कंप्यूटर का इतिहास और विकास

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Computers और electronics ने अभी के society में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है, जहाँ इसने communication से लेकर medicine, वहीँ science और technology तक सभी में अपना impact बखूबी किया हुआ है। इसलिए अगर कंप्यूटर का इतिहास को जानना है तब हमें इसके सभी प्रारंभिक developments को गौर से देखना होगा, कहीं तभी जाकर हम इसे ठीक तरीके से समझ सकते हैं।

जहाँ computers को एक आधुनिक आविष्कार के तोर पर देखा जाता है जिसमें की electronics, computing का इस्तमाल हुआ है electrical devices के साथ। वहीँ लेकिन अगर पहला computing device की बात की जाये तब जरुर से इसका जवाब ancient abacus ही होने वाला है।

Solid-state electronics के invention के साथ transistor और फिर बाद में integrated circuit के आने से, computers अब ज्यादा छोटे, compact, portable और यहाँ तक की affordable बन गए हैं। एक average consumer के लिए। आजकर तो “computers” हमारे रहन सहन के बहुत ही नजदीक हैं फिर चाहे वो watches हो या फिर automobiles हो। चलिए जानते है कंप्यूटर का इतिहास और विकास के बारे में।

कंप्यूटर का इतिहास – History of Computer in Hindi

क्या आपको पता है कंप्यूटर का इतिहास कितना पुराना है? यदि आपको कम्प्यूटर की इतिहास के विषय में जानना है तब आपको पहले जानना होगा की बड़े numbers को इन्सान कैसे हिसाब करता था। छोटे संख्या को तो आसानी से हाथों का इस्तमाल कर हिसाब किया जा सकता है, लेकिन जब बात बड़े संख्या की आती है तब ऐसे में उन्हें बड़ी तकलीफ हुई और उन्होंने नयी नहीं systems का इजात किया जो की उन्हें इसमें मदद करती थी।

Computer Ka Itihas Hindi
कंप्यूटर का इतिहास एवं विकास

हिसाब करने की इस प्रक्रिया में बहुत से systems of numeration का इस्तमाल किया जाता है जैसे की Babylonian system of numeration, Greek system of numeration, Roman system of numeration और Indian system of numeration.

इनमें से सबसे ज्यादा और universally जिसे माना गया वो है Indian system of numeration। ये आधारित है modern decimal system of numeration की जो की होती हैं (0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9)। जैसे की हम जानते हैं की computer decimal system को समझ नहीं सकती है और इसलिए ये binary system of numeration का इस्तमाल करती है processing के लिए।

YearEvent
1936Alan Turing ने एक universal machine का concept propose किया, जो बाद में Turing machine के नाम से जाना गया, जो कुछ भी compute कर सकता था।
1937Claude Shannon की master’s thesis ने दिखाया कि Boolean algebra के electrical applications किसी भी logical, numerical relationship को construct और resolve कर सकते हैं।
1941Konrad Zuse ने Z3 develop किया, पहला fully automatic, programmable computer।
1943-1944British ने World War II के दौरान encrypted German messages को break करने के लिए Colossus develop किया। ये पहला electronic digital programmable computing device था।
1945John von Neumann ने stored-program computer की architecture outline की।
1946ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Computer), पहला general-purpose electronic computer, complete हुआ।
1951पहला commercially available computer, UNIVAC I (UNIVersal Automatic Computer I), J. Presper Eckert और John Mauchly ने design किया।
1956IBM ने पहला hard disk drive (HDD), IBM 305 RAMAC, introduce किया।
1964Douglas Engelbart ने modern computer का prototype दिखाया, जिसमे mouse और graphical user interface (GUI) था।
1971Intel ने पहला microprocessor, Intel 4004, release किया।
1975पहला personal computer, Altair 8800, introduce हुआ।
1976Apple Inc. Steve Jobs और Steve Wozniak ने found किया।
1981IBM ने अपना पहला personal computer, IBM PC, introduce किया।
1984Apple ने Macintosh introduce किया, पहला successful mouse-driven computer with a GUI।
1990Tim Berners-Lee ने CERN में World Wide Web develop की।
1993Mosaic web browser release हुआ, जिससे users with little technical skill World Wide Web browse कर सकते थे।
2007Apple ने iPhone introduce किया, एक smartphone जो mobile computing को revolutionize करता है।
2008Google ने Android operating system for mobile devices release किया।
2010Apple ने iPad introduce किया, tablet form factor को popularize करता है।
2011IBM’s Watson AI ने Jeopardy! में human champions को हराया।
2014Amazon ने Echo smart speaker launch किया, Alexa virtual assistant introduce करते हुए।
2016Google’s DeepMind AI, AlphaGo, ने world champion Go player Lee Sedol को हराया।
2018Google’s Duplex AI ने real-world phone calls बनाने की ability demonstrate की, एक human-like voice के साथ।
2019Google ने Quantum supremacy claim किया।
2022DeepMind की AlphaFold program विज्ञान के ज्ञात प्रत्येक protein की संभावित संरचना का निर्धारण करती है।

Calculating Machines in Hindi

अब चलिए कुछ ऐसे ही computing devices के विषय में discuss करते हैं जिनकी इस दिशा में बड़ी योगदान है। हमारे पूर्वजों को करीब हजारों वर्ष लग गए ऐसे mechanical devices बनाने में जिससे की बड़े numbers को count किया जा सके।

Abacus

इस श्रृंखला में सबसे पहला calculating device है ABACUS। इसे develop किया था Egyptian और Chinese लोगों ने। ABACUS का मतलब है calculating board। इसमें sticks होते हैं horizontal positions में जिसमें की छोटे छोटे आकार के pebbles को insert किया जाता है।

इसमें बहुत से horizontal bars होते हैं जिसमें प्रत्येक में ten beads होते हैं। Horizontal bars represent करती है units, tens, hundreds, इत्यादि।

Napier’s Bones

इसे develop किया था English mathematician John Napier सन 1617 AD में। यह एक ऐसा mechanical device है जिसे की multiplication के उद्देश्य से बनाया गया था। इसे कहा जाता है Napier’s bones वो उन वैज्ञानिक के नाम के बाद।

Slide Rule

English mathematician Edmund Gunter ने इस slide rule को develop किया था। यह machine बड़ी ही आसानी से बहुत से operation perform कर सकता है जैसे की addition, subtraction, multiplication, और division। इसे 16th century में पुरे Europe में बहुत ज्यादा इस्तमाल में लाया गया।

ADDING MACHINE– BLAISE (1642 A.D) :- PASCAL– PRANCE

उस समय के प्रसिद्ध French Scientist और Mathematician, Blaise Pascal ने इस machine को invent किया था जो की उस समय में केवल 19 वर्षों के ही थे। यह machine आसानी से digits को add कर सकती थी वो भी carry करने के साथ automatically।

उनकी यह machine इतनी ज्यादा revolutionary थी की इसकी principle को आज भी बहुत से machanical counters में इस्तमाल किया जाता है।

MULTIPLYING MACHINE- COTTFRIED LEIBNITZ- GERMANY (1692 A.D)

Gottfried ने Pascal की machine को और ज्यादा improve किया और उन्होंने ऐसी mechanism की इजात की जो की numbers की automatic multiplication करने में सक्षम था।

फिर Leibnita भी और ज्यादा प्रसिद्ध हुए उनके काम के लिए Sir Isaac Newton के साथ, जिसमें उन्होंने एक नयी branch की Mathematics को ही develop कर दिया, जिसे हम आज Calculus के नाम से जानते हैं।

उन्होंने ही calculator को invent किया था, जो की आसानी से add, subtract, multiply and divide accurately कर सकता था। वहीँ ये square root function भी करने में सक्षम था।

EARLY 1800’S JACQUARD LOOM – JOSEPH MARIE JACQUARD

वहीँ early eighteenth century में, एक French weaver Joseph Marie Jacquard ने एक ऐसा programmable loom develop किया, जजों की large cards और holes का इस्तमाल करता था, फिर उन्हें punch करता था वो भी बहुत ही control के साथ जिससे की अंत में एक pattern automatically बनकर तैयार होता था।

इसमें जो output बनकर तैयार होता था वो एक thick rich cloth होता था जिसमें की repetitive oral या geometric patterns होते थे।

Jacquard patterns को अब भी इस्तमाल में लाया जाता है। वहीँ दूसरों ने punched cards को adapt कर लिया इस्तमाल करने लगे primary form of input के तोर पर।

DIFFERENCE ENGINE– CHARLES BABBAGE– ENGLAND (1813 A.D)

वहीँ early 19th century की शुरुवाती दौर में, Charles Babbage, जो की एक Englishman, Scientist थे, उन्होंने एक ऐसी machine के development के पीछे काम किया जो की बड़ी आसानी से complex calculations perform कर सकता था।

सन 1813 A.D.में उन्होंने इस ‘Difference Engine’ का invention किया जो की बहुत ही complex calculations को perform कर सकती थी और साथ में उसे print भी कर सकती थी। यह machine एक steam-powered machine था।

कम्प्यूटर की इतिहास हिंदी में – 19th Century

इस modern समय के Computer के इतिहास के विषय में जानते हैं जिसका development 19th century के समय में हुआ था। कुछ के विषय में मैंने पहले ही बता दिया है।

Jacquard Loom

Jacquard Loom
  • इसमें metal cards का इस्तमाल होता हिया punched holes के साथ जो की guide करता है weaving process को
  • यह first stored program था – metal cards में
  • यह एक पहला computer manufacturing unit भी था
  • इसका इस्तमाल आज भी बहुत जगह में होता है

Difference Engine c.1822

Difference Engine c.1822
  • यह एक बहुत ही बड़ा calculator था, जो की कभी भी पूर्ण नहीं हो सका
  • इसके पीछे Charles Babbage(1792-1871) का बड़ा हाथ था

Analytical Engine 1833

Analytical Engine 1833
  • यह machine numbers को store करने में सक्षम थी
  • इसके calculating प्रक्रिया के लिए punched metal cards का इस्तमाल होता था instructions देने के लिय
  • ये एक steam-powered machine था
  • ये accurately six decimal places तक calculate कर सकता था

Ada Augusta – दुनिया के पहले Programmer थे

  • उन्होंने Charles Babbage के साथ काम किया हुआ था
  • उन्होंने Analytical Engine को भी programmed किया था

Vacuum Tubes – (1930 – 1950s)

  • First Generation Electronic Computers में Vacuum Tubes का इस्तमाल हुआ था
  • Vacuum tubes असल में glass tubes होते हैं जिनकी circuits iउनके भीतर ही होती है.
  • Vacuum tubes के भीतर कोई भी air नहीं होती है, जो की इसकी circuitry की रक्षा करती है.

UNIVAC – 1951

UNIVAC – 1951
  • यह पहला commercially available computer
  • इसे बेचा गया था censu bureau को
  • “एक बहुत ही बड़ा pocket calculator था “
  • ये सन 1970 तक एक standard computer ही था, लेकिन इसकी कीमत बहुत ही ज्यादा थी

पहला Computer Bug – 1945

  • यह cards को relay कर सकता था जो की information carry करती हैं
  • Grace Hopper ने ही पहले एक actual moth (कीड़ा) को उस card में लगे हुए पाया , जिसके कारण ही card इस प्रकार से malfunction का रहा था
  • इसलिए उस समय से ही computer में “debugging” शब्द का इस्तमाल होने लगा

पहला Transistor

  • ये Silicon का इस्तमाल करता था
  • इस सन 1948 में develop किया गया था
  • जिसके लिए इसके inventor को Nobel prize भी मिला
  • इसमें on-off switch होता है
  • फिर Second Generation Computers ने इन Transistors का इस्तमाल किया, सन 1956 से.

Integrated Circuits

  • इन Integrated Circuits (chips) का इस्तमाल Third Generation Computers में हुआ था.
  • Integrated Circuits असल में transistors, resistors, और capacitors का समाहार होता है जिन्हें की एक साथ integrate किया जाता है एक single “chip” में.

कंप्यूटर का विकास कब हुआ

जैसे जैसे नयी counting technologies का इजात हुआ, वैसे वैसे नयी नयी calculating mechanical devices का भी जन्म हुआ। वैज्ञानिकों ने अपने research के द्वारा ऐसी devices को invent किया जो की हमारे complex calculations को बड़ी ही आसानी से solve कर सकते थे। अब चलिए हम personal computers में हो रहे development के विषय में जानते हैं।

Personal Computers का जन्म हुआ

अब चलिए जानते हैं की Personal Computers का इतिहास क्या है और कौन से computers से इसकी शुरुवात हुई।

Kenbak I – 1971

Kenbak I Hindi
  • ये सबसे primitive थी, जिसमें केवल flashing lights और buttons थी
  • इसकी कीमत केवल $750 ही थी

MITS Altair – 1975

MITS Altair Hindi
  • 256-byte memory
  • 2 MHz Intel 8080 chips
  • ये केवल एक box था flashing lights के साथ
  • इसकी kit की कीमत $395 थी, वहीँ इसे assemble कर देने के बाद ये कीमत हो जाती थी $495

पहला Microprocessor – 1971

Intel 4004
  • Intel 4004 में 2,250 transistors था
  • four-bit chunks (four 1’s or 0’s)
  • 108Khz
  • 0.6 Mips (million instructions/sec)
  • Pentium 133 – 300 Mips
  • इन्हें ही “Microchip” कहा गया

Electronic Computers की Generations

चलिए अब Electronics Computers के Generation के विषय में जानते हैं।

GenerationFirst Generation ISecond Gen IIThird Gen IIIFourth Gen IV
TechnologyVacuum TubesTransistorsIntegrated Circuits (multiple transistors)Microchips (millions of transistors)
SizeFilled Whole BuildingsFilled half a roomSmallerTiny – Palm Pilot is as powerful as old building-sized computer

कंप्यूटर का इतिहास भारत में

अगर हम भारत के computer technologies की development बात करें तब ये केवल तभी मुमकिन हो पाया जब दो major forces Political administration, Government policy advisers bureaucrats और technocrats ने एक साथ मिलकर काम करने का तय किया। चलिए अब हम भारत के computer evolution को अलग अलग phases में बांटकर देखते हैं।

Phase I

Computer Technologies का इतिहास भारत में शुरू हुआ सन 1950 से। पहला administration जिन्होंने की भारत में एक digital computer बनाने के शुरुवात की वो बनी R Narasimhan के leadership के अंतर्गत, Tata Institute of Fundamental Research (TIFR), Bombay में।

ये TIFRAC (TIFR Automatic Computer) को start किया गया था सन 1955 में और वहीँ इसे complete कर दिया गया सन 1959 में। TIFRAC आसानी से process कर सकता था upto 2048 word अपनी memory (40-bit word, 15 microsecond cycle time) में और वहीँ एक display output के तोर पर Cathode ray tube का इस्तमाल किया गया था।

TIFRAC को इसलिए design किया गया था क्यूंकि इसके इस्तमाल से TIFR और Atomic Energy establishment के physics problems को solve करने में मदद होती थी। वहीँ इसके मदद से भारत आगे बड़े ही effectively computers को build और design कर सकता था।

वहीँ सन 1960’s के दौरान पूरी दुनिया में non-foreign exchange outflow की पहल हो गयी थी computer industry में। लेकिन फिर भी IBM और British Tabulation machines (जिसका नाम बाद में ICL रखा गया) को establish किया गया, जो की उस समय भारत में Mechanical accounting machines बेच रहे थे।

IBM और ICL को licenses और agreements issue किये गए जिससे की वो भारत में computer manufacturing plant बना सकें, वहीँ IBM ने फिर punch card machines बनाना शुरू भी कर दिया और उन्हें बाहर के देशों में export किया जाने लगा।

Phase II

फिर सन 1970 में Department of Electronics को establish किया गया जिसका मूल उद्देश्य था की कैसे Electronics Technologies को enhance किया जा सके और जो की बाद में PSU company ECIL के computer division को establish करने में भी सहायक हुआ। (Electronics Corporation of India Limited).

ECIL ने design किया TDC-12 को जो की एक 12 bit real time minicomputer था और जिसे बाद में upgrade किया गया TDC-312 में, वहीँ बाद में TDC-316 में भी जो की एक 16 bit computer था जिसे सन 1975 में built किया गया था।

वहीँ वर्ष 1978 में ECIL ने MICRO-78 system को बनाया जो की purely based था microprocessor के ऊपर। ECIL ने वर्ष 1971 से 1978 तक करीब 98 computers की संरचना की जिन्हें की उन्होंने government laboratories को बेचा अलग अलग universities के research के लिए।

वहीँ ECIL का एक major contribution था जब उन्होंने Indian Air Force को प्रदान किया Air Defense Ground Environment Systems।

सन 1978 में minicomputer policy को बनाया गया जिससे IBM भारत से बाहर चला गया और इससे नए technical entrepreneurs को अवसर मिला अपने manufacturing units की स्थापना करने के लिए, जैसे की WIPRO और HCL। ये companies अभी तक भी पुरे दुनिया में अपना नाम रोशन कर रहे हैं।

Phase III

सन 1984 में जब Rajiv Gandhi भारत के Prime Minister बने, एक liberalized policy बनाया गया minicomputers के ऊपर जो की allow करता था private sector companies को computers manufacture करने में। उसी साल में private sector companies को allow किया गया unlimited 32-bit machines manufacture करने के लिए।

Private sector companies ने इसके साथ manufacture किया assembled boards microprocessors और interface electronics के साथ जिन्हें की उन्होंने import किया application software के साथ, जिसमें की कम imported duty लगती थी।

Liberalization policy के कारण computers का growth 100% तक बढ़ गया और वहीँ इसके कीमत में करीब 50% की कमी हुई।

Indian Railway’s Seat Reservation System की पूरी तरह से computerization शुरू हुआ सन 1984 में और वहीँ ये ख़त्म हुआ सन 1986 में। वहीँ Seat Reservation System की entire software को Indian programmers के द्वारा ही बनाया गया था बिना किसी foreign advisers के मदद से।

Phase IV

सन 1991 में भारत के ऊपर एक बहुत ही बड़ा financial crisis आ पड़ा, इससे बचने के लिए World Bank ने India को उसके external debt और trading (import और export) के ऊपर कुछ conditions लागु किये जिसके चलते Indian government को बाध्य होकर अपने economy को liberalize करना पड़ा।

सन 1990-1991 में Indian software companies ने earn करना चालू किया software को export कर, जिसकी estimated value US$125 million थी। वहीँ Earning की भी exponentially increase हुई जो की US$ 1.70 billion से ज्यादा थी सन 1997-98 के दौरान।

Indian software companies ने अपने लिए standardized way तय कर लिए थे Industry में काम करने के लिए। Indian software companies ने invent किया GDM (Global Delivery Model) और जिसके लिए उन्होंने 24-hour working hours की संरचना की IT industry के लिए। इसलिए ही पुरे विश्व में भारत को IT Industry का प्रमुख माना जाता है।

पहले डिजिटल कंप्यूटर का आविष्कार कब हुआ था?

पहले डिजिटल कंप्यूटर का आविष्कार ब्लेज पास्कल द्वारा 1642 ई। में किया गया।

कंप्यूटर का जनक किसे कहा जाता है?

चार्ल्स बैबेज को कंप्यूटर का जनक कहा जाता है।

ABACUS का फ़ुल फ़ोरम क्या है?

ABACUS का फ़ुल फ़ोरम होता है – Abundant Beads, Addition and Calculation Utility System।

आज आपने क्या सीखा?

मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer in Hindi) जरुर पसंद आई होगी। मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को कंप्यूटर के विकास का इतिहास के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है। इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे।

यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं।

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