  • धारा 370 की वजह से कश्मीर में आरटीआई और सीएजी (CAG) जैसे कानून लागू नहीं होते हैं.
  • कश्मीर में महिलाओं पर शरियत कानून लागू है.
  • कश्मीर में पंचायत को अधिकार प्राप्त नहीं है.
  • धारा 370 की वजह से ही कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है.

धारा 370 का इतिहास

आर्टिकल 370 के कारण ही जम्मू कश्मीर का अपना संविधान था और इसका प्रशासन इसके राज्य सरकार के द्वारा चलाया जाता था ना कि भारत के संविधान के अनुसार. आर्टिकल 370 को 17 नवंबर 1952 से लागू किया गया था

यह अनुच्छेद राज्य विधानसभा को अपना संविधान बनाने की अनुमति देता है, जिससे इसे “स्वायत्त राज्य” शक्ति मिलती है. वहीँ ये खुद के बहुत से कानून बना सकता है जिसके लिए उन्हें केंद्र सरकार से परामर्श करने की भी जरूरत नहीं होती है. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट का भी article 370 वाले अधिसाहित राज्य पर भी कोई नियम लागु नहीं होता है. यूँ कहें तो एक ही राष्ट्र तले दो संविधान और दो तिरंगा का होना है।

आर्टिकल 370 को कब से लागु किया गया था?

आर्टिकल 370 को 17 नवंबर 1952 से लागू किया गया था।

आर्टिकल 370 को क्यूँ लाया गया था?

यदि आपको ये जानना है की Article 370 को क्यूँ लाया गया था. तब इसके लिए हमें इतिहास के पन्नो को थोडा पलटना होगा।

ये बात तक भी है जब भारत को आजादी मिलने के बाद अगस्त 15, 1947 को जम्मू और कश्मीर भी आजाद हो गया था. फिर भारत के पहले ग्वेर्नेर Lord Mountbatten ने सभी रियाशतों को ये छुट दे दी की वो चाहें तो भारत के साथ मिल सकते हैं या अपनी ही स्वतंत्र राज्य कायम रख सकते हैं. अब उस सामान्य जम्मू और कश्मीर के राजा हरि सिंह ने सबसे पहले भारत से मिलना पर इंकार कर दिया और वो अपनी रियासत को स्वतन्त्र राज्य ही रखना चाहते थे।

इस बात पर पाकिस्तान को एक बड़ा मौका दिखाई पड़ा कश्मीर को हथियाने का, जिसके लिए उसने 20 अक्टूबर, 1947 को पाकिस्तान समर्थित ‘आजाद कश्मीर सेना’ ने पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर कश्मीर पर आक्रमण कर दिया और परिणाम स्वरुप काफी हिस्सा हथिया लिया था।

इस परिस्थिति में महाराजा हरि सिंह ने जम्मू & कश्मीर की रक्षा के लिए भारत से मदद मांगी. लेकिन भारत ने भी अपने कुछ सर्त रखे उन्हें मदद करने के लिए. वहीँ शेख़ अब्दुल्ला की सहमति से जवाहर लाल नेहरु के साथ मिलकर 26 अक्टूबर 1947 को भारत के साथ जम्मू & कश्मीर के अस्थायी विलय की घोषणा कर दी और “Instruments of Accession of Jammu & Kashmir to India” पर अपने हस्ताक्षर कर दिये।

इस नये समझौते के तहत जम्मू & कश्मीर को एक विशेष शक्ति प्रदान की गयी थी. यहाँ जम्मू कश्मीर को एक special status का दर्जा प्रदान किया गया था. वहीँ जम्मू और कश्मीर, भारत के साथ केवल तीन विषयों: जो की हैं रक्षा, विदेशी मामले और संचार को ही भारत के हवाले कर दिया था. वहीँ इनकी दुसरे किसी भी मामले पर भारत हस्ताक्ष्येप नहीं कर सकता था।

समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद भारत सरकार ने अपने वादा के अनुरूप ही इस राज्य के लोगों को अपने स्वयं की संविधान सभा बनाने की अनुमति प्रदान करी थी।

वहीँ इस प्रतिबद्धता के साथ आर्टिकल 370 को भारत के संविधान में शामिल किया गया था. जिसमें ये बात स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जम्मू&कश्मीर राज्य के संबंध में ये प्रावधान केवल अस्थायी (temporary) हैं।

आर्टिकल 370 जम्मू और कश्मीर के नागरिकों को कौन से अधिकार और सुविधाएँ प्रदान करता था?

चलिए अब जानते हैं की Article 370, जम्मू और कश्मीर के नागरिकों को कौन से अधिकार और सुविधाएं प्रदान करता है।

1. इस article के अनुसार जम्मू & कश्मीर के राज्य सरकार की अनुमति बिना इसका नाम, क्षेत्रफल और सीमा को केंद्र सरकार बदल नहीं सकता है।

2. वहीँ केंद्र सरकार केवल रक्षा, विदेशी मामले और संचार के कानून बना सकता है वहीँ बाकी सभी कानून को लागू करने के लिए केंद्र सरकार को राज्य से मंजूरी लेनी पड़ती है।

3. जम्मू & कश्मीर का अपना ही संविधान है और इसका प्रशासन इसी के अनुसार चलाया जाता है ना कि भारत के संविधान के अनुसार।

4. जम्मू & कश्मीर के पास 2 झन्डे हैं. एक कश्मीर का अपना राष्ट्रीय झंडा है और वहीँ भारत का तिरंगा झंडा यहाँ का राष्ट्रीय ध्वज है।

5. भारत के दूसरे राज्यों के नागरिक इस राज्य में किसी भी तरीके की संपत्ति नहीं खरीद सकते हैं।

6. कश्मीर के लोगों को दोहरी नागरिकता मिली हुई है; एक कश्मीर की और दूसरी भारत की।

7. यदि कोई कश्मीरी महिला किसी भारतीय से शादी कर लेती है तो उसकी कश्मीरी नागरिकता वहीँ ख़त्म हो जाती है लेकिन यदि वह किसी पाकिस्तानी से शादी कर लेती है तो उसकी कश्मीरी नागरिकता पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।

8. इतना ही नहीं यदि कोई पाकिस्तानी लड़का किसी कश्मीरी लड़की से शादी कर लेता है तो उसको अपने आप ही भारतीय नागरिकता मिल जाती है।

9. आम तोर से ये नियम है की अगर कोई भारतीय नागरिकता को छोड़ किसी दुसरे देश की नागरिकता ले लेता है तब ऐसे में उनकी भारतीय नागरिकता वहीँ ख़त्म हो जाती है।

लेकिन जब कोई जम्मू & कश्मीर का निवासी पाकिस्तान चला जाता है और वो कभी वापस जम्मू & कश्मीर आ जाता है तो उसको दुबारा भारत की नागरिकता मिल जाती है।

10. जम्मू एंड कश्मीर में भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों (राष्ट्रगान, राष्ट्रीय ध्वज इत्यादि) का अपमान करना अपराध की श्रेणी में नहीं आता है।

11. यहाँ पर आर्टिकल 370 के कारण ही केंद्र; राज्य पर वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360) जैसा कोई भी कानून नहीं लगा सकता है।

12. भारत के संविधान में किसी प्रकार का संशोधन जम्मू & कश्मीर पर स्वतः लागू नहीं होता है जब तक कि इसे राष्ट्रपति के विशेष आदेश द्वारा लागू करने की अनुमति ना दी जाये।

13. इस राज्य की सरकारी नौकरियों में सिर्फ इस राज्य के परमानेंट नागरिक का ही सिलेक्शन हो सकता है, वहीँ इसके अलावा यहाँ राज्य की स्कॉलरशिप भी यहाँ के लोकल लोगों को ही मिलती हैं।

यहाँ पर ऊपर बताये गए तथ्यों से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि जम्मू & कश्मीर भारतीय संघ का एक राज्य तो है लेकिन इस राज्य के लोगों को कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं जो कि भारत के अन्य राज्यों को नहीं प्रदान किये गए हैं।

धारा 370 को कब हटाया गया?

Article 370 और Artice 35A को पूर्ण रूप से केंद्र सरकार द्वारा सोमवार (6 अगस्त 2019) को पूर्ण रूप से भारतीय संविधान से समाप्त कर दिया गया. वहीँ जम्मू एवं कश्मीर को दो हिस्सों में बांट दिया गया है।

इसमें दोनों जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है. अनुच्छेद 370 को हटाने का संकल्प, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में पेश किया था. इसके साथ ही जम्मू एवं कश्मीर की विशेष राज्य होने का दर्जा भी वहीँ समाप्त हो जाता है. यह भी बाकि के केंद्र शासित प्रदेश के तरह ही होगा।

धारा 370 को हटा देने पर इससे जम्मू-कश्मीर पर क्या असर होगा?

बहुत से लोगों के मन में ये चिंता जरुर होगी की Article 370 के हटने पर जम्मू कश्मीर पर इसका क्या असर होने वाला है. चलिए इसी विषय में कुछ जानकारी प्राप्त करते हैं।

–  जम्मू-कश्मीर को वो विशेष राज्य का दर्जा नहीं प्राप्त होगा जो की पहले प्राप्त होता था।

–  अब भारत के दूसरे राज्यों के नागरिक भी बिना किसी परेशानी से जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीद सकेंगे।

–  अब जम्मू-कश्मीर में भी पूरे भारत से निवेश बढ़ेगा. जो की पहले बिलकुल ही मुमकिन नहीं था इनके राज्य सरकार के नियमों के वजह से।

–  अब यहाँ की महिलाएं दूसरी राज्यों के लड़कों के साथ सादी कर सकती है वहीँ ऐसे में उनकी नागरिकता या संपत्ति कुछ भी नहीं खत्म होगी।

–  जम्मू-कश्मीर में अब अलग से राज्य का संविधान नहीं चलेगा।

–  जम्मू-कश्मीर में अब एक ही झंडा फहराएगा जो की तिरंगा होगा।

–  अब कश्मीर से निकाले गए कश्मीरी पंडितों की वापसी आसानी से हो सकेगी।

–  जो कानून पूरे भारत में लागू होते हैं अब वहीं कानून जम्मू-कश्मीर में भी लागू होंगे।

–  जम्मू-कश्मीर में कानून व्यवस्था का पूरा नियंत्रण अब केंद्र के हाथ में होगा।

–  जम्मू-कश्मीर में अब राज्य सरकार उस तरह काम करेगी जिस तरह दिल्ली राज्य में चलती है।

–  भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान एक अपराध माना जायेगा।

–  यहाँ पर यदि बाहरी companies अपने पैसे invest करेंगी तब यहाँ पर रोजगार के कई अवसर बढ़ेंगे।

–  अब यहाँ पर केंद्र सरकार द्वारा चलायी गयी प्रत्येक scheme का लाभ पूर्ण रूप से लोकल नागरिकों तक आसानी से पहुँच सकेगा।

कश्मीर में 370 का क्या मतलब है?

अनुच्छेद 370 के तहत, अन्य राज्यों के नागरिक जम्मू-कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकते हैं। अनुच्छेद 370 के तहत, केंद्र को राज्य में वित्तीय आपातकाल घोषित करने की कोई शक्ति नहीं है।

धारा 370 कौन हटा सकता है?

धारा 373 में लिखा है कि राष्ट्रपति पब्लिक नोटिस के तहत इसे लागू और हटा सकते हैं. अमित शाह ने कहा कि राष्ट्रपति को पब्लिक नोटिफिकेशन से से इसे हटाने के अधिकार है जिसके तहत संविधानिक आदेश जारी करते हुए पब्लिक नोटिफिकेशन निकाला गया।

अनुच्छेद 370 किस राज्य के लिए बनाया गया था?

अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर के लिए बनाया गया था।

आज आपने क्या सीखा?

मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख धारा 370 क्या है (What is Article 370 in Hindi) जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को धारा 370 का मतलब के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है. इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे।

यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं।

यदि आपको यह लेख धारा 370 हटाने की प्रक्रिया पसंद आया या कुछ सीखने को मिला तब कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook, Twitter और दुसरे Social media sites share कीजिये।

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Sumit Singh

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मुझे पढ़ना और लिखना बहुत पसंद है। मुझे सूचनात्मक विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मुझे कहानी लेखन, कविता और कुछ कविताओं को लिखने में गहरी रुचि है।

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