Wireless Communication क्या है, इसका इतिहास और इसके प्रकार

Photo of author
Updated:

Wireless Communication क्या है? ये कब शुरू हुआ, ये कैसे काम करता है, इसके advantages क्या है जैसे कई सवाल अक्सर लोगों के मन में आते रहते हैं. लेकिन सही और पूरी जानकारी के अभाव होने के कारण वो ये सवालों का जवाब नहीं ढूंड पाते हैं।

ये technical term wireless communication को सबसे पहले introduce 19th century में हुआ था और उसके बाद से ये निरंतर ही developed होते रहा है. ये एक बहुत ही महत्वपूर्ण medium है information के transmission का एक device से दुसरे device तक. इस technology में, information बिना किसी cable या wire के केवल हवा में ही transmit होता है. Information को transmit करने के लिए electromagnetic waves जैसे क IR, RF, Satellite इत्यादि का इस्तमाल किया जाता है।

आज हम एक ऐसे समय में रहते हैं जहाँ प्रत्येक चीज़ों में wireless का काफी योगदान रहा है. चाहे वो Mobile Phones हो, GPS Receivers, Remote Controls, Bluetooth Audio और Wi-Fi ही क्यूँ न हो सब में Wireless technology का इस्तमाल हुआ है।

और सबसे महत्वपूर्ण बात ये की ये सभी devices हमारे जीवन का एक मुख्य अंग बन गए हैं. वर्तमान की बात करें तब wireless communication technology उसे refer करती है जहाँ की एक बड़ी variety की wireless communication devices और technologies दोनों सम्मिलित हों, साथ में जिसमें smartphones से लेकर computers, tabs, laptops, Bluetooth Technology, printers आदि भी शामिल हों।

जैसे की हम सब ये जानते ही हैं की Wireless Communication एक fastest growing और सबसे ज्यादा vibrant technological area है communication field का. वहीँ Wireless communication एक method है information transmitting करने के लिए बिना किसी physical medium के।

इसलिए इस technology के विषय में जानकारी रखना बहुत ही जरुरी है. इसलिए आज मैंने सोचा की क्यूँ न आप लोगों को Wireless Communication क्या होता है में जानकारी प्रदान करूँ. तो चलिए आज इस article में Wireless communication का overview देखते हैं और साथ में types of wireless communications भी जानते हैं।

वायरलेस कम्युनिकेशन क्या है (What is Wireless Communication in Hindi)

Wireless को यदि हम अलग अलग करके लिखें तब ये बन जाता है Wire + Less. इसका मतलब होता है बेतर या बिना तार के. इसलिए Wireless Communication में बेतर ही information को एक जगह से दुसरे जगह तक भेजा जाता है, ये दूरता कम या ज्यादा भी हो सकती है।

Technically बात करें तब, एक communication system में, information को transmit करने के लिए transmitter का इस्तमाल किया जाता है वहीँ उसे दुसरे छोर में receive करने के लिए receiver का इस्तमाल किया जाता है जिसे की receiver end में रखा जाता है।

Wireless Communication Kya Hai Hindi

Wireless Communication की मदद से, transmitter और receiver को कहीं पर भी उसके जरुरत के हिसाब से रखा जाता है फिर चाहे few meters ही हो (जैसे की एक T.V. Remote Control में) या फिर few thousand kilometres हो (जैसे की Satellite Communication में)।

वर्तमान के समय में wireless communication system एक बहुत ही essential part बन गया है various प्रकार के wireless communication devices के, जो की users को remote operated areas से भी operate होने के लिए permit करता है।

Devices की बात करें तब बहुत से ऐसे devices हैं जो की wireless communication का इस्तमाल करते हैं जैसे की Cordless telephones, Zigbee wireless technology, GPS, Wi-Fi, satellite television और wireless computer parts. वहीँ Current wireless phones में 3G और 4G networks, Bluetooth और Wi-Fi technologies प्रमुख हैं।

शायद आप सोच रहे होंगे की अगर कोई भी physical medium नहीं है, तब कैसे ये wireless communication signals transmit करते हैं? तब इसका जवाब है की भले ही Wireless communication में कोई भी cables का इस्तमाल न हो, फिर भी Signals के transmission और reception को ठीक रूप से करने के लिए Antennas का उपयोग किया जाता है।

Antennas एक प्रकार के electrical devices होते हैं जो की electrical signals को radio signals में (जो की Electromagnetic (EM) Waves होता है) और vice versa भी कार्य कर सकते हैं।

Wired Medium vs Wireless Medium

Communication Systems मुख्य रूप से दो प्रकार के हो सकते हैं Wired or Wireless और जो medium ये इस्तमाल करते हैं communication के लिए वो है Guided or Unguided।

Wired Communication में, medium एक physical path होता है जैसे की Co-axial Cables, Twisted Pair Cables और Optical Fiber Links इत्यादि जो की signal को guide करता है propagate करने के लिए एक point से दुसरे तक. ऐसे medium को Guided Medium कहा जाता है।

वहीँ, ऐसी Wireless Communication जिसमें की कोई भी physical medium की जरूरत ही नहीं होती है लेकिन यहाँ पर signal space के माध्यम से ही propagate करती हैं. चूँकि इस signals को किसी guidance की जरुरत ही नहीं होती है propagate करने के लिए इसलिए इस प्रकार के medium को Unguided Medium कहा जाता है Wireless Communication में।

वायरलेस कम्युनिकेशन का इतिहास

पहले के समय में signaling के तोर पर smoke signals, flags और flashing mirrors का इस्तमाल होता था. वहीँ अभी Wireless communication इंसानों के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चूका है और ये निरंतर evolve भी हो रहा है।

Modern Wireless Communication की बात करें तब i.e. इसमें मुख्य रूप से electrical signals और radio waves का इस्तमाल होता है communication के लिए जो की करीब विगत 100 वर्षों से भी ज्यादा से काम में लाया गया है।

सन 1897 में, Guglielmo Marconi ने Wireless Telegraphy को successfully demonstrate किया था जब उन्होंने EM Waves को एक short distance जो की करीब 100 meters तक भेजा था. यह demonstration उस समय के हिसाब से बहुत ही आधुनिक आविस्कार था जिसने की बाद में Radio Communication के लिए द्वार खोल दिए थे और ये term Radio, Radiant Energy से लिया गया है।

बाद में 1900’s के प्रारंभिक दोर में, Trans – Atlantic radio transmission को स्थापित किया गया, जहाँ Marconi ने successfully messages को Morse code के form में transmit किया. तब से लेकर wireless communication की technology और Wireless Systems ने और पीछे मुड़कर नहीं देखा और दिनबदिन advanced होता चला गया. इसके साथ धीरे धीरे transmission की range भी बढती ही चली गयी, वो भी कम cost में और cheaper devices के मदद से।

अगर हम wireless communication की development को पूरी तरह से देखें तब हमें ये देखने को मिलेगा की ऐसे बहुत से wireless systems और methods आये जो की आगे developed हुए और कई तो धीरे धीरे disappear भी हो गए. उदहारण के लिए Telephone Communication और Television Transmission।

शुरुवाती दोर में सभी telephone related communication को wired network के द्वारा carry किया जाता था (कुछ तो अभी भी कर रहे हैं). लेकिन Mobile Communication में rapid growth के कारण इन complex wired telephone system को धीरे धीरे replace किया जा रहा है. इस scenario में, wired technology पूरी तरह से outdated हो गयी और उसे wireless communication के मदद से replace कर दिया गया।

वहीँ दुसरे scenario में जहाँ wireless communication को wired communication के द्वारा replace कर दिया गया, ये हुआ Television broadcasting में. जहाँ पहले television signals को broadcast किया जाता था wireless radio transmitters के मदद से. लेकिन ये setup को cable television के द्वारा replace कर दिया गया।

इन दोनों उदाहरणों में ये पता चलता है की technology में development होने से, हमें ये सुविधा होती है की हम अपने लिए वही चुन सकते हैं जो की situation के हिसाब से best हो. जैसे की कुछ जगहों में wired communication best रहा वहीँ कुछ में Wireless best option था।

Electromagnetic Wave क्या है?

Electromagnetic Waves अपने साथ electromagnetic field की electromagnetic energy को carry करती हैं space के माध्यम से. Electromagnetic Waves में Gamma Rays (γ – Rays), X – Rays, Ultraviolet Rays, Visible Light, Infrared Rays, Microwave Rays और Radio Waves मुख्य होते हैं. Electromagnetic Waves (usually Radio Waves) का इस्तमाल wireless communication में होता है signals को carry करने के लिए।

एक Electromagnetic Wave में दोनों electric और magnetic fields time-varying sinusoidal waves के form में होती हैं. यहाँ दोनों fields perpendicular तरीके से oscillate करती हैं एक दुसरे के साथ और उस Electromagnetic Wave की direction of propagation हमेशा perpendicular होती है दोनों fields के साथ।

Mathematically, एक Electromagnetic Wave को Maxwell’s equations के मदद से describe किया जाता है. किसी Electromagnetic Wave की Pictorial representation की बात करें तब Electric Field Y – axis में होती है, magnetic field Z – axis में और Electromagnetic Wave हमेशा X – axis में propagate करती हैं।

Wireless Communication को क्यूँ लाया गया?

जब wired communication में वो सारे tasks को किया जा सकता है जो की wireless communication कर सकता है, तब सवाल आता है की क्यूँ फिर हमें Wireless Communication की जरुरत होती है?

इसका जो सबसे primary और महत्वपूर्ण benefit वो ये की wireless communication ज्यादा mobility प्रदान करता है।

Mobility को छोड़कर, wireless communication ज्यादा flexibility और ease of use भी प्रदान करता है, जो की इसे दिनबदिन ज्यादा popular बनाते हैं. उदहारण के लिए Wireless Communication जैसे की mobile telephony को आप कभी भी और कहीं भी इस्तमाल कर सकते हैं जो की आपको सबसे ज्यादा performance प्रदान करते हैं।

दूसरा जो बड़ा advantage है वो ये की infrastructure. जहाँ Wired Communication system की setup और installation infrastructure बहुत ही ज्यादा expensive और time-consuming job होती है. वहीँ wireless communication की infrastructure को आसानी से instal किया जा सकता है और वो भी low cost में।

साथ में emergency situations और remote locations में, जहाँ wired communication की setup बहुत ही difficult होती है, वहीँ wireless communication एक बहुत ही अच्छा विकल्प है।

Wireless Communication System के Basic Elements क्या हैं?

एक typical Wireless Communication System के मुख्य रूप से three elements होते हैं: the Transmitter, the Channel और the Receiver।

इसमें Transmitter का काम होता है Signals को transmit करना, वहीँ Channel का काम होता है signal को एक माध्यम प्रदान करना propagate करने के लिए और Receiver का काम होता है Signals को receive करना।

The Transmission Path

Wireless Communication System के एक typical transmission path में मुख्य रूप से ये चीज़ें होती हैं जैसे की Encoder, Encryption, Modulation और Multiplexing. Source से signal को पहले pass किया जाता है एक Source Encoder के माध्यम से, जो की signal को एक suitable form में convert करता है जिसमें signal processing techniques apply की जाती है।

इस process में Signal की redundant information को निकाल दिया जाता है जिससे resources का maximum utilization किया जा सके. उसके बाद को encrypt किया जाता है एक Encryption Standard के माध्यम से जिससे signal और information को secure किया जा सके और किसी unauthorised access को allow न किया जा सके।

Channel Encoding एक ऐसी technique है जो की signal में apply किया जाता है जिससे signal की impairments को reduce किया जा सके जैसे की noise, interference, इत्यादि. इस process के दौरान, एक छोटी amount की redundancy signal में introduce की जाती है जिससे की ये robust बन सके noise के against. फिर signal को modulated किया जाता है एक suitable Modulation Technique (जैसे की PSK, FSK और QPSK इत्यादि) की मदद से, इससे signal को आसानी से antenna के मदद से transmit किया जा सके।

इस modulated signal को फिर multiplexed किया जाता है दुसरे signals के साथ जिसमें different Multiplexing Techniques जैसे की Time Division Multiplexing (TDM) और Frequency Division Multiplexing (FDM) का इस्तमाल किया जाता है, जिससे ये valuable bandwidth को share करे।

The Channel

Wireless Communication में channel indicate करता है उस medium of transmission जी जिसमें signal propagate करती है i.e. open space. एक wireless channel बहुत ही unpredictable, highly variable और random होता है nature से. एक channel को आसानी से disturb किया जा सकता है, या हो जाता है interference, distortion, noise, scattering इत्यादि से और result में received signal में errors का होना बहुत ही आम बात है।

The Reception Path

Receiver का मुख्य काम होता है Channel से signal को collect करना और source signal के रूप में reproduce करना. Wireless Communication System की reception path में बहुत सारे चीज़ें होती है जैसे की Demultiplexing, Demodulation, Channel Decoding, Decryption और Source Decoding. इन components से ये बात तो clear है की receiver का काम पूरी तरह से उल्टा होता है transmitter के काम से।

Channel से signal Demultiplexer के द्वारा receive किया जाता है और इसे दुसरे signals से separate भी किया जाता है. Individual signals को demodulate किया जाता है appropriate Demodulation Techniques के द्वारा और original message signal को बाद में recover किया जाता है. फिर redundant bits को message से remove किया जाता है Channel Decoder के मदद से।

चूँकि message को encrypt किया गया होता है, इसलिए signals के Decryption करने से ये उसके security को remove कर देता है और इसे simple sequence of bits में तब्दील कर देता है. Finally, यह signal Source Decoder को प्रदान किया जाता है जिससे original transmitted message या signal को पाया जा सकता है।

Wireless Transmission के प्रकार

Data के wireless transmission के लिए अलग अलग प्रकार के signals का इस्तमाल किया जाता है. यहाँ निचे मैंने कुछ different electromagnetic signals के बारे में बताया है जिसका इस्तमाल transmission के लिए होता है और उनका इस्तमाल उनके wavelength और frequency के हिसाब से किया जाता है. चलिए इसके विषय में जानते हैं।

Radio Frequency Transmission

Radio frequency एक प्रकार का form है electromagnetic transmission का जिसका इस्तमाल wireless communication में होता है. RF signals को आसानी से generate किया जा सकता है, ये प्राय तोर से 3kHz से 300GHz के range में होता है।

इनका इस्तमाल wireless communication में इसलिए होता है क्यूंकि इनकी एक ख़ास विसेषता यह है की ये आसानी से objects में penetrate हो सकते हैं और साथ में ये long distances भी travel कर सकते हैं।

Radio communication कुछ parameters पर निर्भर करती है जो की हैं wavelength, transmitter power, receiver quality, type, size और antenna की height।

Drawbacks
1.  ये frequency dependent होते हैं.
2.  इनमें relatively low bandwidth होती है data transmission के लिए।

Infrared Transmission

Infrared radiations उन electromagnetic radiations को कहा जाता है जिसमें longer wavelengths होती है visible light की तुलना में. इनका इस्तमाल मुख्य रूप से short-range communications के लिए किया जाता है. ये signals solid objects के through pass नहीं कर सकता है।

उदहारण के लिए Television remote control, mobile data sharing।

Microwave Transmission

Microwaves एक प्रकार का form होता है electromagnetic transmission के जिनका इस्तमाल wireless communication systems में होता है. Microwave का wavelength one meter से one millimetre के भीतर आता है।

इसमें frequency varies करती है 300MHz से 300GHz के भीतर. इन्हें मुख्य रूप से long distance communications के लिए इस्तमाल किया जाता है और ये बहुत ही कम expensive होता है।

Drawbacks
1.  ये microwave buildings से pass नहीं कर सकते हैं.
2.  ख़राब मौसम का signal transmission पर असर पड़ता है.
3.  ये frequency dependent होते हैं।

Lightwave Transmission

Light एक प्रकार का electromagnetic radiation होता है जिसकी wavelength range करती हैं infrared radiations और ultraviolet radiations के बिच. इसकी wavelength की range होती है 430 से 750THz के बिच. ये मुख्य रूप से unguided optical signals जैसे की laser और साथ में ये unidirectional भी होती हैं.
Drawbacks

1.  ये signals rain और fog को penetrate नहीं कर सकती है.
2.  ये laser beam को आसानी से हवा के द्वारा divert हो जाते हैं।

वायरलेस कम्युनिकेशन के प्रकार

वैसे देखा जाये तो बहुत से अलग अलग प्रकार के wireless communication मेह्जुद है जिसमें Satellite communication, IR wireless communication, broadcast radio, Cellular, Microwave, radio, Wifi, Mobile Communication, Bluetooth, WLAN, Paging इत्यादि प्रमुख हैं।

Satellite Communication

Satellite communication एक प्रकार का self contained wireless communication technology होता है, ये पुरे दुनिया भर में widely spread होता है जो की users को एक दुसरे के साथ connected रहने में मदद करता है फिर वो चाहें दुनिया के किसी भी छोर में क्यूँ न हों. जब कोई signal (ये एक modulated microwave की beam होती है) को satellite के निकट भेजा जाता है, तब satellite उस signal को amplify कर देता है और उसे फिर से वापस भेज देता है earth surface को, जिसे antenna receiver receive करता है और जो की earth के surface में स्तिथ होता है।

Satellite communication में दो मुख्य components होते हैं जैसे की पहला है space segment और दूसरा है ground segment. Ground segment में fixed या mobile transmission, reception और ancillary equipment होते हैं वहीँ space segment में, मुख्य रूप से satellite खुद ही होता है।

Satellite communication एक प्रकार की wireless technology है जिसकी अपनी ही बहुत importance है पुरे विश्व में. इनकी कुछ ख़ास विशेषताएं है जो की इन्हें केवल कुछ specialized situations में ही ज्यादा काम आती हैं. जो devices इन satellite technology का इस्तमाल करते हैं directly communicate करने के लिए इन orbiting satellite से वो radio signals का इस्तमाल करते हैं संपर्क करने के लिए।

ये users को वो सुविधा प्रदान करते हैं जिससे वो virtually सभी के साथ well connected रहें. Portable satellite phones और modems में ज्यादा powerful broadcast feature और reception hardware होते हैं cellular devices की तुलना में क्यूंकि इनकी range बड़ी होती हैं।

Infrared Communication

Infrared wireless communication में information को communicate करने के लिए IR radiation का इस्तमाल होता है. IR एक प्रकार का electromagnetic energy होता है जिसमें की wavelength थोडा ज्यादा लम्बा होता है red light की तुलना में।

इनका इस्तमाल security control, TV remote control और short-range communications में होता है. Electromagnetic spectrum में, IR radiation हमेशा microwaves और visible light के बिच ही आती है. इसलिए इनका इस्तमाल communication के एक source के जैसे होता है।

एक successful infrared communication के लिए, एक photo LED transmitter और एक photodiode receptor की जरुरत होती है. ये LED transmitter IR signal को non-visible light के form में transmit करती हैं, जिसे की photoreceptor के द्वारा capture और save किया जाता है।

इसलिए source और target के भीतर information कुछ इसप्रकार ही transfer किया जाता है. ये source और destination कोई भी device जैसे की mobile phones, TVs, security systems, laptops इत्यादि हो सकता है जो की wireless communication को support करता हो।

Broadcast Radio

सबसे पहली wireless communication technology एक open radio communication होती थी जिसका इस्तमाल तब बहुत ज्यादा होता था, और कई जगहों में तो अब भी उसका इस्तमाल किया जाता है. Handy multichannel radios के मदद से एक user short distances के लिए message broadcast कर सकता है, वहीँ citizen’s band और maritime radios का इस्तमाल समुद्र के नाविकों के द्वारा किया जाता है communication services के तोर पर।

एक audio broadcasting service, में radio sound को broadcast air के माध्यम से करता है जो की असल में radio waves ही होते हैं. Radio में एक transmitter का इस्तमाल होता है जो की data को transmit radio waves के form में ही करता है, जिसे बाद में antenna के द्वारा receive किया जाता है. Radio broadcasting करने के लिए cable FM, net और satellites का इस्तमाल किया जाता है. एक broadcast में information को लम्बी दुरी तक और करीब two megabits/Sec (AM/FM Radio) की speed में भेजा जाता है।

Radio waves एक प्रकार के electromagnetic signals होते हैं, जिन्हें की antenna के मदद से transmit किया जाता है. इन waves में completely different frequency segments होते हैं, और अगर आपको उस audio signal को receive करना है तब आपको frequency segment में बदलाव लाना होगा।

उदहारण के लिए आप एक radio station के बारे में सोच सकते हैं. जब कोई RJ बोलता है आप 95.6 FM सुन रहे हैं तब इसका मतलब है की उस radio station के signal 95.6 megahertz की frequency में broadcast हो रहे हैं. और अगर आपको कोई अलग station के गाने सुनने है तब आपको frequency को भी उस हिसाब से बदलना होगा।

Cellular

एक cellular network में encrypted radio links का इस्तमाल होता है, और जिसे modulate किया जाता है जिससे ये बहुत सारे users को allow करता है communicate करने के लिए इसी single frequency band में।

चूँकि individual handsets में ज्यादा मात्रा में broadcasting power नहीं होता है, इसलिए ये system depends करती है एक network of cellular towers के ऊपर जो की capable हों source of signal को triangulate करने के लिए और इससे reception duties को handle कर उसे most suitable antenna तक पहुंचा सके।

Cellular Network में data transmission केवल modern 4G systems में ही possible है जिसमें की speed wired DSL के करीब पहुँच सकती है. Cellular companies अपने customers को minute के हिसाब से voice में और kilobytes के हिसाब से data में charge करती हैं।

Microwave Communication

Microwave wireless communication एक बहुत ही effective type की communication होती है, इस transmission में radio waves का इस्तमाल होता है, और radio waves का wavelengths को centimetres में measure किया जाता है।

इस communication में, data और information को transfer करने के लिए दो methods का इस्तमाल किया जाता है. एक है satellite method और दूसरा है terrestrial method।

Satellite method में, data को transmit करने के लिए satellite का इस्तमाल किया जाता है, जो की earth के 22,300 miles ऊपर orbit करता रहता है. Stations जो की earth पर होते हैं वो send और receive करते हैं data signals को जो की satellite से आते हैं और जिनकी frequency range होती हैं 11GHz-14GHz और जिनकी transmission speed होती है 1Mbps से 10Mbps।

वहीँ terrestrial method में, दो microwave towers जिसमें की दोनों के बिच clear line of sight होना आवस्यक होता है, साथ में इस बात का ख्याल रखें की इस LOS (line of sight) के बिच में कोई भी obstacles न आये जो की इसे disrupt करे. इसका इस्तमाल ज्यादातर privacy के काम के लिए किया जाता है. इसकी frequency range होती है 4GHz-6GHz और transmission speed होती है 1Mbps से 10Mbps।

इसकी जो main disadvantage है वो ये की ये ख़राब मौसम से आसानी से affected हो जाता है।

Wi-Fi

WiFi एक low power wireless communication होता है, इसका इस्तमाल बहुत सारे electronic devices जैसे की smartphones, laptops इत्यादि में किया जाता है. इस setup में एक router एक communication hub के तोर पर wirelessly काम करता है।

ये networks users को allow करते हैं केवल तभी connect होने के लिए जब आप अपना device उस router के close proximity में रखो. WiFi एक बहुत ही common नाम है networking applications में जो की portability wirelessly प्रदान करता है. इन networks को passwords के द्वारा protect करना चाहिए अन्यथा इनका कोई भी इस्तमाल कर सकता है।

एक WiFi setup में एक wireless router जो की एक communication hub के तरह काम करता है, जो की portable device को internet के साथ जोड़ने में काम आता है. Router के configuration के अनुसार ही network ये तय करती है की कितने devices एक साथ connect हो सकें।

ये networks की range limited होती है क्यूंकि इसकी low power transmission होती है, इसलिए केवल close proximity के भीतर ही ये devices के साथ connect होता है।

Mobile Communication Systems

Mobile Networks के advancement से इन networks को generations में बाँट दिया गया. बहुत सारे users communicate करने के लिए एक single frequency band का ही इस्तमाल करते है mobile phones के द्वारा. Cellular और cordless phones ऐसे दो devices के उदहारण हैं जो की wireless signals का इस्तमाल करते है operate होने के लिए. Cell phones में ज्यादा बड़े range का networks मेह्जुद होता है जो की coverage प्रदान करता है. लेकिन वहीँ Cordless phones के limited range होती हैं।

Bluetooth Technology

Bluetooth technology का इस्तमाल अलग अलग electronic devices के साथ connect होने के लिए किया जाता है. एक बार connect हो जाने के बाद आप आसानी से data send और receive कर सकते हैं।

Cell phones को hands-free earphones के साथ connect किया जा सकता है, Bluetooth mouse, wireless keyboard. इस technology के बहुत सारे functions है और इसे ज्यादातर wireless communication market में इस्तमाल किया जाता है।

Paging

माना की ये Paging की technology अभी पपूरी तरह से समाप्त हो गयी है, लेकिन एक समय था जब paging का इस्तमाल लोग जोरशोर से किया करते थे. जब से Mobile Phones का इस्तमाल बढ़ गया और लोग इसका इस्तमाल करना ख़त्म कर दिए।

Paging एक ऐसे simple system के ऊपर आधारित है जिसमें information को messages के form में भेजा जाता था, इसमें users को केवल messages receive होते थे. वो Pagers का इस्तमाल करते थे।

Wireless Local Area Network (WLAN)

Wireless Local Area Network या WLAN (Wi-Fi), ये एक internet related wireless service होता है. इस WLAN, का इस्तमाल कर अलग अलग devices जैसे की laptops और mobile phones बड़े आराम से किसी access point के साथ connect हो सकते हैं और Internet का access प्राप्त कर सकते हैं।

वायरलेस कम्युनिकेशन  के लाभ

वैसे तो Wireless communication के बहुत सारे advantages होते हैं, लेकिन यहाँ हम केवल कुछ के महत्वपूर्ण विषय में ही जानेंगे।

Cost

Physical infrastructure जैसे की installing wires, cables और दुसरे infrastructure की कीमत कुछ देना नहीं पड़ता है wireless communication में इसलिए overall cost में बहुत कमी आती है अगर इसे wired communication system के साथ तुलना करें तब. Wired network को बड़े buildings में install करने में बहुत खर्चा लगता है. इसके अलावा इसमें ज्यादा समय की भी बर्बादी होती है।

साथ में अगर किसी historical buildings में holes करने को हुआ तब इससे हमारे देश के धरोहर को नुकसान भी पहुँचती है अगर हम wired communication system का इस्तमाल करें तब।

Mobility

ये हमें ज्यादा mobility प्रदान करती है, इसका मतलब की आप network के साथ connect होकर भी इधर उधर आराम से move कर सकते हैं।

Ease of Installation

इस network को आसानी से install किया जा सकता है क्यूंकि इसमें cables को लेकर ज्यादा चिंता करने की जरुरत ही नहीं है. साथ में इसे setup करने में बहुत ही समय लगते हैं।

Reliability

चूँकि इसमें कोई भी cables और wires का इस्तमाल नहीं होता है इसलिए wireless communication में failure के chances बहुत ही कम होते हैं. चाहे वो कोई भी प्राकृतिक विपदा क्यूँ न हो wirless system में ज्यादा खराबी होने के संभावनाएं कम होती है।

प्राकृतिक Disaster की Recovery

वो चाहे को भी प्राकृतिक disaster हो जैसे की fire, floods या कोई disasters, इसमें communication infrastructure की loss बहुत ही कम होती है जिससे recovery cost भी minimal ही होती है।

Fast

इसमें data transmission बहुत ही fast होता है यदि हम इसे दुसरे communications के साथ तुलना करें तब।

वायरलेस कम्युनिकेशन के नुकसान

ये बात तो आप अब तक समझ ही चुके होंगे की wireless communication के बहुत से advantages हैं wired communication की तुलना में, लेकिन इसकी बहुत सी disadvantages भी हैं. चलिए उसी सन्दर्भ में जानते हैं।

Interference

Wireless Communication systems ज्यादातर open space का इस्तमाल करती हैं एक medium के तोर पर signal transmit करने के लिए. जिसके चलते बहुत chances हैं की radio signals किसी एक wireless communication system से या कोई network से किसी दुसरे signals के साथ interfere कर सकती हैं।

उदहारण के लिए Bluetooth और Wi-Fi (WLAN). दोनों technologies में 2.4GHz frequency का इस्तमाल होता है communication के लिए और जब ये दोनों devices एक ही समय में active हों तब chances हैं की वो एक दुसरे के साथ interfere कर सके।

Security

चूँकि wireless communication में signals को open space में transmit किया जाता है इसलिए chances है की कोई intruder उस signal को intercept कर उसमें स्थित sensitive information को चोरी कर सकता है।

Health Concerns का होना

कोई भी प्रकार का radiations हमारे शरीर के लिए ठीक नहीं है. फिर continuous exposure तो बिलकुल भी सही नहीं है. इससे हमें बहुत प्रकार के बीमारी होने के संभावनाएं बढ़ जाती है।

Wireless Communication के Applications क्या है?

ऐसे तो Wireless communication के features बहुत सारे हैं इसलिए इसका इस्तमाल भी बहुत सारे जगहों में किया जा सकता है. चलिए इसके applications के बारे में और अधिक जानते हैं।

Wireless communication के बहुत ही ज्यादा wide applications हैं. जैसे की

  • Space
  • Military
  • Telecommunications
  • Wireless Power Transmission
  • IoT
  • Radar communication
  • Artificial intelligence
  • Fiber optics
  • Intelligent Transport Systems

ये थी Wireless Communication के विषय में पूरी जानकरी, इसके application, advantages और disadvantages, Wireless communication के Types इत्यादि. WiFi, WiMax, Bluetooth, Femtocell, 3G और 4G, कुछ ऐसे ही most important standards हैं Wireless technology के।

आज आपने क्या जाना

मुझे आशा है की मैंने आप लोगों को वायरलेस कम्युनिकेशन क्या है (What is Wireless Communication in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी दी और में आशा करता हूँ आप लोगों को वायरलेस कम्युनिकेशन का इतिहास के बारे में समझ आ गया होगा।

यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं. आपके इन्ही विचारों से हमें कुछ सीखने और कुछ सुधारने का मोका मिलेगा।

यदि आपको मेरी यह लेख वायरलेस कम्युनिकेशन के प्रकार अच्छा लगा हो या इससे आपको कुछ सिखने को मिला हो तब अपनी प्रसन्नता और उत्त्सुकता को दर्शाने के लिए कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook, Twitter इत्यादि पर share कीजिये।

Leave a Comment

Comments (21)

  1. wireless ke dwara toh technical field mein ab distance ka toh koi matlab hi nhi bacha sach mein aapne bahut hi acchi taraf ishe explain kiya hai

    Reply
  2. I am also blogger sir aapki post Padkar apni mehnat toh bilkul na ke Barabar lagti hai. Great article sir bahut detailed information share karte hai.

    Reply
  3. Sir Ap kisi bhi topic par bth hi Deeply likhte hai. jis se puri ki puri jankari bahut hi ache se or turnt smjh me aa jati hai. Thank You Sir.

    Reply
  4. Sir, if u dont mind , aapko per day kitna pageviews milta hai website par.
    sir main iss liye puch rha hun kyunki main ek new blogger hun.

    Reply
  5. Hello nice article. Sir google search result me aapke post me rating star rating use karte ho. Vo aapne kaise kiya. Manually kiya hai? ya fir plugin use kiya?

    plugin se kiya hai. To krupya plugin ka naam bhi batayiye.

    Reply