क्या आपको Alternator क्या है पता है (What is Alternator in Hindi)? इसे कहाँ पर इस्तमाल किया जाता है, इसके अलग अलग types क्या हैं? ऐसे बहुत से सवाल होते हैं जो की अक्सर मन में उठते रहते हैं. अगर आपके पास कोई गाड़ी हो मतलब की कोई car हो तब शायद आपने इस शब्द Alternator के बारे में कभी सुना होगा।
ऐसा इसलिए क्यूंकि इसका इस्तमाल cars या कोई दुसरे बड़े यान में Battery को चलते समय charge करने के लिए किया जाता है. ये alternator का काम होता है mechanical energy को electrical energy में तब्दील करे. और इसलिए ये ऐसा car के चलते समय उसमें पैदा हो रहे mechanical energy को electrical energy में बदलने के लिए काम में आता है।
सुनने में जितना ये difficult लगता है उतना कठिन ये है नहीं. इसलिए आज मैंने सोचा की क्यूँ न आप लोगों को Alternator क्या है और कैसे काम करते हैं, इसके components क्या है जैसे कुछ महत्वपूर्ण सवालों के विषय में आपको जानकारी दे दिया जाये जिससे आपके मन में उठ रहे सभी सवालों के जवाब आपको यह article पढ़ते पढ़ते मिल जांयेंगे।
तो बिना देरी किये चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं की आखिर ये अल्टरनेटर क्या होता है हिंदी में।
अल्टरनेटर क्या है (What is Alternator in Hindi)
Alternator एक प्रकार का electrical machine होता है जो की mechanical energy को alternating electric energy में convert करता है. इसलिए इसे synchronous generators या AC generator भी कहा जाता है।
यदि आपके पास Car हो या कोई भारी और बड़ा यान हो, तब अगर आपके headlights थोड़े dim हो गए हैं, और आपका car हमेशा start नहीं हो रहा है।
और आप इसलिए चिंतित हैं की इसका कारण क्या है, तब शायद इसका कारण alternator की खराबी भी हो सकती है, क्यूंकि ये छोटी सी piece की machinery आपके बहुत काम आती है जो की electricity पैदा करती है mechanical energy से।
साथ ही Alternators आपके vechiles के battery को charge भी करते हैं जब आप उसे drive कर रहे होते हैं. यदि वो काम न कर रहे हों तब आपकी battery धीरे धीरे मर ही जाएँगी.
आपके Car को start होने में कार्य करने में काफी मात्रा में power की जरुरत होती है, और अगर आपकी battery recharge न हो रही हो, तब वो आसानी से मर जायेगी बहुत ही जल्द. इसलिए Alternator का बहुत ही अहम् काम होता है किसी vechile में।
Mechanical Energy और Electrical Energy
Mechanical Energy उस प्रकार के energy को कहा जाता है जो की एक object के पास होता है उसके movement या उसके position के कारण. आपकी car की engine बहुत सारे parts से बनी होती है, जिसमें एक चीज़ ऐसा भी होता है जिसे की crankshaft कहते हैं।
यही crankshaft rotate करती है जब engine run कर रही होती है. ये rotation से एक प्रकार की energy पैदा होती है जिसे की mechanical energy कहते हैं, और इसे ही alternator को pass किया जाता है।
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फिर ये alternator इसी mechanical energy को लेकर उसे electrical energy में तब्दील करती है, ये वही energy होती है जो की electric charge से आती है. Specifically, alternator alternating current, या AC पैदा करता है।
जैसे की नाम से पता चलता है की ये electrical current alternate करता है या direction switch करता रहता है. इसके ठीक विपरीत ही direct current, या DC, होता है जहाँ की electrical current एक ही direction में flow करती है।
आपके घर, office, और outlets में जो currenct का इस्तमाल होता है वो AC current हो होता है, क्यूंकि इसे एक जगह से दुसरे जगह में ले जाना आसान होता है और ये ज्यादा voltage भी प्रदान करता है।
वहीँ हमारे कुछ उपकरण जैसे की cellphone, items जो की batteries का इस्तमाल करते हैं, और flat-screen TVs DC का इस्तमाल करते हैं. आप सोच रहे होंगे की इन उपकरणों को DC कैसे दिया जाता है, तब इसका जवाब है की आप इन devices का इस्तमाल AC outlets में कर सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको AC adapter या एक USB cable का इस्तमाल करना होगा।
अल्टरनेटर का इतिहास
अब चलिए अल्टरनेटर का इतिहास की ओर गौर करते हैं। Hippolyte Pixxi और Michale Faraday ने सबसे पहले alternator का concept लाया था. उन्होंने एक rectangular rotating conductor design किया था एक magnetic field के भीतर ताकि वो alternating current पैदा कर सके outer static circuit के लिए।
J.E.H. Gordon ने सन 1886 में, एक ऐसे ही model को design और produce किया था जो की इसका पहला prototype था. एक model जो की था 100 से 300 Hz synchronous generator का उसे Kelvin और Sebastin Ferranti ने design किया था।
वहीँ सन 1891 में, Nikola Tesla ने एक commercially useful 15 Khz generator बनाया था. Poly Phase alternators उसके कुछ वर्षों के बाद commercialize हो गया जो की multiple phase currents प्रदान करने की क्षमता रखता है।
Alternator के Main Components क्या है?
क्या आप जानना चाहते हैं, Alternator के Main Components क्या है?
Alternator किसी भी गाड़ी का एक बहुत ही important part होता है. जो की car की battery को maintain करता है, lights को power प्रदान करता है, साथ में heater और दुसरे accessories के लिए भी काम करता है.
ये Generator के जैसे ही काम करता है और electricity पैदा करता है turbine system के जैसे. Car की 12-volt battery के पास इतनी charge तो होती ही है जिससे car को start किया जा सकता है.
वहीँ बिना alternator के, battery को आसानी से recharge नहीं किया जा सकता है बल्कि इसके बिना उसे manually हर समय charge करना होगा जब आप car को restart करें तब. देखा जाये तो alternator के बहुत से मुख्य components होते हैं जो की अपना अपना काम करते हैं. चलिए इन्ही components के बारे में और अधिक जानते हैं।
Electromagnets
Alternators electromagnets का इस्तमाल करते हैं magnetic field create करने के लिए. Electromagnets इस्तमाल करते हैं wire जिन्हें की metal piece के चारों तरफ wrap किया जाता है. जब एक electrical current उस wire के through जाता है, तब वह metal का piece magnetized हो जाता है।
इससे पहले चलिए समझते हैं कुछ words के बारे में जो की magnets से associated हैं. Magnetic field उस field को कहा जाता है जो की magnetic substances के चारों तरफ create होता है. एक magnetic substance एक प्रकार का material होता है जिसमें की electrons को कुछ इसप्रकार से orient किया जाता है जिससे ये ये दुसरे metals को attract कर सके. Electrons oriented का क्या मतलब होता है?
ये तो आप जानते ही होंगे की सभी चीजें tiny particles से बने हुए होते हैं जिन्हें की atoms कहा जाता है. Atoms में electrons nucleus के बाहर spin कर रहे होते हैं. Electrons tiny magnets के तरह होते हैं. ये electrons हमेशा एक ही direction में spin करते हैं वो भी एक ही एक ही certain way में.
Actually ये सभी अलग अलग spin कर रहे होते हैं, लेकिन तब से substance magnetic नहीं होते हैं. और जब ये एक ही direction में orient होते हैं तब ये magnet के तरह behave करते हैं।
Electromagnet में, जब electrical current wire के through pass करता है, तब ये metal के electrons को एक ही समान direction में orient करते हैं, और आपको एक magnet प्राप्त होता है।
Alternator Rotor
Rotor, ये बना हुआ होता है iron core से जिसके चारों तरफ copper wire की winding होती है. जब एक electrical charge को wire में introduce किया जाता है, तब ये उस iron core को magnetizes कर देती है (Electromagnet).
ये electrical current brushes से आते हैं जो की metal rings के contact में आती है. Specifically बोलें तो, इन metal rings को slip rings कहा जाता है, और ये usually copper से बने हुए होते हैं.
जैसे की rotor spin करता है (सोचिये rotor = rotation), तब ये slip rings brushes के contact में आता है जो की carbon के बने हुए होते हैं. ये contact एक electrical charge create करती है, और charge travels करती है winding copper wire के through, और ये एक electromagnet create करती हैं।
Stator
आपने अभी एक rotor के rotation, या spins के बारे में जाना. ये actually stator के अन्दर ही spin कर रही होती है, जो की एक iron core होता है जिसे तीन coils surround करती है. इन दोनों को एक दुसरे से differentiate करना आसान है जहाँ rotor rotate करता है वहीँ stator stationary होते हैं।
ये crankshaft drive belt को rotate करने में आसानी प्रदान करती है, जिससे stator के अन्दर स्तिथ rotor turn on हो जाता है. इसी mechanical energy के बारे में मैंने lesson के प्रारंभ में बात की थी।
Rotor और Stator
ये rotor और stator किसी alternator के belt-driven group of magnets होते हैं जो की copper wiring के भीतर होती हैं और ये एक magnetic field create करती हैं. ये belt को drive किया जाता है pulley के द्वारा जो की engine से connect हुआ होता है, और जो की allow करता है rotor को high-speed में spin करने के लिए, जिससे एक magnetic field create होती है.
फिर stator voltage और electricity पैदा करती है जो की flow होती है diode assembly में. इसमें जो electricity बनती है वो होती है alternate current, या AC।
Diode Assembly
एक alternator की diode assembly convert करती हैं AC electricity को direct current, या DC में, जो की वो current type होती है जिसे की car batteries में इस्तमाल किया जाता है. ये diode assembly, एक two-terminal system होता है, जो की work करता है केवल electricity में जो की stator में पैदा होता है और इसे केवल एक ही dirction में flow होने के लिए।
Voltage Regulator
ये voltage regulator alternator का surge protector होता है. Modern voltage regulators, जो की internal systems होते हैं, वो monitor करते हैं दोनों alternator और battery voltage को, जिसके लिए ये केवल जरुरत के अनुसार ही current को adjust करती हैं. Older voltage regulators को externally mount किया जाता है।
Alternator Motor के Parts
अब चलिए Alternator Motor के parts के बारे में और अधिक जानते हैं।
Diode Rectifier
इस diode rectifier, को rectifier bridge भी कहा जाता है, और ये responsible होता है alternating current को direct currenct में convert करने के लिए Alternator के मदद से. ज्यादातर automobile alternators में six diodes होते हैं. ये part एक translator के जैसे होता है rotor, stator और battery के बिच।
Rotor Assembly
एक rotor assembly बहुत सारे parts से बने हुए होते हैं. इसका main part एक iron core होता है, जिसके चारों तरफ wires (field windings) को wound किया गया होता है. Core और windings के चारों तरफ finger poles होते हैं, जिन्हें की placed किया जाता है alternating north और south charges के साथ. जैसे ही rotor spin करता है, तब alternating finger poles एक magnetic field create करती हैं iron core के चारों तरफ।
माना की core, windings, और poles बहुत ही crucial parts होते हैं rotor assembly के, वहीँ rotor assembly में और भी चीजें होती है जैसे की एक cooling fan, slip rings, brushes, और bearings. ये ही responsible होते हैं current को winding के तरफ direct करने के लिए, जिससे ये alternator को overheating से बचाती हैं, और main assembly parts की proper movement में मदद करती है।
Stator
ये stator एक प्रकार का circular unit होता है जो की rotor को surround करता है. ये iron housing के चारों तरफ wire coils के लिपटे होने से बनता है. जब rotor spin करता है और current produce करता है, तब current directly stator mein transfer होती है. ये stator में तीन leads होती हैं जो की diode rectifier से connect होती है।
Rectifier
ये diode rectifier जो की connected होता है stator के साथ वो convert करता है alternating current को direct current में जिसे की battery में इस्तमाल किया जा सकता है. ये alternator system का translator होता है. ज्यादातर automobile alternators में six diodes होते हैं diode rectifier बनाने के लिए।
Terminals
एक standard alternator में five separate terminals होते हैं जिन्हें की electrical circuit से connect किया जाता है. ये terminals battery के voltage को sense कर लेते हैं, उसके बाद alternator के voltage regulator को turn on भी कर देते हैं, फिर current को battery में distribute भी करते हैं, उसके बाद warning lamp circuit को बंद कर देती है और regulator को bypass कर देती है।
Voltage Regulator
ये voltage regulator, जैसे की नाम से पता चलता है की इनका इस्तमाल alternator के voltages को regulate करने के लिए होता है. ये responsible होता है distributing करने के लिए जो power produce होता है battery के लिए.
अगर voltage regulator काम नहीं करता है, तब battery receive कर सकता है too much या too little power, जिससे charging problems या battery overload जैसे समस्याएं उत्पन्न होती है।
एक AC Generator कैसे काम करता है?
चलिए समझते हैं AC Generator कैसे काम करता है? एक Atlernator या AC generator का basic working principle समान होता है एक DC generator के जैसे ही. Faraday’s law of electromagnetic induction, के हिसाब से जब भी कोई conductor एक magnetic field में move करता है तब EMF induced होता है across the conductor.
अगर close path provide किया जाये conductor को, तब ये induced emf बाध्य करता है current को circuit में flow होने के लिए।
उदाहरण के लिए जब एक conductor coil ABCD को place किया जाये एक magnetic field में. तब magnetic flux का direction होगा N pole से S pole. तब coil connect होगा slip rings से, और load connected होगा brushes से जो की slip rings में rest करेगा।
अगर coil clockwise rotate करेगा, तब इस case में induced current का direction होगा Fleming के right-hand rule के हिसाब से, और वो होगा along A-B-C-D।
क्यूंकि coil rotate कर रहा है clockwise, इसलिए half of the time period के बाद, coil का position कुछ अलग होगा. इस case में, induced current का direction Fleming’s right-hand rule के हिसाब से होगा along D-C-B-A. इससे ये पता चलता है की current का direction change होता है halftime period के बाद, जिसका मतलब है हमें एक alternating current प्राप्त होता है।
क्यूँ Armature की Winding Stationary होती है Alternator में?
- High voltages में, stationary armature winding को insulate करना आसान होता है, जो की ज्यादा से ज्यादा 30 kV ये उससे ज्यादा भी हो सकता है.
- ये high voltage output को आसानी से directly बाहर ले जाया जा सकता है stationary armature से. वहीँ एक rotary armature, ये इतना आसान नहीं है क्यूंकि इसमें large brush contact drop होता है higher voltages में, साथ ही brush surface में sparking होती रहती है.
- Field exciter winding को rotor में place किया जाता है, और low dc voltage को आसानी से और safely transfer किया जा सकता है.
- इसमें armature winding को अच्छे से braced किया जाता है, जिससे ये high centrifugal force से होने वाले deformation को prevent कर सके.
Alternator के Types (अल्टरनेटर के प्रकार हिंदी में)
Alternator को synchronous generator भी कहा जाता है. इनके application और इनके design के हिसाब से इन्हें बांटा जाता है. चलिए कुछ types के बारे में जानते हैं।
Alternators की Classification क्या हैं
Atlernator के इतने ज्यादा types हैं की उन्हें अलग अलग categories में classify किया जाता है. चलिए निचे हूँ इसके अलग अलग categories के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त करते हैं।
Based on output power
1. Single Phase
2. Three Phase
Based on the working principle
1. Revolving armature type
2. Revolving field type
Based on the speed on rotation
1. Turbo alternator
2. Low speed alternator
Based on coiling
1. Air cooling
2. Hydrogen cooling
Alternator और Generator में क्या अंतर है?
Alternators और generators, ये दोनों devices का इस्तमाल electricity पैदा करने के लिए किया जाता है. एक alternator असल में एक प्रकार का generator होता है. ये बात तो नकारा नहीं जा सकता की ये दोनों devices के समान function होते हैं, लेकिन दुसरे सभी aspect में ये एक दुसरे से अलग होते हैं।
Alternator एक प्रकार का charging system होता है cars का जो की electricity produce करता है जो की small scale में होता है. वहीँ Generators का इस्तमाल large-scale electricity production के लिए किया जाता है।
दोनों alternators और generators का इस्तमाल mechanical energy को electrical energy में convert करने के लिए होता है. लेकिन जो main difference इन दोनों में होता है वो इसके spinning में होता है।
Alternator में, Electricity तब पैदा होता है जब एक magnetic field spin करता है stator के अन्दर (जो की windings of wire होते हैं). वहीँ एक generator में, the armature या windings of wire spin करते हैं एक fixed magnetic field के भीतर जिससे electricity generate होती है।
Alternators को ज्यादा efficient माना जाता है generators की तुलना में. ऐसा इसलिए क्यूंकि Alternators excess energy को conserve करती है और जरुरत के energy का ही इस्तमाल करती है, वहीँ generators सभी energy का इस्तमाल कर लेता है जो की produced होती है।
इसलिए Alternators का higher output होता है generators के मुकाबले. जब बात polarization की आती है, तब alternators और generators में ये अलग अलग होता है. जहाँ generators में installation होने के बाद polarized होते हैं वहीँ Alternators में polarization की जरुरत ही नहीं होती है।
Alternator के brushes ज्यादा last करते हैं generators की तुलना में. ऐसा इसलिए क्यूंकि एक Alternator में brushes का इस्तमाल केवल rotor को power करने के लिए current carry के लिए और slip rings में जो की ride को smooth बनाते है उसमें use होता है।
Charging करने में भी ये अलग काम करते हैं. जहाँ एक alternator एक dead battery को charge नहीं कर सकते हैं और charge करने पर ये burn out भी हो सकते हैं. वहीँ एक generator, में लेकिन एक dead battery को charging के लिए इस्तमाल किया जा सकता है।
Size की बात करें तब Alternator को fit होने के लिए बहुत ही कम space की जरुरत होती है लेकिन वहीँ Generators के लिए बड़े जगहों की जरुरत होती है।
अल्टरनेटर क्या काम करता है
क्या आप जानते है, अल्टरनेटर क्या उत्पन्न करता है? Modern Vehicles और electrical system को power alternator से मिलती है।
पुराने दिनों में, DC generators या dynamos को इस्तमाल एक ख़ास कारन के लिए हुआ था alternator development के बाद, ये ज्यादा robust और light weight alternators होता है जिसे की replacement के तोर पर इस्तमाल किया जाता है DC dynamos के।
अभी भी एक general requirement होती है motor vehicles की direct current के साथ और ये अभी भी एक alternator होता है जो की rectifier diode के साथ होता है, एक DC generator के जगह में, ये एक better choice होता है क्यूंकि इसमें complicated communication नहीं होती है।
Diesel electric locomotive एक दूसरा use होता है alternator का. Alternator जो की driven होता है एक diesel engine से, यह एक engine होता है locomotive का. DC को convert किया गया AC से जो की generator से produce किया जाता है और इसे integrated किया जाता है silicon diode rectifiers में जिससे सभी DC traction motors feed किया जाता है।
इसे भी diesel electric locomotive के तरह ही marine में भी इस्तमाल किया जाता है. इसे कुछ इस हिसाब से Design किया गया है जिससे इसकी synchronous generator को marine में इस्तमाल किया जाता है जिससे ये आसानी से salt-water environment को face कर सकता है।
12 या 24 volt output level होती है marine alternator की. Power जी की generate होती है marine system में alternator के द्वारा, इसे पहले rectify किया जाता है engine battery starter को charge कर और ये battery supply एक तरह से auxiliary होता है marine के लिए।
Alterntors के Advantages और Disadvantages क्या हैं
यदि में आपको कुछ पुरानी बातें बताऊँ तब late 1800s में, Nikola Tesla और George Westinghouse ने Thomas Edison के विरुद्ध case किया की United States’ electric plants से alternating current (A/C) या direct current (D/C) generate होनी चाहिए।
जहाँ Tesla ने 40 patents develop किया था A/C technology में, जिसे की Westinghouse ने purchase किया था. वहीँ Edison अपनी D/C royalties को खोना नहीं चाहते थे, और उन्होंने D/C technology को ही promote किया, लेकिन बाद में उन्हें हारना पड़ा क्यूंकि देखा जाये तो A/C’s की superiority बहुत ज्यादा होती है D/C current से।
चलिए आगे हम इन दोनों currents के advantages और disadvantages के बारे में और अधिक जानते हैं।
इसमें Matching Voltage करने की जरुरत ही नहीं होती
एक D/C generator को वही समान voltage की level produce करनी होती है जितने में इसे इस्तमाल किया जा सके. A/C में लेकिन advantage है जो की आपको allow करता है current को अलग voltage में convert करने के लिए एक transformer के इस्तमाल से. Transformers केवल A/C में ही काम करता है न की D/C में।
ये ज्यादा Longer Distances travel कर सकते हैं
A/C में ज्यादा दूर तक travel करने से भी ज्यादा loss of power नहीं होता है D/C के मुकाबले. Current को high voltage में transform करने से ये current को कम करता है, जिससे power loss को reduce करता है।
इसे इस formula से समझा जा सकता है P=R*I-squared, जहाँ P होती है power loss due to resistance, R होता है resistance, और I current करता है।
चूँकि I को squared किया जाता है इस power formula में, इसलिए I को थोडा सा decrease करने से (voltage को बढाकर), इससे ये power loss को बहुत कमा देता है।
Transformer Requirement
A/C generators में एक disadvantage ये है की इन्हें transformers की requirement होती है, जो की circuitry को complicate कर देती है. इन्हें कुछ इसप्रकार से designed करना होता है जिससे higher voltage एक side की discharge (arc) न करे।
High voltages efficiently generate नहीं होते हैं, इसलिए low voltages को generate किया जाता है और voltage को transformed किया जाता है एक higher level में long-distance transmission के लिए।
Safety
इसकी और एक safety-related disadvantage ये हैं की A/C में danger होता है electric shock का क्यूंकि higher voltage का इस्तमाल long-distance transmission के लिए होता है. ख़ास इसलिए long-distance transmissions में power lines को काफी ऊपर रखा जाता है ground के ऊपर।
125k Va Kirloskar Old Model Alternator डायोड लाइट की कीमत?
Kirloskar की इस model की price Rs.30,000 से Rs.50,000 तक होती है.
क्या 5kva Alternator Maruti 800 से चल सकती है?
Maruti 800 की alternator output 13.5 से 14.5 V तक होनी चाहिए.
ट्रेक्टर से चलने वाला अल्टरनेटर १५ kv सेकंड हैंड भोपाल में कहा मिलेगा?
भोपाल एक बहुत ही बड़ा शहर है, ऐसे में इसमें बहुत सारे दुकान हैं और ऐसे में सभी में प्राय सभी सामान मिल जाते हैं जैसे की tractor alternator इत्यादि. आपको कोई भी एक अच्छा दुकान अपने समीप का देखना चाहिए.
Alternator में दोनों Brushes में साथ Electric संपर्क बनाई है?
Alternator में brushes को लेकर काफी problem आती है. ऐसा इसलिए क्यूंकि alternator के भी एक finite life होती है लेकिन इसकी life को बढ़ाने के लिए आपको rotating belt का ख़ास ख्याल रखना चाहिए जैसे की ये ज्यादा tight नहीं होना चाहिए और न ही ज्यादा ढीला.
Alternator में Capacitor क्यूँ नहीं लगते हैं?
Alternaor में capacitor इसलिए नहीं लगाते हैं क्यूंकि इसे लगाने से ये alternator को overload कर देगा क्यूंकि इसमें extra watt consumer हो जाएँगी, capacitor के चलते.
अल्टरनेटर की पूरी जानकारी
मुझे आशा है की मैंने आप लोगों को अल्टरनेटर क्या है (What is Alternator in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी दी और में आशा करता हूँ आप लोगों को अल्टरनेटर का क्या काम है के बारे में समझ आ गया होगा।
यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं. आपके इन्ही विचारों से हमें कुछ सीखने और कुछ सुधारने का मोका मिलेगा।
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Hello, I enjoy reading all of your article. I wanted to write a little comment to support you.
Ganesh Kumar motors Andrew
Stator information is not complete , it is very less
what happens if we rotate stator surrounding rotor???
Magnetic field ko excite kaise kare
Sir दोनो फेश को टच करने पे करंट देता है क्या करे
Sir alternetor ke ander over voltage ki problmes kya kya ho sakti hai reguletor circut me problme hona ya rotar coil me shortge hona run time
Bahut achachha
Bahut achhi jankari
Current current Kisi kehte hain
Bahut hi achhi jankari aapne is post me share kiye hain. Is post se pahle hame iske naare me malum nahi tha so, aaj aapme bata diya thanks !