सिस्टम सॉफ्टवेयर क्या है और इसके प्रकार

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  • System software को आप programs का एक collection समझ सकते हो जो की एक computer की core functions को manage करता है।
  • यह एक interface की तरह काम करता है hardware और user applications के बीच में।
  • System Software के तीन प्रमुख प्रकार हैं :- Operating Systems, Device Driver और Utilities।

जब भी बात Softwares की आती हैं तब सिस्टम सॉफ्टवेयर के विषय में जानना बहुत ही जरुरी होता है. लेकिन बात अब ये आती है की भले ही हमने इसके विषय में पहले सुना होगा लेकिन क्या आप जानते हैं की यह System Software क्या है और कौन कौन से है, साथ में इसके महत्वपूर्ण features क्या है?

इसलिए आज मैंने सोचा की क्यूँ न आपको लोगों को सिस्टम सॉफ्टवेयर डेफिनिशन के विषय में पूरी जानकारी प्रदान करूँ जिससे आने वाले समय में आपको इसे समझने में कोई दिक्कत न हो. तो फिर बिना देरी किये चलिए शुरू करते है हैं।

सिस्टम सॉफ्टवेयर क्या है – What is System Software in Hindi

System software एक fundamental layer होता है software का जो की directly manage करता है एक computer के hardware और resources को। ये प्रदान करता है एक application software run करती है (like games or word processors) और साथ में Users को allows भी करता है Machine के साथ interact करने के लिए।

System Software Kya Hai Hindi

सिस्टम सॉफ्टवेयर उन files और programs को refer किया जाता है जो की computer की operating system को बनाते हैं. System files में बहुत से चीज़ें होते हैं जैसे की libraries of functions, system services, drivers printers के लिए और दुसरे hardware, system preferences, साथ में दुसरे configuration files।

वहीँ अगर हम उन programs की बात करें जो की system software का हिस्सा हैं तब उसमें assemblers, compilers, file management tools, system utilites, और debuggers प्रमुख हैं।

ये system software तब आपके computer में installed हो जाता है जब आप Operating System को install करते हैं. आप चाहें तो software को update भी कर सकते हैं जिसके लिए आपको बस कुछ programs जैसे की “Windows UpdateWindows के लिए या “Software Update” Mac OS X के लिए को run करना होगा।

एक बात समझ लीजिये की application programs के तरह, लेकिन system software को end user run नहीं कर सकता है. उदहारण के लिए, आप भले ही पुरे दिनभर में केवल web browser का इस्तमाल कर रहे हों अपने computer में, ऐसे में आपने कभी भी assembler program का इस्तमाल नहीं किया होगा इसी बिच।

चूँकि system software आपके computer के बहुत ही basic level में काम कर रहा होता है इसलिए इसे “low-level” software कहा जाता है.

कुछ system software को users directly इस्तमाल कर सकते हैं और वहीँ दुसरे system software background में ही कार्य कर रहे होते हैं. System software users को allow करते हैं hardware functionality से directly interact करने के लिए, जैसे की Device Manager और दुसरे utilities जिन्हें आप Control Panel में देख सकते हैं।

सिस्टम सॉफ्टवेयर की परिभाषा

System software एक ऐसा computer software होता है जिसका इस्तमाल computer hardware को control और coordinate करने के लिए होता है और ये एक environment प्रदान करता है application software को execute करने के लिए।

System Software के examples की अगर हम बात करें तब इसमें Operating system(OS), BIOS, device firmware, कुछ system utility software जो की मदद करते हैं computer को configure, optimize और maintain करने के लिए, programming software जैसे की assemblers, compilers और debuggers इत्यादि.

System Software असल में एक interface जैसा serve करता है Hardware और end users के बिच में।

सिस्टम सॉफ्टवेयर के कार्य

वैसे तो System Software के बहुत से features होते हैं, वहीँ चलिए हम निचे उनके कुछ महत्वपूर्ण features के विषय में जानेंगे।

  1. ये System के बहुत ही निकट (Close) होते हैं.
  2. ये बहुत ज्यादा Fast होते हैं, अगर हम इनकी speed की बात करें तब.
  3. इन्हें design करना बहुत ही Difficult होता है.
  4. साथ ही इन्हें समझना भी उतना ही Difficult होता है.
  5. ये बहुत की कम interactive होते हैं.
  6. इनकी size बहुत ही छोटी होती है.
  7. इन्हें manipulate करना भी बहुत ही Difficult होता है.
  8. अक्सर इनके programs को low-level language में लिखा गया होता है.

सिस्टम सॉफ्टवेयर के प्रकार

क्या आप जानते है सिस्टम सॉफ्टवेयर कौन कौन से है? अगर हम System Software को broadly classify करें तब ये 5 प्रकार के होते हैं. जिसमें सभी को design किया गया होता है computer hardware के procedures और functions को control और coordinate करने के लिए. साथ ही ये functional interaction को भी enable करते हैं hardware, software और user के बीच।

Systems software एक middleman का काम करता है जिससे की वो इस बात को ensure करे की Software और Hardware के बीच का Communication हमेशा सही रहे और ये user के साथ harmonious coexistence को allow करें।

Systems software को निम्नलिखित ढंग से पांच हिस्सों में categorize किया जाता है :

1. Operating System: ये सभी प्रकार के communication को control करती है जो की hardware, system programs, और दुसरे applications के बीच होता है।

2. Device Driver: ये Enable करता है device communication, OS और दुसरे programs के बीच।

3. Firmware: ये Enable करता है device control और identification।

4. Translator: ये Translate करता है high-level languages को low-level machine codes में।

5. Utility: ये इस बात को Ensure करता है की Devices और Applications के बीच optimum functionality हो।

1. Operating System (OS)

Operating system एक ऐसा प्रकार का system software kernel होता है जो की computer hardware और end user के बिच एक माध्यम बनाता है interact करने के लिए।

इस पहले computer में install किया जाता है जिससे की ये devices और application को identify होने में allow करे और उसके बाद उन्हें functional बनाये।

System software वो पहला layer का software होता है जिसे की memory में load किया जाता है जब भी computer को powered up किया जाता है. Example हैं Microsoft Windows, Linux, Mac OS

2. Device Drivers

Driver software एक ऐसा प्रकार का system software होता है जो की computer devices और उसके peripherals को जिन्दा करने में सहायता प्रदान करता है।

Drivers के मदद से ही सभी connected components और external add-ons उनके intended tasks को कर पाते हैं जैसे की OS से उन्हें निर्देशित किया जाता है. Drivers के बिना, OS किसी को कोई duties assign कर सकता है।

ऐसे devices जिन्हें की drivers की जरुरत होती है :

3. Firmware

Firmware एक ऐसा operational software होता है जिसे की embedded किया गया होता है एक flash, ROM, या EPROM memory chip में जिससे की OS उन्हें आसानी से identify कर सके. ये directly ही कोई भी single hardware की सभी activities को manage और control कर सकती है।

पहले के समय में, firmware का मतलब fixed software होता था जैसे की उसमें इस्तमाल हुआ शब्द firm दर्शाता है. इन्हें पहले install किया जाता था non-volatile chips और इन्हें केवल upgrade तभी किया जा सकता है जब इन्हें नए preprogrammed chips से swap (बदला) किया जाये।

इसे high-level software से अलग करने के लिए किया जाता था, जिन्हें की बिना कोई component को swap किये ही update किया जाता था. लेकीन अभी के firmware को flash chips में store किया जाता है, और इन्हें अब बिना semiconductor chips को swap किये ही upgrade किया जा सकता है।

4. Programming Language Translators

ये वो intermediate programs होते हैं जिनके ऊपर ज्यादा software programmers ही निर्भर करते हैं high-level language वाले source code को machine language code में translate करने के लिए।

इसमें high-level language उन्हें कहा जाता है जो की एक collection होते हैं programming languages की और जिन्हें इंसानों द्वारा आसानी से समझा जा सकता है और code भी किया जा सकता है (जैसे की Java, C++, Python, PHP, BASIC इत्यादि). वहीँ machine language एक प्रकार का complex code होता है जिन्हें की केवल processor ही समझ सकते हैं।

इन codes को Machine language में convert किया जाता है जिससे की computer इस आसानी से समझें और उसके accordingly कार्य करे. ये operation को language processor के द्वारा किया जाता है, वहीँ इसके भी तीन components होते हैं : –

Assembler

इस language processor का इस्तमाल assembly language को machine level language में convert करने के लिए होता है।

Compiler

इस language processor का इस्तमाल High-Level Language को machine level language में convert करने के लिए होता है एक ही समय में, इससे इसका execution time बहुत ही fast होता है।

Compiler में error detection बहुत ही difficult होता है. Programming Languages जैसे की C, C++ और Scala compiler का इस्तमाल करते हैं।

Interpreter

इस language processor का इस्तमाल High-Level Language को machine level language में convert करने के लिए होता है वो भी line-by-line तरीके से, इसलिए इसका execution time बहुत ही slow होता है।

इसमें Error-detection बहुत ही आसान होता है क्यूंकि इसमें ये bug को तभी report कर देता है जैसे ही उसका पता चले और process को फिर से restart कर देता है. ये unnecessary memory का consumption करता है. Programming Languages जैसे की Python, Ruby और Java interpreter का इस्तमाल करते हैं।

5. Utilities

Utilities उन system software को कहा जाता है जो की system और application software के बिच में आते हैं. ये वो programs होते हैं जो की computer के diagnostic और maintenance tasks के लिए ही होते हैं. ये बहुत ही handy होते हैं और ये इस बात को ensure करते हैं की computer optimally ही function करे।

उनकी tasks vary करती है crucial data security से लेकर disk drive defragmentation तक।

ज्यादातर third-party tools ही होते हैं और वो अक्सर bundled होकर आते हैं operating system के साथ. ये Third-party tools available होते हैं individually या फिर ये bundled together भी होते हैं जैसे की Hiren Boot CD, Ultimate Boot CD, या फिर Kaspersky Rescue Disk।

System Software और Application Software में क्या अंतर है?

सिस्टम सॉफ्टवेयर कंप्यूटर के आंतरिक कामकाज को नियंत्रित करता है जबकि एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर केवल कुछ विशिष्ट कार्य ही करता है।

भाषा प्रोसेसर क्या हैं?

चूंकि कंप्यूटर केवल मशीन कोड को समझता है, इसलिए भाषा प्रोसेसर स्रोत कोड को मशीन कोड में बदल देते हैं।

आज आपने क्या सीखा?

मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख सिस्टम सॉफ्टवेयर क्या है (What is System Software in Hindi) जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को सिस्टम सॉफ्टवेयर के प्रकार के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है।

इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे. यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं।

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Comments (14)

  1. YouTube Video Dekh Kar bhi Jo nhi smjha So apka Article pd ke smjh gya kafi achha explain kiya h o bhi hindi me bhot bdiya sir

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  2. बहुत अच्छी जानकारी दिये हैं। मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला।

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