Serial और Parallel डाटा कम्युनिकेशन में क्या अंतर है?

डाटा ट्रांसमिशन क्या है? डाटा ट्रांसमिशन ऐसी प्रक्रिया है जिसमे डिजिटल और एनालॉग डाटा को दो या दो से अधिक डिवाइस के बीच में ट्रान्सफर किया जाता है. यह डाटा दो तरह से ट्रान्सफर होता है सीरियल और पैरेलल डाटा ट्रांसमिशन से. यह डाटा बिट्स के फॉर्म में होता है. डाटा ट्रांसमिशन को डिजिटल ट्रांसमिशन भी कहते है. इनका प्रयोग लम्बी दुरी के लिए डाटा ट्रान्सफर करने के लिए किया जाता है।

डाटा ट्रांसमिशन के दो प्रकार होते है पहला सीरियल डाटा ट्रांसमिशन और दूसरा पैरेलल डाटा ट्रांसमिशन. आज की इस पोस्ट में हम आपको बताएँगे की इन दोनों डाटा ट्रांसमिशन में क्या अंतर है और कैसे इनके द्वारा डाटा ट्रान्सफर होता है. आईये जानते है सीरियल और पैरेलल डाटा कम्युनिकेशन में अंतर के बारे में।

सीरियल और पैरेलल डाटा कम्युनिकेशन में क्या अंतर है

serial and parallel data communication in hindi

वैसे तो Serial और Parallel Data Communication में बहुत सारे अंतर हैं, लेकिन चलिए कुछ महत्वपूर्ण differences के विषय में चलिए जानते हैं. इससे पहले ये जरुर पढ़े, डाटा क्या है

1. Serial transmission में एक single line की जरुरत होती है data transfer और communicate करने के लिए वहीँ parallel transmission में multiple lines की जरुरत होती है।

2. Serial transmission का इस्तमाल long distance communication के लिए होता है वहीँ parallel transmission का इस्तमाल shorter distance communication के लिए होता है।

3. Error और noise सबसे least होते हैं serial transmission में यदि हम इसकी तुलना parallel transmission से करें तब. चूँकि एक bit follow करती है दुसरे को Serial Transmission में वहीँ Parallel Transmission में multiple bits को एक साथ भेजा जा सकता है।

4. Parallel transmission बहुत ही ज्यादा faster होती है क्यूंकि data को multiple lines में transmit किया जाता है वहीँ Serial transmission में data को एक single wire से transmit किया जाता है।

5. Serial Transmission full duplex होती है क्यूंकि sender data को send करने के साथ साथ receive भी कर सकती है वहीँ, Parallel Transmission half duplex होती है क्यूंकि इसमें data को या तो भेजा जा सकता है या receive किया जा सकता है।

6. Serial transmission cables बहुत ही thinner, longer और economical होते हैं Parallel Transmission cables की तुलना में।

7. Serial Transmission ज्यादा reliable और straightforward होते हैं, वहीँ Parallel Transmission ज्यादा unreliable और complicated होते हैं।

Parallel Data Communication क्या है

इस तरह के डाटा ट्रांसमिशन में सभी बिट्स को एक साथ एक समय पर अलग-अलग कम्युनिकेशन लाइनों के द्वारा ट्रांसमिट किया जाता है. इसमें बाइनरी डाटा को बिट्स के समूह के रूप में संगठित किया जाता है. जिस तरह अक्षरों को संगठित करके हम शब्दों के रूप में उन्हें बोलते है वैसे ही इसमें बाइनरी डाटा को संगठित करके बिट्स के रूप में आगे भेजा जाता है।

इसमें जितनी बिट्स को भेजना है उतनी ही तारों का प्रयोग किया जाता है. अगर 8 बिट्स भेजनी है तो 8 तारों का प्रयोग किया जायेगा. इसकी गति सीरियल डाटा कम्युनिकेशन से तेज होती है. लेकिन इसका नुकसान यह है की यह महंगा अधिक होता है. इसका प्रयोग कम दुरी के कम्युनिकेशन के लिए किया जाता है. कंप्यूटर के अंदर जो ट्रांसमिशन होता है वह पैरेलल ट्रांसमिशन ही होता है जैसे कंप्यूटर तथा प्रिंटर के बीच कम्युनिकेशन।

Parallel Data Communication के Advantage

  • इसकी गति सीरियल डाटा कम्युनिकेशन से अधिक होती है.
  • इसे प्रोग्राम करना आसान होता है.

Parallel Data Communication के Disadvantage

  • इसकी लगात अधिक आती है क्योंकि जितना डाटा ट्रान्सफर करना है उतनी ही कम्युनिकेशन लाइन की जरूरत पड़ती है.

Serial Data Communication क्या है

इसमें एक बिट दूसरी बिट का अनुसरण करती है. इसमें डाटा को एक के बाद एक ट्रान्सफर किया जाता है. इसमें डाटा ट्रान्सफर करने के लिए सिर्फ एक ही लाइन का प्रयोग किया जाता है. इसमें डाटा एक के बाद एक ट्रान्सफर किया जाता है इसलिए यह पैरेलल डाटा कम्युनिकेशन से धीमा होता है लेकिन सस्ता होता है।

टेलीफोन में इस विधि का प्रयोग किया जाता है. इसका प्रयोग लम्बी दुरी के ट्रांसमिशन के लिए किया जाता है।

Serial transmission की Advantages

  • इसमें single communication line के इस्तमाल होने से ये transmission line cost को कम कर देती है factor of n से यदि हम इसकी तुलना करें parallel transmission से.

Serial transmission की Disadvantages

  • इसमें conversion devices का इस्तमाल source और destination end में होने से overall transmission cost में काफी बढ़ोतरी होती है.
  • ये method ज्यादा slower होती है parallel transmission के comparison में चूँकि bits को transmit की जाती है serially एक के बाद एक.

Serial Data Communication के प्रकार

1. Asynchronous Data Communication

इसमें एक समय में केवल एक ही कैरेक्टर को भेजा जाता है चाहे वो नंबर हो या अल्फाबेट. इसमें डाटा ट्रान्सफर के लिए स्टार्ट बिट और स्टॉप बिट का प्रयोग किया जाता है. स्टार्ट बिट रिसीवर को बताता है की नया डाटा आने वाला है. स्टार्ट बिट की वैल्यू 0 होती है जो की यह दिखाता है की कैरेक्टर ट्रान्सफर होने वाला है और रिसीवर को अलर्ट करता है की वह इस डाटा को प्राप्त करने के लिए तैयार रहें।

अगर स्टार्ट बिट की वैल्यू 1 होती है तो यह दर्शाता है की कम्युनिकेशन लाइन Idle है और इसे मार्क स्टेट कहते है. जबकि स्टॉप बिट यह बताता है की डाटा समाप्त हो चूका है अर्थात यह रिसीवर को यह सुचना देता है की डाटा बाइट खत्म हो चूका है और इसकी वैल्यू 1 होती है. इसका मूल्य भी कम होता है लेकिन इसकी गति कम होती है।

2. Synchronous Data Communication

इसमें स्टार्ट और स्टॉप बिट का प्रयोग नहीं होता है बल्कि इसमें डाटा एक Block के रूप में भेजा जाता है. हर एक Block में बहुत सारे कैरेक्टर होते है. इसमें Clock का प्रयोग भी किया जाता है जो की बिट्स की Timining को नियंत्रित करता है. इसकी गति अधिक होती है क्योंकि इसमें एक साथ बहुत सारे कैरेक्टर भेज सकते है. लेकिन इसका मूल्य अधिक होता है।

आज आपने क्या सीखा

मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख Data Transmission क्या है जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को serial and parallel data communication in Hindi के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है।

इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे. यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं।

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Sumit Singh

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