Floppy Disk क्या है और इसके प्रकार

क्या आप जानते हैं की Floppy Disk क्या है? एक समय था जब floppy disk drive (FDD) ही primary means था computer में data add करने के लिए केवल तब तक ही जब तक की CD-ROM drive ज्यादा popular नहीं बन गया।

Floppy Disk एक प्रकार के magnetic storage medium होते हैं computer systems के। वहीँ इन floppy disk में data को read और write करने के लिए आपके computer system में एक Floppy Disk Drive (FDD) जरुर से होना चाहिए।

इसलिए बिना देरी किये चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं की फ्लॉपी डिस्क इन हिंदी

फ्लॉपी डिस्क क्या है (What is Floppy Disk in Hindi)

Floppy Disk एक तरह की डाटा स्टोरेज डिवाइस है, जिसका इस्तमाल Data को store करने के लिए किया जाता था। इसे सबसे पहली बार सन 1969 में create किया गया, उसी वर्ष जिस वर्ष Internet की शुरुवात करी गयी। यह Secondary या External Memory का भाग है।

यह Magnetic Disk बहुत पतली तथा लचीली होती है इसलिए इन्हें फ्लोपी डिस्क या डिस्केट कहते है। यह मेलर नाम की प्लास्टिक की शीट की बनी होती है और इसके दोनों और मैग्नेटिक सामग्री चिपकी होती है।

Floppy Disk Kya Hai Hindi

मैग्नेटिक डिस्क को अन्य प्लास्टिक जैकेट में बंद किया जाता है तथा मैग्नेटिक डिस्क के एक छोटे से भाग को खुला रखा जाता है। Computer में उपयोग होने वाली फ्लोपी डिस्क आकार में 5.25 इंच (जिसे मिनी फ्लोपी भी कहते है) अथवा 3.5 इंच (जिसे माइक्रो फ्लोपी भी कहते है) की होती है।

फ्लोपी डिस्क बहुत ही कम मात्रा में डाटा को स्टोर कर सकती है। पहले Computer में इसका अधिक यूज़ होता था लेकिन CD के आने के बाद से इसका अस्तित्व ही खत्म हो गया क्योंकि उसमे स्टोरेज क्षमता अधिक थी। फ्लोपी डिस्क में सारा डाटा एक गोलाकार चुम्बकीय प्लेट में स्टोर होता है और वहीं से सारी डाटा को रीड किया जाता है।

Floppy Disk में स्टोर डाटा को केवल फ्लोपी डिस्क ड्राइव की मदद से ही एक्सेस किया जा सकता था. ये ड्राइव Computer हार्डवेयर का वो हिस्सा है जो फ्लोपी डिस्क से डाटा को रीड करता है और फिर उसे Computer पर प्रदर्शित करता है. आईये जानते है फ्लोपी डिस्क के भाग, क्षमता आदि के बारे में विस्तार से।

फ्लॉपी डिस्क की परिभाषा

फ्लॉपी डिस्क एक सेकेंडरी मेमोरी है जिसका प्रयोग कंप्यूटर में डेटा को स्टोर करने के लिए किया जाता है।

फ्लॉपी डिस्क से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण Terms

आईये जानते है फ्लॉपी डिस्क से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण Terms के बारे में :-

1. ट्रैक (Tracks)

डिस्क के क्षेत्र को कई गोलों में बांटा जाता है और इन्हें नंबर दिए जाते है. यह गोले ट्रैक कहलाते है. सबसे बाहरी गोले का नंबर 0 तथा यह अंदर की और बढ़ता जाता है. यह ट्रैक सिर्फ लॉजिकल क्षेत्र है, भौतिक नहीं।

2. TPI (Tracks Per Inch)

यह प्रति इंच पर ट्रैक की संख्या है जो डाटा का घनत्व दर्शाती है. जितना बड़ा TPI होगा उतना ही अधिक डाटा रख पायेगा।

3. सैक्टर (Sectors)

यह डिस्क पर सबसे छोटा स्टोरेज यूनिट है. एक ट्रैक के कई सेक्टर होते है. हर एक सेक्टर को नंबर दिया जाता है. पहले सेक्टर को पहचानने के लिए इंडेक्स छिद्र होता है. सेक्टर को दो तरह से नंबर दिए जाते है –

  • सॉफ्ट सेक्टरिंग : इसमें Software द्वारा सेक्टर बनाये जाते है. इन डिस्क को सॉफ्ट-सेक्टर डिस्क कहते है. यह अधिक विश्वसनीय होते है.
  • हार्ड सेक्टरिंग : इसमें अपनी पहचान के लिए एक छिद्र होता है. ऐसी डिस्क को हार्ड-सेक्टर डिस्क कहते है.

4. क्लस्टर (Clusters)

यह डिस्क का सबसे छोटा यूनिट है जिसे फाइल को दिया जा सकता है. इसमें एक या अधिक एक साथ वाले सेक्टर होते है. यह एक विशिष्ट फाइल हेतु सेक्टर्स का ग्रुप है तथा सेक्टर्स डिस्क के प्रकार पर निर्भर करते है।

5. FAT (File Allocation Table)

यह टेबल ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा प्रबंधित की जाती है जिसमे सभी उपलब्ध क्लस्टरों की जानकारी होती है. FAT में प्रत्येक क्लस्टर के स्थान और प्रयोग में है या नहीं, खराब है या नहीं, की जानकारी होती है।

FAT के बिना डिस्क प्रयोग नहीं की जा सकती है। Computer भी इसे एक्सेस नहीं कर सकता है क्योंकि इसमें फाइल के एड्रेस होते है।

Floppy Disk Drive के Major Parts क्या हैं?

चलिए इस Disk Drive के महत्वपूर्ण parts के विषय में जानते हैं।

Read/Write Heads

ये Located होते हैं एक diskette के दोनों ही हिस्सों में, ये एक साथ ही move करते हैं same assembly में. इनके heads directly opposite नहीं होते हैं एक दुसरे केम जिससे एक फायेदा ये होता है की प्रत्येक media surfaces में write operation को एक साथ होने से ये रक्षा करता है।

इसमें समान head का इस्तमाल reading और writing के लिए होता है, वहीँ एक दूसरा wider head का इस्तमाल track को erase करने के लिए होता है. इससे ये allow करता है data को एक wider “clean slate” में लिखने के लिए, बिना कोई interfering के analog data का adjacent track के साथ।

Drive Motor

एक बहुत ही छोटी सी spindle motor engage करता है metal hub को diskette के center में, जो की इसे spinning कराता है 300 या 360 rotations per minute (RPM) में।

Stepper Motor

ये motor एक precise number की stepped revolutions का आकलन करता है, जिससे read/write head assembly, proper track position में move कर सकें. ये read/write head assembly को fastened (बांधा) जाता है stepper motor shaft के साथ।

Mechanical Frame

यह एक ऐसा system होता है levers का जो की open करता है little protective window को diskette में, जो की allow करता है read/write heads को dual-sided diskette media से touch करने में।

एक external button allow करता है diskette को eject होने के लिए, ऐसे point में जहाँ की spring-loaded protective window, diskette में close होती है।

Circuit Board

ये Contain करती है सभी electronics को जिसका इस्तमाल data को read या write करने में use होता है Diskette में, साथ में ये चीज़ों को handle भी करता है।

इसके साथ ये stepper-motor control circuits को control भी करता है, जिसका इस्तमाल read/write heads को each track में move करने के लिए होता है।

Floppy के अलग अलग हिस्से क्या हैं?

(A). चोकोर प्लास्टिक जैकेट (Square Plastic Jacket) :- फ्लोपी को वातावरण के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए।

(B). हब रिंग (Hub Ring) :- डिस्क के मध्य में छिद्र जिससे डिस्क अंदर जाने पर मैटल का स्पिंडल रिंग पकड़े रखता है।

(C). इंडेक्स छिद्र (Index Hole) :- बाकी छोटा छिद्र जो सेक्टर की संख्या रखता है. सॉफ्ट सेक्टर डिस्क में केवल एक इंडेक्स छिद्र होता है लेकिन हार्ड सेक्टर में प्रत्येक सेक्टर के लिए अलग छिद्र होता है।

(D). रीड/राईट विंडो (Read/Write Window) :- इससे हैड की सहायता से पढने और लिखने का कार्य होता है।

(E). राईट प्रोटेक्ट नौच (Write Protect Notch) :- जब यह टैब बंद हो तो स्टोर की गई जानकारी सुरक्षित होती है, कोई भी इसे हटा या बदल नहीं सकता।

(F). स्ट्रेस रिलीफ नौच (Stress Relief Notch) :- जब ड्राइव में डिस्क इन्सर्ट की जाती है तो वे फ्लोपी तथा डिस्क ड्राइव प्लेन के एलाइनमेंट हेतु अपने उपयुक्त भाग में फिक्स हो जाते है तथा एलाइनमेंट से संबधित परेशानियों को कम करते है।

फ्लॉपी डिस्क के प्रकार

चलिए Floppy के अलग अलग types के विषय में जानते हैं।

1. 8 इंच फ्लोपी

पहली फ्लोपी डिस्क IBM द्वारा 1960 के आखिरी में डिजाईन की गई थी तथा फिर 1970 में पहले Read-Only फोर्मेट की तरह तथा Read-Write फोर्मेट की तरह उपयोग की गई थी. विशिष्ट Desktop/Laptop ,Computer 8 इंच फ्लोपी डिस्क का उपयोग नहीं करते है. इसकी शुरूआती क्षमता 100K Bytes (100000 कैरेक्टर्स) थी।

2. 5.25 इंच फ्लोपी (मिनी फ्लोपी)

इस फ्लोपी में मैग्नेटिक सर्फेस एक पतली विनायेल जैसकेट से ढकी जाती है. इसे common size की PCs के लिए बनाया गया था सन 1987 से पहले और इसे 8-inch floppy disk का predecessor भी कहा जाता है।

5.25 फ्लोपी की स्टोरेज क्षमता Storage Capacity Of Floppy यह सिंगल साइड या डबल साइड दोनों हो सकती है. यह घनत्व रिकॉर्ड रखती है. यह दो प्रकार की होती है –

  • DSDD (Double Sided Double Density) – 360 KB
  • DSHD (Double Sided High Density) – 1.2 MB

5.25 फ्लोपी की स्टोरेज क्षमता Storage Capacity Of Floppy

  • DSDD (Double Sided Double Density) – 720 KB
  • DSHD (Double Sided High Density) – 1.44 MB
  • DSED (Double Sided Extra High Density) – 2.88 MB

3. 3½-inch Floppy :

इस Floppy की size बहुत ही छोटी होती है, क्यूंकि इन्हें आसानी से एक rigid envelope में encashed भी किया जा सकता है. इसके छोटे size के वाबजूद, microfloppies की बहुत ज्यादा storage capacity होती है, पहले प्रकार के मुकाबले — 400K से 1.4MB की data।

इसमें most common sizes की PCs थे 720K (double-density) और 1.44MB (high-density). Macintoshes support करता था disks जिनका size होती थी 400K, 800K, और 1.2MB।

फ्लॉपी डिस्क की Applications in Hindi

चलिए फ्लॉपी डिस्क की Applications के बारे में जानते हैं।

1# File Transfer करना

ये 3.5-inch floppy disk drives एक प्रकार से universal standard हुआ करते थे file transfers के लिए computers के बीच. Compression utilities के होने से ये files को compress होने में मदद करते थे।

चूँकि 3.5-inch floppy disk drives standardized हुआ करते थे, इसलिए data को आसानी से transferred किया जा सकता था वो भी efficiently और reliably. इनकी efficiency और बढती popularity के कारण ही, इस technology को incorporated किया गया Apple और UNIX-based systems में, जिससे दो अलग platforms के भीतर file transfers होना संभव हुआ।

2# Data Storage

Floppy disks का इस्तमाल data storage के हिसाब से और important information को back up करने के लिए होता था. उस समय यही सबसे बेहतरीन तरीका था data को retain करने का।

ये medium को बहुत ही efficient माना गया क्यूंकि उस समय इसकी ही सबसे ज्यादा capacity थी जो की थी 1.44 MB, इसके साथ cross-platform compatibility का होना।

3# Software और Drivers

एक बहुत ही important applications था 3.5-inch floppy disks का, वो ये की programs और services का distributionम जिसमें software और driver updates मुख्य थे, उन्हें आसानी से Floppy Disk के जरिये किया जाता था।

वैसे अभी ये तरीका का और इस्तमाल नहीं किया जाता है क्यूंकि अब Internet से आसानी से जरुरत ही चीज़ों को download किया जा सकता है।

फ्लॉपी डिस्क में कितनी साइड होती हैं?

फ्लॉपी डिस्क में मुख्य रूप से दो साइड होती हैं।

क्या फ्लॉपी डिस्क का अब इस्तमाल किया जाता है?

जी नहीं, अभी के समय में फ्लॉपी डिस्क का ओर इस्तमाल नहीं किया जाता है।

आज आपने क्या सीखा

मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख फ्लॉपी डिस्क क्या है (What is Floppy Disk in Hindi) जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को फ्लॉपी डिस्क की परिभाषा के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है।

इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे. यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं।

यदि आपको यह post फ्लॉपी डिस्क की क्षमता पसंद आया या कुछ सीखने को मिला तब कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook, Twitter इत्यादि पर share कीजिये।

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Prabhanjan Sahoo

Prabhanjan Sahoo

मैं Prabhanjan, HindiMe का Technical Author & Co-Founder हूँ। Education की बात करूँ तो मैं एक Enginnering Graduate हूँ। मुझे नयी नयी Technology से सम्बंधित चीज़ों को सीखना और दूसरों को सिखाने में बड़ा मज़ा आता है।

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